Monday 15 August 2022

सुरता-महेन्द्र देवांगन "माटी" जी के


 

सुरता-महेन्द्र देवांगन "माटी" जी के


समाचार पत्र के ऊपर ले गुजरइया हरेक नजर महेंद्र देवांगन माटी जी ल जानथे अउ पहिचानथे। साहित्य म रूचि रखइया पाठक मन तो माटी जी ल खोज के पढॅंय। परब-तिहार के बेरा के अंक म तो माटी जी के प्रकाशित रचना ह विशेष आदर पावय, काबर के परब तिहार ले जुड़े लोकमान्यता,परम्परा,तिहार मनाय के तरीका,विधि-विधान ल बड़ सुग्घर ढंग ले माटी जी ह अपन रचना म प्रस्तुत करत राहय। महेंद्र देवांगन"माटी"जी के प्रसंशक अउ पाठक मैं अपन महाविद्यालयीन अध्ययन समय ले हॅंव। ओ समय ले ले के आज तक उनला सरलग पढ़त हॅंव। शिक्षण कार्य म आय के बाद पठन के संग लेखन म घलव हाथ आजमाय ल धर लेंव।इही बीच भाई हेमलाल साहू जी के कृपा ले परमपूज्य गुरुदेव श्री अरुण कुमार निगम जी के सानिध्य मिलिस। छन्द के छ सत्र-03 के कक्षा म गुरुदेव चोवाराम बादल अउ गुरु दीदी आशा देशमुख मनके आशीर्वाद मिलिस। छन्द के साधना शुरू होइस। गुरुज्ञान प्रसाद के परताप आय जेखर कारण फेसबुक म छत्तीसगढ़ के साहित्य जगत के ख्यातनाम साहित्यकार मन फेसबुक फ्रेंड बनना स्वीकार करत गिन। एक दिन रतिहा के बात आय फेसबुक ल कोचकत रहॅंव के महेंद्र देवांगन माटी जी के फोटू मोला दिखगे add friend लिखाय, देरी कहॉं करतेंव तुरते फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज दियेंव। बिहनहा देखेंव त माटी जी ह मोर फ्रेंड रिक्वेस्ट ल स्वीकार कर ले राहय।मन म बड़ खुशी होइस। अब सरलग माटी जी के रचना पढ़े बर मिले लगिस। छन्द कक्षा म अभ्यास के दौरान लिखाय रचना ल फेसबुक म सेयर करे के बड़ उत्सुकता राहय। रचना म माटी जी के प्रतिक्रिया अउ प्रोत्साहन सरलग मिले लगिस। एक दूसर ल जाने चिन्हे लग गेन। 10 जनवरी 2018 के गुरुदेव के पोस्ट के माध्यम ले सुखद समाचार मिलिस के माटी जी अब हमर छन्द के छ सत्र-06 के छन्द साधक बनगे हे।इही बीच असमंजस देखव, सत्र-06 म गुरु के भूमिका म गुरुदेव जी ह अजय अमृतांशु सर के साथ मोरो नॉंव ल शामिल कर दिये हे। असमंजस एखर सेती रहिस के जेखर रचना ल पढ़त पढ़त मैं लिखे बर धरे रहेंव अब ओखरे रचना ल जॉंचे के बड़का दायित्व निभाना परही। महेंद्र देवांगन माटी जी के महानता देखव उन कब्भू अपन आप ल वरिष्ठ के रूप म प्रस्तुत नइ करिन। हमेशा मन लगाके छन्द अभ्यास करिन अउ कक्षा के मार्गदर्शन ल सहज स्वीकार करिन।

माटी जी के अन्दर एक बीस वर्षीय युवक सहीं सीखे के ललक अउ उत्साह देखते बनय। आजो ओ दृश्य ह मोर बर वंदनीय अउ प्रेरणादायक हे। लगभग चार महिना बाद मनीराम साहू मितान जी के संयोजन म दिनांक 13/05/2018 के सिमगा म छन्द के छ के तीसरइया आयोजन होइस। इही आयोजन म मोर भेंट श्री महेन्द्र देवांगन माटी जी ले आमने-सामने होइस। माटी जी गला मिलके भेंट करे रहिन। आत्मीय भेंट के ओ सुरता जब जब आथे ऑंखी म ऑंसू भर देथे। सेना के जवान सहीं पॉंच हाथ ऊॅंचा गोरिया-नरिया पोठ शरीर वाले जवान के भीतर सरल सहज सौम्य बहुत भावुक कोंवर कवि हृदय वाले व्यक्तित्व के दर्शन होय रहिस। साहित्य के ओ विभूति ह कच्चा काया के तासिर ल जइसे जानत रहिस हे तभे अपन आप के परिचय महेंद्र देवांगन "माटी" देवत कार्यक्रम म मार्मिक मनभावन दोहा अउ रोला के प्रस्तुति दिये रहिस हे। ए कार्यक्रम के बाद मेल-जोल अइसे बाढ़िस के जिला म आयोजित होवइया लगभग सबे कार्यक्रम म उॅंखर साथ मंच शेयर यर करे के अवसर मिलत राहय। जिला ले बाहिर के कार्यक्रम चाही ओ हमर छन्द के छ के आयोजन होवय के अन्य साहित्यिक मंच के आयोजन होवय, जब भी जावन ज्ञानू मानिकपुरी जी, बोधनराम निषादराज जी, डी पी लहरे जी, रामकुमार साहू जी, अश्वनी कोसरे जी, मैं अउ माटी जी सॅंघरा आवन-जावन। छन्द के छ के चौथइया आयोजन के आयोजक बने के सौभाग्य जब कबीरधाम जिला ल प्राप्त होइस त ये आयोजन ल सफल बनाय बर माटी जी तन मन धन ले सहयोग तो करबे करिन संगे संग उॅंखर गहिरा अनुभव ले बहुत मदद मिलिस। गुरुजन मनके मार्गदर्शन अउ आशीर्वाद ले सबोझन जुरमिल के कार्यक्रम के आयोजन दायित्व ल ठीक ठीक निभा पायेन। माटी जी के व्यवहार जम्मो झन संग मित्रवत राहय। उॅंखर साहित्यिक अनुभव ले हमेशा कुछ न कुछ सीखे ल मिलय। एक बेर उन बतावत रहिन के कोई अजनबी महिला ह बस म सफर के दौरान उॅंहला पहिचान लिस अउ अपन आप ल उॅंखर प्रसंशक बताइस। जइसे सॉंगर-मोंगर माटी जी ल पहिली बार सिमगा म देखे रहेन वइसने सॉंगर-मोंगर अपन 15 अगस्त के पोस्ट म तिरंगा ल सलामी देवत दिखिन। कोन जानत रहिस के ये पोस्ट ह उॅंखर आखरी पोस्ट हो जही। 16 अगस्त के लोकाक्षर म उॅंखर निधन के दुखद समाचार पोस्ट होइस। फेर ये दुखद खबर म कोनो विश्वास नइ करिन। कुछ समय बाद उॅंखर बेटी ले संपर्क साधे गिस, निधन के खबर के खंडन आइस त थोकन राहत मिलिस। तहॉं निधन के खबर फेर वायरल होय लगिस। इही बीच गुरुदेव श्री निगम जी ले बात होइस गुरुदेव बड़ व्याकूल लगिन। मिनेश साहू जी ले बात होइस उहून बहुत ब्याकूल दिखिन। माटी जी के पोस्टिंग पण्डरिया म रहिस, उन उहें निवासरत रहिन। पण्डरिया वाले साहित्यकार साथी मन ले फोन करके पूछेन उहू मन ब्याकूल दिखिन। घण्टा दू घण्टा बाद आखिरकार ओ दुखद खबर ह पूरा छन्द के छ परिवार सहित छत्तीसगढ़ के साहित्यक जगत अउ साहित्यक रूचि रखइया पाठक मन ल ऑंसू गिरा के रोय बर मजबूर कर दिस।16अगस्त 2020 माटी जी हमर बीच नइ रहिन। माटी जी अपन कालजयी रचना मन म सदा अमर रइहीं। उॅंखर पुण्यतिथि के अवसर म उनला शत् शत् नमन। विनम्र श्रद्धांजलि। 💐💐💐🙏


सुखदेव सिंह"अहिलेश्वर"

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