Thursday 18 August 2022

गुड़ी चौक के हटरी •

 • गुड़ी चौक के हटरी •


आज के बेरा म भले हे अब गांव - गांव मन म साग - सालन के बजार लगत हे फेर बीस बछर पाछू सब्बो गांव के गुड़ी चौक म रोज बिहनिया पाँच बजे ले  लेके गरुवा ढिलावत तक हटरी बइठय जहां राऊत हांका पारतिस तंह हटरी उचकय | नदिया के खंड़ म साग भाजी के बोंवइया किसान मन रोज बिहनिया ले कांवर , साइकिल अऊ मुड़ बोझा म घलो माइलोगिन मन बोहके आवंय |सब्बो घर के लइका,सियान चाहे कोनों भी रोज बिहनिया हटरी जातिन अऊ साफ हरा - भरा साग लेवंय गांव के चौक म मिलके सब एक दुसर ल राम राम कहतीन फेर हालचाल , खेती - किसानी के गोठ गोठियावय, खातू, निंदई,पानी,बियासी के संगे - संग कोन आज कती खेत डहर जइसे धरसा, भर्री,खूंठन, गरोसा,बहरा  जात हे ओती के मुंही देखे बर कहय एक नानकुन मेला कस रोज के अइसने माहौल रहय साग बिसइया मन सिरिफ एक दिन के पुरता ही साग लेवंय काबर कि ए हटरी तो रोज बइठना होवय |


गांव के सुमत,मया,परेम, सहयोग के बढ़वार मा हटरी के अपन महती भूमिका रहिस अब बखत के सरुप बदलगे हावय काखरो मेर अतका फुरसत नइ हे के घड़ी भर बइठके गोठिया लेवंय | बुढुवा बबा ए सब गोठ बात बतावत रहिथे अऊ कहत रहिथे गांव गंवई के मिठास नंदागे न तो दया -  मया बाँचिस न ही कोनों चौरा एक दुसर के मया सिरागे अऊ सपना होगे हटरी के जुरई |


       शशिभूषण स्नेही

       बिलाईगढ़ (कैथा)

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