Tuesday 16 August 2022

आलेख - कमरछठ तिहार*


 

*आलेख - कमरछठ तिहार*


छत्तीसगढ़ अपन रीति-रिवाज अउ कला संस्कृति के नाम से पूरा देश मा जाने जाथे। हमर छत्तीसगढ़ में तीज तिहार ला अब्बड़ सुग्घर एक होके मनाथें। रीति रिवाज के बात करन त *कमरछठ तिहार* हमर छत्तीसगढ़ के बहुत ही पारंपरिक तिहार आए ये दिन हमर छत्तीसगढ़ के दीदी बहनी महतारी मन अपन लइका मन के जिनगी के खुशहाली बर उपवास रहिथें। कमरछठ तिहार ला कई झन *हलषष्ठी* घलो कहिथें। येकर मान्यता हे कि भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम के जनमदिन के सेती येला हलषष्ठी तिहार के रूप में मनाए जाथे। अउ कई झन के कहना हे कि द्वापर युग में जब कंस माता देवकी के सात लइका मन ला मार दिस तब देवकी ह छठ  माता के उपवास रिहिस अउ अपन लइका के जिनगी बर कामना करिस ओकर बाद भगवान कृष्ण के जनम होइस। तब ले कमरछठ तिहार मनाए जाथे।


हमर छत्तीसगढ़ मा *कमरछठ तिहार* के विशेष महत्व हे। ये दिन दाई दीदी बहनी मन महुआ के दतवन करथें अउ नहाखोर के तइयार होके गाँव के बीच बस्ती मा जिहाँ सगरी बने रिथे उहां जा के सबोझन पूजा-पाठ करथें। पूजा- पाठ बर महुआ के पतरी, दोना, लकड़ी अउ महुआ फूल के विशेष महत्व हे। यह दिन भईंस के दूध अउ दही चढ़ाए जाथे। ये दिन चना, गहूं, मसूर अउ लाई फोड़ के प्रसाद भी बनाए जाथे। ये दिन गांव के महाराज हा सबोझन ला *कमरछठ तिहार* के कहानी सुनाथे। ये दिन हरेली तिहार के गेड़ी के भी पूजा करे जाथे।  पूजा के बाद सगरी के पानी ला घर में लइका मन ला पोता करे के रिवाज हे अउ सगरी के पानी ला पूरा घर में छिंचे जाथे। ताकि घर मा सुख-शांति के व

राहय।


*पसहर चाउँर के महत्व-* करमछठ तिहार मा पसहर चाउँर के विशेष महत्व हे। पसहर चाउँर ला  चुरो के  दही संग प्रसाद के रूप में भोग लगाथे अउ पूजा के बाद पसहर चाउँर के भात ला खा के फरहार करे जाथे। पसहर चाउँर गाँव के परिया, डबरी, मेंड़ या नरवा तीर जामे रिथे। पसहर चाउँर ला खेत में नाँगर चला के नइ बोय जाए।


*भाजी के महत्व-* हमर छत्तीसगढ़ मा भाजी के विशेष महत्व हे। कमरछठ तिहार मा 6 प्रकार के भाजी के महत्व बताए गेहे, ये भाजी मन लमेरा के रूप मा जामे रिथे मतलब येला भी बोय नइ जाय। जइसे दार भाजी, मुसकेनी, मछरिया, कउँवाकेनी, बर्रा भाजी, ये बस भाजी ला मिंझार के साग राधे जाथे।


*काशी फूल के महत्व-* ये दिन काशी फूल के भी पूजा करे जाथे। मान्यता हे कि जब माता सीता वाल्मीकि ऋषि के आश्रम में रिहिस अउ लव कुश ल जनम दिस। सीता माता अपन दोनों बेटा के पालन-पोषण वन मा रहिके करिस अउ इहाँ कंद मूल भाजी तरकारी खाके अउ काशी के बिछौना मा सो के जीवन यापन करिस। तेकर सेती महतारी मन कांशी के पूजा करथें।


*आप सब ला कमरछठ तिहार के गाड़ा गाड़ा बधाई।*💐💐🙏🏻


*रचनाकार*-

*राजकुमार निषाद "राज"*

*बिरोदा, धमधा जिला-दुर्ग*

*7898837338*

2 comments: