Wednesday 10 August 2022

छत्तीसगढ़ के गाॅंव मा तरिया के महत्व*- रीझे यादव


 फोटो-दर्री तरिया सुरगी,राजनांदगांव


*छत्तीसगढ़ के गाॅंव मा तरिया के महत्व*


तरिया हा छत्तीसगढ़ में निस्तारी के साधन मात्र नइ होवय।ये हर हमर गंवई परंपरा अउ रीति रिवाज के चिन्हारी घलो हरे। बड़े बड़े गौंटिया अउ मंडल मन अपन पुरखा के नाॅंव ला जगाय खातिर अउ गाॅंव के गरीब मनखे मन ला रोजगार दे खातिर तइहा बेरा मा कुंआ,बाउली अउ तरिया खनवावय। छत्तीसगढ़ मा बंजारा जाति के बेपारी मन बिकट अकन तरिया खनवाय हवै।कहूं ना कहूं मेर नायक तरिया या नायक बांधा मिली जथे।गांव मन घलो उही तरिया मन के नांव ले धरे गे हवै।

तइहा के बेरा मा कुंआ के पानी ला रंधनी,बरतन के धोवई मंजई अउ बारी बखरी पलोय बर बउरे जाय।मनखे के नहाय, कपड़ा धोय बर अउ मवेशी धोय बर तरिया मा ही लोगन जावय।

मरनी हरनी के सबो नेंग नियम तरिया पार मा ही होवय।गांव के जंवारा,भोजली,गौरी गौरा अउ गणपति विसर्जन घलो तरिया मा ही करे जाय अउ आज भी करे जाथे।पितर पाख मा पुरखा ला पानी देवई अउ कतको धार्मिक कार्यक्रम मा तरिया के पानी ले ही संपन्न होवय।

पहिली पटवा डोरी निकाले बर वहू ला पानी में बोर के रखे राहय।तरिया पार मा ही कतको गांव मा शीतला दाई के मंदिर हवै।बर, पीपर के रुख अउ शिवजी के मंदिर छत्तीसगढ़ के तरिया के चिन्हारी आय।कहूं कहूं गांव में तरिया के मेड़ मा अमरईया घलो देखे बर मिलथे।

ननपन मा तरिया मा ही डेरा रहे हमर।मछरी टमरई अउ बर रूख के लाहा में झुलना झूले में बड़ मजा आवय।फेर समय बदलत गिस।मनखे सुविधा भोगी होवत गिन।

आज घरो घर नल हवै।एक बांगा पानी में मनखे नहा डारत हे।काकरो कना समे नइहे मुखारी घसरत तरिया पार मा बइठे के। जब कोनो जिनिस के वास्तविक  उपयोग सिरा जथे ता मनखे ओला आने चीज बर बउरे ला धर लेथे।वइसने अब गांव के तरिया मन नहाय खोरे बर उपयोग नइ होवत हे बल्कि गंजहा दरुहा मन के अड्डा बनत हे।कचरा फेंके के घुरवा बनत हे।कभू काल मरनी हरनी के बुता मा मनखे जथे त नाक ला बंद करके दू बूंद पानी के छींटा मार के मरनेवाला ला पानी देवत हे।अतेक दुर्गति होगे हे तरिया के।

हमर पुरखा काहय कि जेन तरिया अउ कुंआ ला पाटथे ओमन निरबंशी हो जथे।आज मनखे के लालच अउ अलाली सबो ला लीलत हे।


*रीझे यादव,टेंगनाबासा(छुरा)*

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