हमर छत्तीसगढ कृषि प्रधान प्रदेश हरे.इहां धान, गहूं, सोयाबीन,तिली,अरसी, सूरजमुखी,कोदो,रागी,चना,मसूर,लाखड़ी -लाख ,मटर, उड़िद, मूंग, कुसियार के संगे -संग नाना प्रकार के सब्जी बोंय जाथे.खेती किसानी करे बर किसम- किसम के औजार उपयोग म लाय जाथे.
दउंरी - बियारा के बीच म ठाहिल लकड़ी ल गड़ियाय जाथे. वोकर चारो मुड़ा जउन फसल ल मिंजना हे वोला बगराय जाथे. फेर बइला - भइंसा ल दउंरी म बांध के गोल घुमाय जाथे.जरुरत अउ सुविधानुसा बइला - भइंसा के जुगाड़ करके फसल ल मिंजथे . बाद म येकर जगह बेलन, गाड़ा अउ ट्रेक्टर ह ले लिस.
बेलन - धान, गहूं अउ उन्हारी मिंजे के काम आय.अब नंदावत हे. बेलन ले जल्दी गाड़ा अउ ट्रेक्टर म फसल ह मिंजाथे तेकर सेति येकर चलन अब कम होगे हे.
पंखा- लोहा के बने होथे. पांच -छै फुट ऊंचा रहिथे. धान अउ आने फसल ल मिंजई के बाद ओकर दाना ल ओसाय के काम आथे जेला हाथ म ओटथे. येकर ले पोठ दाना मन तीर म माड़़ जाथे अउ बोदरा,भूंसा अउ पेरोसी मन दूरिहा फेंका जाथे. नवा जमाना म हाथ ले ओटे पंखा ह नहीं के बराबर हे.काबर कि अब इलेक्ट्रॉनिक पंखा अउ कूलर ले जादा ओसाय के काम होथे.
चलनी - लकड़ी अउ टीना मिला के चलनी बनाय जाथे. येमा गोटी-माटी, कांड़ी -खूंटी ह अलगा जाथे. अब तोओसाय के इलेक्ट्रॉनिक मशीन म चलनी लगे रहिथे.
ढेरा - लकड़ी के बनाय जाथे. येकर ले कांसी, बगई, सन काड़ी,डोरी पटवा , बइला- भैंसा के पूछी के बाल ल
ल आंट के रस्सी बनाय जाथे. फेर येकर उपयोग खटिया गांथे बर, गरुवा मन के काछड़ा,राउत मन के नोई, अउ
फसल ल बांधे बर काम म लाय जाथे.
पैरा कुट्टी मशीन - येकर ले पैरा ल छोटे -छोटे टुकड़ा करे जाथे ताकि मवेशी मन चाव ले खा सके. कोटना म पानी संग बोरके, कोड़हा, दाना,खल्ली मिलाके खिलाय जाथे.
रिपर - फसल कांटे के काम आथे. बनिहार के समस्या के हल अउ समय के बचत के रुप म येकर उपयोग हे. येहा बैटरी ले चलथे.एक आदमी हाथ म धरके चलाथे.येमा दू चक्का रहिथे .
हार्वेस्टर - धान अउ आने फसल ल कांटे के आधुनिक मशीन हरे येमा कटाई अउ मिंजई दूनों काम होथे. बनिहार के समस्या के हल अउ समय के बचत के रुप म अब्बड़ उपयोग हे. पंजाब अउ हरियाणा म जादा हे. छत्तीसगढ़ के गिने चुने किसान मन कर हार्वेस्टर हे.
ट्रैक्टर - ट्रेक्टर आज किसान के सबले बढ़िया मितान बन गे हवय.
जेन काम बर अलग -अलग साधन
नांगर, गाड़ा, बेलन, दंउरी, कोप्पर के जरुरत पड़य वो सबो काम ल अकेलच
ट्रैक्टर ह करत हे. घुरवा ले खातू ल खेत तक ले जाना, खेत ल बराबर करना, खेत ल जोतना, मंतई करना, फसल कंटे के बाद वोला डोहारना, फसल के मिंजई करना , फसल ल बेचे बर सोसायटी/ मंडी तक ले जाना, खंती खनना, माटी,ईंटा,पत्थर, सीमेंट, लकड़ी डोहरई जइसन नाना प्रकार के काम ल ट्रेक्टर ह करत हे. येकर ले बनिहार के समस्या हल अउ कम समय
म काम होवत जावत हे. ट्रैक्टर ले कतको मजदूर मन के रोजी- रोटी घलो चलत हे.
स्पेयर - फसल ल कीरा -मकोरा ले बचाव बर दवाई छिड़काव करे जाथे.ये काम म स्पेयर के उपयोग करे जाथे. आज हाथ ले चलाय अउ बैटरी ले चले के स्पेयर उपलब्ध हे.
पोकलेन - पोकलेन/ बुलडोजर के उपयोग भारी -भरकम चीज ल सरकाय बर, गड्ढा खने बर, जर्जर मकान ल तोड़े बर, नेंव बनाय बर,नाली मन ल साफ करे बर, खंती खने बर जइसन कतको काम म उपयोग होथे.
आरा मशीन - मकान बनाय अउ चूल्हा म जलाय बर आरा मशीन ले लकड़ी चिरई करे जाथे.
घास कटर- घास अउ फसल कांटे के छोटे मशीन जेला हाथ म पकड़ के चलाय जाथे.
टुल्लु मशीन - नदिया,नरवा,तरिया,डबरा, बोर,कुंवा,नल ले पानी खींचे बर येकर उपयोग करे जाथे. फसल म पानी पलोय, मकान बनाय, पीये के पानी बर,नहाय बर टुल्लू मशीन के उपयोग होथे.
सिगड़ी - चूल्हा के रूप हरे. माटी,अउ लोहा के बनाय जाथे. भात- साग,चाय बनाय के काम आथे. अब इलेक्ट्रॉनिक सिगड़ी घलो उपलब्ध हे.
गैंस चूल्हा - येहा चूल्हा के नवा रुप हरे.गैंस ले चलथे. आज गांव-गांव म गैंस चूल्हा के जोर हे.
इन्डेन - इलेक्ट्रॉनिक चूल्हा.
मिक्सर - इलेक्ट्रॉनिक मशीन जेमा दाल, मिर्ची, धनिया पीसे जाथे.चटनी बनाय जाथे.
ओमप्रकाश साहू अंकुर
सुरगी, राजनांदगांव
मो.7974666840
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