Friday 5 August 2022

छत्तीसगढ़ के गांव मन मा प्रयोग म आनेवाला मशीन अउ औजार के नाम विवरण अऊ उपयोगिता






छत्तीसगढ़ के गांव मन मा प्रयोग म आनेवाला 

मशीन अउ औजार के नाम विवरण अऊ उपयोगिता 

१. बसुला :- बसुला ह लोहा के औजार आए जेन ल हमन लकड़ी छोलेबर, बेंठ धरायबर अउ आने आने कइठन काम म उपयोग करथन । एमे लकड़ी के बेंठ लगे रहिथे । 

२. बिंधना :- बिंधना ह लकड़ी के कोनो समान बनाये बर अउ चौकोर आयताकार लकड़ी म गहराई करे म प्रयोग होथे ।  बिंधना म कम चौड़ाई वाले धार दार लोहा के मोटा पट्टी लगे रहिथे । 

३. पटासी :- पटासी अऊ बिंधना के लोहा के आकार म अंतर रहिथे । पटासी म चौड़ा धारदार लोहा के पट्टी चार पांच इंच के लंबाई म लगे रहिथे एकर प्रयोग बिंधना म लकड़ी ल छेदे बेधे के बाद ओखर आकार ल सफाई दे म अउ झारे म प्रयोग करें जाथे । 

४. आरी :- आरी ह लकड़ी काटे के औजार आए एला एकेझन चलाय जा सकत हे । एहा उल्टा धार अऊ सीधा धार के घलो होथे । एखर मुठ वाले भाग ह चौड़ा रहिथे अउ आखिरी छोर डहर ह सुल्लू आरी के पट्टी म तिनकोनिया धार लंबा बने रहिथे । एला धार करेबर कन्नाछी प्रयोग करे जाथे ।

५. आरा :- आरा ह घलो लकड़ी काटे  के औजार आय फेर ऐ हा आरी ले भारी होथे । एखर दांता घलो बड़े होथे अउ लंबाई ह पाँच से छह हाथ रहिथे । लकड़ी के बड़े-बड़े गोला ल काटेबर आरा के प्रयोग होथे । आरा चलाएबर दुझन मइनखे लागथे । आरा के दुनों डाहर मूठ लगे रहिथे ।

६. निहई :- निहई ह लोहा के औजार आए जेखर प्रयोग लोहा ला अकार प्रकार देबर अउ टेंडग़ाय जिनीस ल सोझियाय बर करे जाथे । ए ह आधार के काम करथे । निहई ह स्थायी रूप म रहिथे जेला जरूरत के हिसाब से उपयोग करथन । 

७. ठीहा :- ठीहा लकड़ी के बनाय जाथे । लोहार अऊ बढ़ई घर के लकड़ी के ढीहा बड़भारी अउ मजबूत रहिथे । जेला बने पोठ जगा म स्थायी रूप से गडिय़ाय जाथे । ए ह लकड़ी ल आकार दे बर अउ छोले काटे बर आधार के काम करथे । 

८. भंवारी :- भंवारी ह लकड़ी म छेदा करे के औजार आए । भंवारी लकड़ी के बनाए जाथे । एमे दोनो डाहर लोहा के राड लगे रहिथे उपर डाहर छोटे खुंटी असन अउ नीचे डहर लंबा पतला राड रहिथे जे म त्रिकोणधार बने रहिथे । भंवारी चलायबर पहिली दू झन जरूरत पडय़ अब तो कुंदवा भंवारी आ गेहे जेन ल कमानी म रस्सी फसा के एके झन लकड़ी म छेदा कर सकत हे । समय के संग बदलाव होगे अब तो बिजली म चलईया ड्रील मशीन ओकर स्थान ले लिस । 

९. गिरमिट :- पहिली बढ़ई मन लकड़ी म दू सूत, तीन सूत, पौन इंची, आधा इंची छेदा करेबर गिरमिट के उपयोग करय । गिरमिट ह लंबा राड के बनथे । गिरमिट के सुरू भाग म लगभग पाँच, छ: इंच तक लोहा ह पट्टी के आकार म अंइठाए रहिथे अउ फुलगी म दु ठन धार बने रहिथे दुनो धार के बीच म नोकदार चुड़ी बने रहिथे जेन लकड़ी के भीतर जाथे । धीरे-धीरे घुमा के अपन हिसाब से लकड़ी के चौखट, पल्ला, पाटी, बेड़ी, कपाट, मेयार म छेदा करे जा सकत हे । एकरो स्थान ल इलेक्ट्रानिक ड्रील मशीन ह ले लिस ।

 १०. सुंबा - सुंबा लोहा के औजार आय । एखर प्रयोग ठेंसाय खीला-खंूठी के उभार ल बराबर करे म अउ छोटे जगह जिहां हथौड़ी के मार नइ पड़ सकय अइसन जगा म होथे ।

११. गुनिया :- गुनिया ह बढ़ई लोहार मिस्त्री मन के औजार आय एकर प्रयोग हमन कोनही ला बराबर मिलायबर करथन । आयताकार वर्गाकार सामान के सही माप बर गुनिया बड़ काम के हे । खिड़की, चौखट ल गुनिया के आधार ले बनाए जाथे । 

१२. झिरी रोखी :- झिरी रोखी के आकार ह छोटे रहिथे अउ एमा लोहा के धारदार पतला पट्टी लगे रहिथे । घर के दरवाजा चौखट बेड़ी मेयार के कोर म लंबा किनारी रहिथे वोहा एखरे कमाल आय ।

१३. कन्नाछी या कानछ - कन्नाछी ह कच्चा लोहा के तिनकानिया राड आय जेमा लकड़ी या प्लास्टिक के बेंठ लगे रहिथे । एखर तीनों डाहर पतला-पतला आड़ा कट अब्बड़ अकन बने रहिथे । आरी-आरा, गिरमिट, भंवारी के धार बनाए बर एकर प्रयोग करथन ।

१४. सुजियारी - सुजियारी के फुलगी ह सुचकू होथे ए ह लोहा के रहिथे अउ लकड़ी के बेंठ लगे रहिथे  एकर उपयोग हमन भंवारी, गिरमिट म जोन छेदा करे रहिथन तेन ल थोड़ा बढ़ाय म करथन । एकर अलावा लकड़ी म खीला ठोके के पहिली सुजियारी म जगा बनाथन जेखर ले हमला चुड़ीदार स्क्रू कसे म अउखीला ठेंसे म सहुलियत होथे ।

१५. रोखी - रोखी ह लकड़ी के पल्ला या कपाट बेड़ी ला रोखे चिकनाय के काम आथे । एला एकेझन चलाय जा सकत हे । रोखी के बीच म लोहा के धारदार चौड़ा पट्टी लगे रहिथे । 

१६. रेंदा - रेंदा ह रोखी ले बड़े साइज के होथे एकरों बीच म धारदार पट्टी लगे रहिथे । मेयार अउ बड़े लकड़ी ला चिकनाए अउ साइज करे म एकर प्रयोग करे जाथे एला दु झन मिल के चलाए जाथे । 

१७. टेवना पखरा - हमर गांव देहात म किसान भाई, बढ़ई, लोहार मन टेवना पखरा के माध्यम ले जम्मो औजार के धार ल बनाए अउ टेंय खातिर एकर प्रयोग करथे । 

१८. टेंड़ा - नंदिया, नरवा तीर खेती करइया किसान भाईमन पहिली जमाना म टेड़ा के माध्यम ले अपन खेत के सिंचाई करय । टेड़ा ल तीन ठन बड़े बड़े लकड़ी के माध्यम ले बनाये जाथे दूठन लकड़ी गड़े रथे अउ एकठन लंबा लकड़ी ला उपर मा दुनों लकड़ी म राड के माध्यम ले फँसाय जाथे । उपर फसें लकड़ी के आखिरी भाग म पथरा के भार लगे रहिथे । अउ दुसरा भाग म फुलगी म रस्सी लगे रहिथे जे म बाल्टी बांध के कुंआ, नंदिया, नरवा, ले पानी ल निकाल के किसान भाई मन पहिली जमाना म अपन खेत म ले जावय । 

१९. ढिबरी :- एला चिमनी घलो कहिथे । पहिली जमाना म बिजली के सुविधा नइ रिहिस तब अपन घर-दुवार ल अंजोर करे बर ढिबरी या चिमनी के प्रयोग करय । ए ह कोई भी छोटे सीसी या डब्बा ले आसानी से बनाय जा सकत हे । ढिबरी या चिमनी म माटी तेल भरे जाथे अउ ओमा बाती घलो लगे रथे । बिजली के बंद होय म हमर गांव गवई म आज भी चिमनी जलाय जाथे ।

 

२०. अकोसी :- आकोसी दो प्रकार के होथे लकड़ी टोरे के अउ मुनगा टोरे के । अकोसी लंबा बांस ले बनाए जाथे फुलगी म छेदा करके ओमा कोकड़ी राड़ लगाय जाथे पेड़ के सुखाय लकड़ी ल नीचे म रहिके आसानी से एमा टोरे जा सकत हे । मुनगा टोरे के अकोसी बनाए बर बांस या बांस के फाँकी कमचील के फुलगी ल चीर के ओमा छोटे असन कमचील के टुकड़ा ल अरझा के बांध देथन । ए अकोसी ले हमन मुनगा के अलावा कई ठन फल अउ गंगा अमली ल घलो टोरथन ।

२१. खलिहा :- खलिहा के स्वरूप ह अकोसी ले थोकिन मिलथे फेर ऐमा अंतर घलो हे । खलिहा बनाए बर घलो बांस के जरूरत पड़थे ।जेकर फुलगी म घुमावदार लोहा के धरहा पट्टी लगे रहिथे। उही आकार के जूट के बोरा या झोरा ओमा बंधाए रहिथे । खलिहा ह मुख्य रूप से आमा टोरे के काम आथे । आमा ह पट्टी के सहायता ले कट के झोरा म भरा जथे एखर से आमा ह भुइया म गिरे अउ नुकसान होय ले बच जाथे ।

२२. खुमरी :- बांस के बनाए जाथे ए ह गोल रहिथे । एला राउत भाई और किसान मन गरमी अउ बरसात ले बचे बर प्रयोग करथे । खुमरी के ऊपर भाग म पाना पतई अउ झिल्ली छवाय रहिथे । 

२३. नाहनी :- नाहनी ह नाखून काटे के औजार आए । नाहनी हमर पारंपरिक नेल कटर हरें । नाऊ ठाकुर के अलावा एला किसान भाई मन घलो रखे रहिथे । 

२४. लोचनी :- लोचनी ह छोटे चिमटी बरोबर काँटा निकाले के औजार आय । खेत खार म किसानी बूता के समय कोनो काँटा गढ़ जाए त ओला लोचनी ले निकालय ।

२५. गरी :- गरी म मछरी फँसाय जाथे । गरी बनाए बर पतला बाँस के जरूरत पड़थे । बाँस के फुलगी म तांत के लंबा तार बंधाए रहिथे अउ तांत के फुलगी म कोकड़ी वाले गरी फंसे रहिथे । गरी खेले के पहिली ओमा गेंगरवा अउ गहँू पिसान के चारा फँसाय जाथे । तांत के बीच म संकेत बर फोहई लगे रहिथे । एखर से मछरी फँसे के संकेत हमला पता चल जाथे । 

२६. नोई :- हमर राउत भाई मन गाय ल दूहत खानी छोटे बछरू अउ गाय ल नोंई म बांधथे । नोंई ह गाय के काटे हुए पुछी के बाल से बनाए जाथे । नोंई के लबाई लगभग तीन चार हाथ रहिथे ।

२७. पहुरा :- पहुरा ह गरवा बांधे के काम आथे लकड़ी के बनाए जाथे । एकर लम्बाई ड़ेढ दू हाथ रहिथे । पहुरा के दुनों डाहर छेदा रहिथे जेमा रस्सी के कनौरी फंसे रहिथे । 

२८. गरदेवा :- गाय गरू बइला, भईसा के गर म स्थायी रूप से जौन रस्सी बँधाय रहिथे ओला गरदेंवा कहिथे । गरवा बछरू ला बांधथ खानी गरदेंवा ह ओला आसानी से पकड़े म सहायक होथे । 

२९. खडख़ड़ी :- खडख़ड़ी लकड़ी के खोल वाले रहिथे ओखर बीच म लकड़ी के खुटी लगे रहिथे । जेन झुलत रहिथे अउ आवाज करथे । जेन गरवा बछरू बरदी ले भागथे ओमा राऊत भाई मन खडख़ड़ी ल बाँध देथे ताकि ओमन ला गरवा ला खोजे म सहुलियत होय । एखर से बरदी अउ गरवा के दिशा के ज्ञान घलो होथे । 


३०. लाहंगर :- हरही गरवा बछरू मन बर लाहंगर के प्रयोग करे जाथे । एहा गोल लंबा लकड़ी के बनथे जेकर एक भाग म छेदा रहिथे उही म कनौरी फँसे रहिथे । लाहंगर बंधाय ले गरवा मन ज्यादा भागन नइ सकय ।

३१. लादका :- अदरा बछवा ला बख्खर म फांदे के पहिली ओखर गला म लकड़ी के लादका पहिराये जाथे । एखर से बछवा के खांध ला भार सहे के आदत बनथे । 

३२. कोटना :- कोटना ह पखरा के बड़े पात्र आय एमा हमर पशुधन मन ला पानी पियाथन अउ कोड़हा भुसा खवाथन । एकर अगल-बगल गाय बछरू ला बांधे बर खंूटा गड़े रहिथे । 

३३. घंघुरू :- हमर ग्रामीण जन जीवन म घुंघरू के प्रयोग अलग-अलग ढंग ले करथन । घुंघरू पीतल के रहिथे । ओमे छोटे-छोटे लोहा के छर्रा भराय रहिथे । घुंघरू के गुच्छा ल हलाय म सुग्घर आवाज निकलथे । किसान भाई मन छोटे बछरू, पडिय़ा, पंड़वा के गला म घुंघरू पहिराथे । घंघरू के संख्या कम हे त ओला गोड़ म घलो बांध देथे । घुंघरू ह संकेतक के काम करथे हमर बछरू ह घर म हवय एकर आभास कराथे । संगे संग बछरू कभू गली खोर डाहर भागही तेन ल खोजे म घलो सहायक हे । घुंघरू के उपयोग ग्रामीण कलाकार मन नाचा गम्मत संग कईठन उत्सव म घलो 

करथे । 

३४. घांघँरा :- घांघँरा ह घंघुरू के बड़े रूप आय यहु पीतल के रहिथे । घांघँरा म बड़े बड़े छर्रा भराय रहिथे । घांघँरा मूल रूप से बइला के गला म पट्टा म गूँथ के पहिराय जाथे । घुंघरू ले एकर आवाज मोटा होथे यहु ह  संकेतक के काम करथे । घांघँरा बंधाए बइला जब गाड़ा अऊ खांसर म फंदा के दउड़थे त नवा संगीत के संचार होथे । 

३५. निसेनी :- हमर गंवई म निसेनी बहु उपयोगी हे । निसेनी बांस के बनथे अपन उपयोगिता के हिसाब से एकर ऊँचाई ल रख सकतहन । दू ठन मजबूत बांस म लकड़ी या निंधा बांस के पक्ति लगा देथन उही निसेनी आय । छानी परवा म चढ़े बर अऊ पटउंहा म चढ़ेबर निसेनी के उपयोग करथन  

३६. राचर :- राचर ह बारी बखरी अउ बियारा के माहटी म लगाय जाथे । आवश्यकता के अनुसार एकर लंबाई अउ ऊँचाई रहिथे । राचर मोटा अउ लंबा लकड़ी के बनाए जाथे । एक तरफ बड़े गोल छेदा रहिथे । जेन ह जमीन म गड़े लकड़ी म फंसे रहिथे । राचर के एक तरफ दूखंधियाँ थून्ही, गड़े रहिथे जेमा संकरी फंसा के तारा घलो लगाथन । एक छोर से दूसर छोर तक राचर म आयताकार या चौकोर छेदा रहिथे जेमा अब्बड़ अकन खंूटा लगे रहिथे । बोरझरी, छिंद के पत्ता, बेसरम लकड़ी ल खंूटा म फंसाय जाथे । 

३७. भांड़ी :- पहिली बियारा बखरी म भांड़ी चढ़ाय जाए । भाड़ी ह एक प्रकार से माटी के आहता आय बरसात के बाद बियारा बखरी के आहता म भांड़ी चढ़ा के ओला ऊँचा करय एकर बर माटी ल मता के ओमा पेरौसी अउ कोदो पेरा ल मिला के भाड़ी ल छाबय । भाड़ी के ऊपर भाग म बोरझरी काँटा ल खोंचय ताकि बियारा बखरी के सुरक्षा हो सकय । 

३८. चतवार :- चतवार ल किसान भाई खेत के अनावश्यक  पानी के निकासी के समय प्रयोग करथे ऐ हा मोटा अऊ चौड़ा पटनी के बनथे । चतवार के माध्यम ले खेत के गढ्ढा जगह म भरे पानी ल खेत के मुही ले निकालथन ।

३९. नकवार :- नकवार ह विशेष प्रकार के चिमटीनुमा औजार आय जेन नाऊ ठाकुर मन करा रहिथे ऐहा नाक के भीतर के अनावश्यक बाल हे ओला उखाड़े म काम आथे । 

टीप :- छूट गे हवय तेन विषय म अउ कभू विस्तार ले चर्चा करबोन.....

लखनलाल साहू च्च्लहरज्ज्

्रग्राम - मोखला, पोस्ट - भर्रेगांव 

जिला व तह.- राजनांदगांव (छ.ग.)

मो. ९६३०३१२१९७

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