Friday 17 March 2023

चक्कर म चक्कर

 चक्कर म चक्कर

---------------------

              

 ये संसार म अइसे कोनो मनखे आरूग नइ होही जेन ह कुछु न कुछु के चक्कर म नइ  परे होही। सबके अपन अपन चक्कर हे। ये चक्कर मन ल देखबे -सुनबे त चक्कर आये ल धर लेथे ।

          भक्त मन अपन-अपन भगवान ल खोजे अउ पाये के चक्कर म परे हें। एकर बर कतको झन उपग्रह सहीं अपन-अपन ग्रह---पंडित, मुल्ला, मौलवी, पादरी, गुरू, संत ,साधू ----बहुरूपिया मन के चक्कर लगावत हें।अउ ये कतको किरहा ग्रह मन कामिनी कंचन के चक्कर म परे हें। ये  चक्कर म कई झन जेल पहुँच के कानून के चक्कर लगावत हें। बस चक्कर उपर चक्कर हे।ये संसार म जानवर,चिरई-चिरगुन , नान नान छै-सात साल के लइका ,जवान अउ निच्चट डोकरा-डोकरी तको मन प्यार के चक्कर म परे हें।

         रकतबीज असन बाढ़त प्रजाति जेन नेता कहे जाथें। उँकरो चक्कर मरई कमती  नइये। रात दिन कुर्सी के चक्कर हे। कभू टिकट पाये बर चक्कर हे, त कभू एक दल ल किरनी असन चूहक के दूसर दल म जाये के चक्कर हे। कुर्सी मिलगे त कमीशन के चक्कर हे, भाई भतीजावाद जातिवाद, वोट बैंक  के चक्कर हे। बाँचे खोंचे म  चिखला फेंके के मुकाबला म भाग लेके एक दूसर ल होले पढ़के निपटाये के चक्कर हे।

   एक ठन अउ बिकराल चक्कर चलत हावय। चोर मन चोर मन ल पकड़े के चक्कर म , चोरे मन ले साँठ-गाँठ करे के चक्कर म परे हावयँ। कुछ चोर मन मत पकड़ावन सोच के पाला बदले के चक्कर म हें।

   ए.सी. रूम में बइठे बड़े-बड़े दिमाग मन  आलतू फालतू योजना बनाके  पांँचो अँगरी ल घी म चिभोरे ऊपर ले खाल्हे तक खुरचन पानी रूपी प्रसाद के व्यवस्था करके खजाना ल दियाँर किरा कस सफाचट करे के चक्कर म परे हें। ये दिमाग मन के नाना विभाग जिहाँ जोंक मन रहिथें ।वो मन तैं पलोवत जा ,मैं सोंखत हँव कहिके गीत गावत मुफ्तखोरी के चक्कर म परे हें।

             अनुभवी मन बताथें के थाना, कचहरी अउ अस्पताल के चक्कर सबले भारी चक्कर होथे। उहाँ सेवा के आड़ म मेवा झड़के के चक्कर म बड़े-बड़े बन बिलबा अउ बिलई मन सीका टूटे के चक्कर म ताकत रहिथें।

     एक झन बतावत रहिसे--वो ह डंडाधर टोपीवाले के चक्कर म परे हे।  वो डंडा धरे बड़े-बड़े मेंछा वाले ह आवेदक अउ अनावेदक दूनों ल टोपी पहिना के गाय असन दूहे के चक्कर म हे। एक झन ह तो इहाँ तक काहत रहिसे वोकर खाकी के कुरता ल पाकिट मार अउ चोर मन खरीद के दे हें।  

      एक झन कचहरी के चक्कर के मारे संदउवा काड़ी कस दुब्बर पातर होये ह बतावत रहिसे - करिया कोट वाले मन के चक्कर म परके केस लड़त लड़त वोकर ददा के ददा के ददा सिरागें फेर  फैसला होबेच नइ करिस। बस तारीख के ऊपर तारीख के चक्कर हे।

     एक झन कका ह अपन भतीजा ल समझावत रहिसे के सरकारी अस्पताल के चक्कर म कभू झन परबे काबर के उहाँ बड़े बीमारी ल कोन काहय दाँत पीरा,खजरी खसू जइसे छोटे-छोटे बीमारी के इलाज के चक्कर म गये मनखे के मुर्दा लहुटे के पूरा संभावना रहिथे।उहाँ इलाज करइया भले नइ मिलही फेर माला कस ओरमाये सादा-सादा पहिने यमराज अउ वोकर दूत मन चक्कर लगावत रहिथें। वो कहिस- बने बताये कका फेर  वो दिन मंगलू ह चार मंजिल के बड़े जान प्राइवेट अस्पताल म माथा पीरा के इलाज करवाये बर गे रहिसे। उहाँ तीन दिन म तीन लाख के बील ल देख के वोला चक्कर आगे । चक्कर खाके पट ले गिरिस तहाँ ले राम नाम सत्य होगे।वोकर घर वाले मन लाश ल पाये बर चक्कर लगावत हें।बिना नोट के उहाँ गोठ करे बर कोनो तइयार नइये। मुर्दा के मुँह तको ल नइ देखन देवत यें।

    सबो जगा एके हाल हे।जेती देखबे तेती, जेन ल देखबे तेन ल बस चक्कर ऊप्पर चक्कर हे।कुछ झन चक्कर म डारे के चक्कर म हें त कुछ मन चक्कर म चिथियायें हें।

   गुरु घंटाल मन हड़ताल बाढ़ते राहय के चक्कर म हें जेकर ले गप्पशाला जिहाँ पाठशाला के बोर्ड टँगाये हे, जायेच ल मत परय। घरेच म बइठे-बइठे बरवाही मिलते राहय। पता हे के वोट के चक्कर म घनचक्कर मन आज नहीं ते काली सोजबाय तनखा ल तो देबे करहीं।

 चुनाव के आरो पाके सबो कर्मचारी मन  मौका के फायदा उठाये के चक्कर म हावैं।सरकारी खजाना के  छाती म होरा भूँजे के चक्कर म सब राजधानी कोती दउँड़त हें।

       कोनो  सब ले जादा चक्कर म परे हे त वो ह भुँइयाँ के भगवान हर आय। एकर चक्कर सिराबे नइ करय। बिजहा,खातू माटी के चक्कर, सोसाइटी म धान बेंचे के चक्कर, बैंक के चक्कर, नक्शा खसरा बनवइया के चक्कर,करजा लिखइया के चक्कर, नहर पानी के चक्कर चक्कर --- चक्कर ---चक्कर--- चक्कर --चक्कर। रात दिन चक्कर।

  सिरतो म ये चक्कर के बीमारी सिरा जतिच त सबके जिनगी कतका बढ़िया हो जतिस।


चोवा राम 'बादल'

हथबंद, छत्तीसगढ़

No comments:

Post a Comment