Friday 26 August 2022

छत्तीसगढ़ के लोकगीत-मोहनलाल डहरिया


 

छत्तीसगढ़ के लोकगीत-मोहनलाल डहरिया

हमर छत्तीसगढ महतारी के माटी म लोकगीत शदियो ल चल्ट आवत हे पहिली मनोरंजन के साधन टेलीविजन रेडियो गावं गांव घरो घर नहीं पहुंचे रहिस त गांव म लोकगीत गाके मनोरंजन करय लोकगीत म पहीली स्थान छत्तीसगढ ददरिया के ह जेमा युगल युवती के बिच नोकझोक प्रेम मोहब्बत एक दूस र ताना मारना प्रेम भरे ददरिया गीत से आकर्षित करना ददरिया म प्रेम हे करुणा है दया हे विछोह हे लेकिन ददरिया गीत म अहंकार नहीं हे ददरिया गांव के बाहर काम बुता करत करत गाए जात रहीस इमा दु झन के बीच संवाद हॉथे जैसे जैसे शिक्षा के विकास होइस टेलीविजन रेडियो के आ ये ले नदावत हे 

लोकगीत म सुवागीत हे  देवारी तिहार म गाए जाथे सुवा गीत लड़की मन महिला मन माटी के सुवा बना के घरों घर मनोरंजन करय अभी भी ये लोकगीत चलन म हावय

तिसर लोकगीत हमर गांव के डंडा गीत हे जेमा गांव लइका सियान एक वेशभूषा पहन के कौड़ी के  सिंगार मुड़ म मयूर के पंख बाध के मादर के थाप म डंडा बजा के कुहकी पार के नाचथे

चौथा लोकगीत करमा गीत

करमा म भी श्रृंगार करके मादर के थाप गीत गाकर महिला पुरुष नाचथे ये हमर सरगुजा क्षेत्र म जाता होथे 

पांचवा लोकगीत बांसगीत

लोकगीत म बांसगीत गाए जात रहीस बांस के बने वाद्य यन्त्र मुंह से बजाय जा थे एमा लोरिक चंदा के प्रेम कहानी हे

छठवां लोकगीत चदैनी के हावय

लोरीक अव चंदा के अगाध प्रेम कथा हे 

सातवे लोकगीत भरथरी एमा ढोला मारू के प्रेम कथा हे

जैसे घोड़ा रोवय घोड़सारे म हाथी रोवथे ना  हाथी रोवय सारे हाथिसारे म

आठवी लोकगीत पंथी हे एक लय जोश म बाबाजी कथा गाए जा थे 

छत्तीसगढ म लोकगीत के कोई कमी नईए ये धरोहर ल सकेल के रखना वर्तमान पीढ़ी के हे छत्तीसगढ म अनेक विधा लोकसंगीत के अथाह भंडार हे

जय छत्तीसगढ

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