*छत्तीसगढ़ आगु रहिस जगत सिरमौर*
*- दुर्गा प्रसाद पारकर*
छत्तीसगढ़ म कतनो राजवंश, नलवंशी, पांडुवंशी, सोमवंशी, कलचुरी राजवंशी, नागवंशी, छिन्दक नागवंशी, गोड़, मराठा अऊ अंग्रेज मन, मन भर के राज करिन। फेर छत्तीसगढ़ म रतनपुरी राजा मन के शासन काल ल सुख समृद्धि अउ उन्नति के दिन बादर माने जा सकत हे। डॉ. महेंद्र कश्यप राही के मुताबिक तो
रतन देव के हाथ के दीया ह
बिना आगी बर जाये,
उही रतनपुर भीख म भइया
हीरा मोती बांटय।
स्व. शुकलाल पांडे के आंखी के देखल आय ग-
नाप-नाप काठा म रुपिया,
बेहर देत रहिन गौटिया।
कभू नही स्टाम्प लिखाइन
रिहिन गवाही अउ ये हमर देश
छत्तीसगढ़ आगु रहिस जगत सिरमौर।
अइसन छत्तीसगढ़ म राज करइया राजा मन बिक्कट शोषण करिन । चूहक के फोकला कर दिन।
इन तो पहिलिच्च ले छत्तीसगढ़िया मन सीधवा सबले बढ़िहा हे कहि के हमर खून ल जूड़ा देथे ताहन उन मूड़ी म राज करथे । तहू मन ल कुछ नइ काहन सकन। सियान मन बताथे - पहिली जमाना म संसार भर के सोना भारत म जमा होवत रिहिस। तभे तो भारत ल सोन चिरईया काहत रिहिन। बाद म इंग्लैंड म जमा होय ल धर लिस। अंग्रेजी पूंजीवादी नीति के सेती भारत के गरीब किसान थर्रा गे ग। छत्तीसगढ़या किसान तो ए दाई वो कहि के मुड़ी ल धर के बइठ गे। स्व. कुंज बिहारी चौबे ह इसी बात ल उजागर करथे-
अजी अंग्रेज तैंहर हमला बनाए कंगला।
सात समुद्दर बिलाएत ले आ के हमला बना दे भिखारी जी।
हमला बनाए बेंदरा बरोबर बन गए तैं मदारी जी। चीथ-चीथ के तैं हमर चेथी के मास ला,
अपन बर टेकाए बंगला।
दुनिया भर के उठा पटक करे के बाद अंग्रेज मन के शोषण नीति ह भारत के एकता के आघु म घोरमुहा हो गे। एकर बाद तो अंग्रेज मन कंझा के देश के नाजुक नस ल बइद बरोबर टमरिन। टमरत-टमरत टमर डरिन जी। ओ नस रिहिस धरम के । बेईमान मन भाई ल भाई के विरोध म खड़ा कर के थपरी बजाए बर धर लिन ताहन तो फेर इन मन फूट डालो अऊ राज करो के महामंत्र ले बिक्कट के फायदा उचइन। धीरे-धीरे फैसन कस बगर गे एकर प्रदूषण ह। जेकर प्रभाव ल आजो देखे जा सकत हे |
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