Saturday 13 August 2022

छत्तीसगढ़ के संस्कृति में शामिल--अखण्ड रामायण पाठ


 

छत्तीसगढ़ के संस्कृति में शामिल--अखण्ड रामायण पाठ


हमर छत्तीसगढ़ी संस्कृति में अखण्ड रामायण पाठ बहुत गहरई ले जनमानस के अंतस में समाय हे। गांव में आज भी रामायण के बड़ सममान, आदर,अउ श्रद्धा लोगन में मन म भरे हावे हे। ये हमर छत्तीसगढ़ के जादा गांव में हर बछर होवइया तिहार हरे। गांव-गांव मे रक्षाबंधन,जन्माष्टमी,पोरा तिहार में अब्बड़ धूमधाम ले ये कार्यक्रम ल पूरा करे जाथे।


तैयारी--

            एकर बर बहुते जादा तैयारी करे के जरूरत नई हे, कोई कला मंच,ककरो परछी,सामाजिक भवन में,चौक मे घलो आयोजित करे जाथे। 3-4 ठन बड़े सम्पूर्ण रामायण के जरूरत होथे। एक ठन कुर्सी में भगवान रामजी,शिवजी के फोटो अउ रेडियो लगगे त अउ जादा मजा आथे।अलग-अलग दल बनाके गांव भर ल शामिल करें जाथे।


शुरुआत--

          बिहिनिया ले पहली दल वाले मन अउ गांव के सियान पंच-पटेल मन हुम् धूप पूजा पाठ करे के संगे संग मंगलाचरन ले पढ़े के चालू करथे। जे हर आखिरी लाइन तक उरकत ले दलवार पढ़े जाथे।


कइसे पढ़थे--

              एमे एक झन दल पहली लाइन के आधा तक पढही,फेर दूसर दल बचे लाइन ल पूरा करही। अइसन ढंग ले पढ़े के सरल रूप हावे ले सरलग चलत रहिथे। जैसे--

एक दल- दीन दयाल विरद सम भारी,

दूसर दल- हरहु नाथ मम संकट भारी।।


दल--

        रामायण पढ़े बर गांव भर के लोगन मन के अलग-अलग दल जेमे 10-12 झन के नाम से सूची बनाके चौक-चौक में चिपकाए रथे। 1-2 घण्टा के बाद पोंगा में अगले दल वाले मन के नाव पुकारे जाथे। ताकि पढियईया मन ल आराम करे बर समय मिल जाये। येकर ले टीम भावना व आपसी सहयोग, समरसता के भाव बने रथे।


महिला-पुरूष--

           अखण्ड पाठ में गांव के सबो माई पिला जेमे महिला- पुरूष, जवान-सियान,लोग-लइका जेमन पढ़ डारथे सब झन मिल के कार्यक्रम ल पूरा करे जाथे। सामाजिक सद्भाव के ये बड़ अच्छा उदाहरण गांव मे मिल जाथे।


समापन--

          रामायण के सबो दोहा-चौपाई पढ़े के बाद समापन हो जाथे। फेर हवन पूजन करे के बाद सबो देव धामी ल सुमरत हुम धूप करके स्तुति करत गलती बर पराथना करथे। अउ गाँव के खुशियाली बर कामना करथे।


विसर्जन--

        अखण्ड पाठ कार्यक्रम समापन के बाद विसर्जन के कार्यक्रम करे जथे। जेमे कुर्सी में विराजित भगवान रामचंद्र जी, शिवजी के फूल-पान, गुलाल-बंदन,पिला चाऊंर,धूप-अगरबत्ती ल गली घुमत गावत-बजावत गांव के माई तरिया में विसर्जित कर देथे। गांव वाला मन अपन दुआरी म भगवान आये के कहिके आरती-पूजा करत नरियर,खीरा, फल फूल श्रध्दा ले चढ़ा देथे।


दही-लूट--

         विसर्जन कार्यक्रम में गांव के उत्साही जवान मन येकर मजा  ल जादा अउ बनाये बर दही लूट के रूप में चौक-चौक के खंभा म कुछु समान बांध के टांग देथे। जेमे नानकुन मरकी में दही,नरियर,कपड़ा, पैसा, पटका, साड़ी, प्लास्टिक के समान ल रखे जाथे। खम्भा में तीली पाना के रस ल लगा देथे जेहर बिसलाहा रथे। तेकर ल चढियईया मन म अउ जोश आ जथे। बिसलाहा पाय से अउ जादा मजा आथे। विसर्जन के संगे संग यहु कार्यक्रम चलत रथे। येकर ले कार्यक्रम के मजा दुगना हो जथे।


संदेश--

     अखण्ड रामायन पाठ के सबले बड़े संदेश आपसी भाईचारा, प्रेमभाव, सहयोगी भाव,सद्भावना, समरसता अउ मिलजुलके काम करे के गुण जागथे,काबर की ये काम मे सबो माई पिला गांव भर के मन जुरियाय रथे। छत्तीसगढ़ के जादा गांव मे ये सुंदर सांस्कृतिक रूप देखे बर मिलथे। गांव के आपसी सहयोग प्रेम भाव सद्भावना के बड़ सुग्घर छत्तीसगढ़ी संस्कृति हरे।


                             हेमलाल सहारे

                   मोहगांव(छुरिया)राजनांदगांव

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