Sunday 7 August 2022

का होथे नंगमत..


 

का होथे नंगमत..


हमर छत्तीसगढ़ के मनखे मन भारी मयारू होथे, रुख-राई,सांप-सेरू, चिरई-चुरगुन, माटी,नदी पहाड़, सब ल पूजथे। 

हमर छत्तीसगढ़ म आनी बानी के लोक कला अउ संस्कृति भरे हे। जेला पुरखा पाहर के सियान मन अउ उँकर नवा पीढ़ी मन सहेज के राखे हे, जेहा अपन उचित दिन तिथि म आयोजित होथे।  अउ सब ओकर ले जागरूक होथे कि ये आयोजन करे के का महत्व हे अउ का लाभ हे...

इही लोकसंस्कृति के एक झलक हमर गाँव म घलो देखे बर मिलथे। 

 हमर गाँव आँकडीह मा नांगपंचमी के दिन भारी नंगमत खेलथे।

साक्षात् मनखे रूप म

नांग,नांगिन,डोमी,असढ़िया, अहिराज,बेल्या करैत,घोड़ा करैत मुड़हेरी, पिटपिटी साँप मन नंगमत नाचथे अउ खेलथे। जेला देखनी उठ जाथे।

गाँव के सियान अउ जवान जवान टूरा मन लगती सावन के दिन ले *नंगमत* नाचे, अउ गाय, अउ तिहार मनाय के तियारी सुरु कर देथे।

सावन महीना के अंतिम  तिथि म हमर लोकसंस्कृति परम्परा म एक प्रसिद्ध लोक परब नांगपंचमी के तिहार होथे ये तिहार म हर घर के सियान, अउ किसान मन होत भिन्सार के अपन खेत खार के पार मुँही के

साँप अउ ओकर डीलवा (साँप की बांबी) म दूध लाई चढ़ाके, छेना अँगरा मा हुम्-धूप देके अपन इस्ट देवता ल सुमर के पूजा- पस्ट करथे, ताकि घर बन के कमईया मन ल साँप बिच्छू झन चाबय अउ आसीस बने रहय।

साँझ के गाँव के सतनामी समाज, बइगा अउ सियान -जवान बाबूपिला (पुरुषवर्ग) द्वारा *नंगमत* करे जाथे। नंगमत के सुरुआत गाँव के ठाकुर देवता,  छईहा, भुइँया, अउ मेड़ो देव, बइगा, अउ अपन ईस्ट देवता के जय बोलाके करथे।

नंगमत, नाग नांगिन के नृत्य आय जेमा बइगा अउ उँकर बाहुक द्वारा नाचने वाला के कान म एक निश्चित समय तक बर विशेष मंत्र फूँक के साँप के गुन ल चढ़ाय जाथे अउ उतारे जाथे,  जेमा आनी- बानी के मांदर झाँझ, दोहा, गीत बजाथे जेकर धुन म जइसे साँप ह नाचथे, अटियाथे, फुमकारथे, अउ सलँगथे वइसने नंगमतिहा मन नाचथे। नंगमत के दोहा गीत मांदर झाँझ ह मन ल मोह लेथे, अउ पूरा सुने बिना ये मन नई करय अउ जब समापन के बेरा होथे त थोकुन अउ होतिस तइसे मन लगथे।

जेला देखे बर गाँव सहित तिर-तखार के गाँव वाले महिला, पुरुष, नोनी,बाबू मन देखे अउ सुने बर आथे। अउ अपन घर बर नांगजरी पाय के आस करथे

नांगजरी ह भारी दवई आय साँप के जहर उतारे के, ये जरी ल पारखी नजर वाला सियान मन ही चिन्हें सकथे, येला जमीन के अंदर ले निकालथे, ये जरी ह निकाले के बेरा सोनहा रंग के होथे अउ सुखाय के बाद बिल्कुल साँप के सरीर कस दिखथे

अउ ये जरी ल अब्बड़ पबरीत माने जाथे।

कई झन के घर म छाँव कुछाँव, दोष, डर के नास करे बर इही नंगमत के नांगजरी ल घर के सिंगद्वार म खोचे जाथे ताकि घर म सुख सांति बने रहय।

येकर महिमा ल नंगमत म बखान कर करके गाथे अउ नाचथे

अंत म पंथी नाच के येकर समापन करे जाथे, जेमा फरहरी, लाई, अउ नांगजरी के परसाद देथे..!


नंगमत मुख्य रूप ले वो बइगा मन के द्वारा करे जाथे जेमन सांप चाबे के जहर उतारे के काम करथँय अउ जहर उतारे बर जड़ी जांगड़ा अउ मंत्तर के प्रयोग करथैं ।

जेमन सांप के जहर उतारे के मंत्तर सीखे रहिथे तेमन ल कहूं दस कोस म भी सांप चाबे के सूचना मिलथे त वोला देखे ल जाय के नियम रहिथे ।


*रचनाकार*

*सुनीता कुर्रे*

मु-आँकडीह(मस्तूरी)

मो न-7974172659


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