Wednesday, 4 June 2025

तइहा अउ आज के मीत मितानी (मित्रता)* -

 *तइहा अउ आज के मीत मितानी (मित्रता)* - 





तइहा के बेरा म मीत मितानी के एक अलगेच पहिचान... स्थान अउ महत्तम रहय कहिथें.…पहिली के लोगन मन ल जेन मनखे या कोनो परिवार के मनखे मन ह भा जावय... हिरदे अउ मन मिल जावय तहां ले ओ रिश्ता ल घनिष्ठ अउ बिसवश्नीय बनाय बर... महापरसाद, गंगाजल,भोजली,जंवारा ,गंगाबारू, तुलसी जल, गंगाजल , दावना,दल परसाद... जइसे...मित्रता के बंधना म बांध डरय..बंधा जावयं...अउ... एक घांव जेन ये पबरित बंधना मा बंध जावय तेनहा कई पीढ़ी तक बर बंधा जावयं...जनम जनम के नता गोता के नार बियार लमिया जावय ...ए पबरित बंधना म बंधे बर कोनो जात-पात,ऊंच-नीच अउ अमीर-गरीब वाले कोनो बंधन नइ रहय...?...अउ जेन लइका अउ सियान संग मीत मितानी बधे रहय, उंकर जब भी कहीं भेंट मुलाकात होतिस ता ओमन एक दूसर ला सीताराम महापरसाद..ता..  सीताराम जंवारा...सीताराम भोजली .....आदि कहिके संबोधित करयं....जेन मितानी बधे रहय तेन तो संबोधन करबेच करय....वइसने ऊंकर दाई- ददा मन के घलो जब कभु भेंट मुलाकात होय ता वहु मन एक दूसर ला सीताराम महापरसाद ....अउ बधना के हिसाब ले संबोधित करयं....अउ जेन लइका मन बधना बधे राहय तेन लइका मन एक दूसर के दाई ददा ला फूलदाई अउ फूलददा....फूल माँ , फूलबाबू... कहिके संबोधित करयं....भले परिवार के एक सदस्य ह मीत मितानी बधे फेर ए पबरित बंधना म पूरा परिवार ह बंधा जावय... एक दूसर ल मान सम्मान तो देबेच करयं...फेर एक दूसर के सुख दुख म अइसे खड़े रहयं के परिवार के सदस्य मन पछुवा जावयं...दुख के बेरा अइसे लागे जानो मानो सरी दुख ल मिताने ह बोही डरे हे...कहिथें...,लोगन के आधा दुख अइसने बिसरा जावय ...।

*प्राचीन काल के इतिहास ल देखबे ता... श्रीकृष्ण - सुदामा, श्रीकृष्ण - अर्जुन,राम - सुग्रीव अउ कर्ण - दुर्योधन के मितानी ल आप मन सुने अउ पढ़े होहू...जेन मितानी के अद्वितीय उदाहरण हरय...अइसे बात नइहे के आज अइसन मितानी नइहे आज भी हे फेर बिरले ही देखे सुने ल मिलथे...अइसन मीत मितानी ले सीख मिलथे... जीवन के रस्ता प्रशस्त होथे.....अइसन रहय तइहा के मीत मितानी....।*

     फेर... आजकाल तो  मितानी के पर्याय ही बदल गे हावय ...कभु - कभु तो लगथे के आज के मीत मितानी म मान मर्यादा जइसे कोनो बात हवय घलो के नाहीं ?...आजकल एक ठन अउ नवा चलावा चलत हे  गर्लफ्रेंड अउ ब्वॉयफ्रेंड....अउ सोशल मीडिया के जमाना हे ता लोगन मन के फेसबुक अउ वाट्सएप मितान घलो कतको रहिथें... माने आज मितानी के स्तर व्यापक होगे हे... फेर बिचार म संकीर्णता, ईमानदारी अउ बिसवास म कमी आय के खातिर ये बंधना हा आज टिकाऊ नइ रही गे हवय लगथे ..?

कभु - कभु आजकाल के मितानी के अधार केवल धन दौलत अउ खवई - पियई  तक ही लपटा गे हवय तइसे  घलो लगथे ...आजकाल के कुछ फ्रेंड मन सुख के बेरा म तो अइसे आघु पाछू नाचही... जानो मानो घर के कर्ताधर्ता इहिंच‌ मन हरय....अउ कभु - कभु अइसने मितान मन घर के सदस्य मन ल हरू घलो परवा देथें....अउ आज के अइसनहा कतकोन मितान मन किसम किसम के चारी चुगली अउ लड़ा भिंड़वा के परिवार के दू फूट  घलो करवा देत हें.....….आजकाल के कतकोन मितान मन तो पूरा परिवार ल घलो लूट अउ बर्बाद कर देत हें....माने आज के मितानी म सिरिफ ऊपरी दिखावा जादा हे लगथे... काबर के आज के मितानी ल जुड़त अउ टूटत घलो देरी नइ लगय...मतलब आज के मितानी म कुछ प्रतिशत ल छोंड़ के...बाकी ह सिरिफ खाऊमितानी अउ स्वारथ के ही मितानी हे तइसे लगथे...फेर छत्तीसगढ़ी संस्कृति म मीत मितानी के पहिली जइसे स्थान अब नइ रही गे हे लगथे...काबर? धीरे-धीरे ए संस्कृति ह हम सब ले दुरिहावत....बिसरावत अउ तिरियावत जावत हे....।हां!एक बात जरूर हे समय के बदलत परिवेश के परभाव ले ये बधना म कुछ विसंगति जरूर आहे लगथे... लेकिन एक बात तो माने ल परही.... के ये बंधना ईमानदारी अउ बिस्वास के दम म ही टिके रहिथे अउ चलथे... प्राचीन भारतीय इतिहास ल देखबे तभो  मीत मितानी के एक महत्वपूर्ण स्थान रिहिस....तभे तो आज घलो मीत मितानी के अपन जघा म एक अलग पहिचान... स्थान अउ महत्तम हे...  भले हमन ल लगथे के आज घलो मीत मितानी जइसे कुछ बंधना हवय  के नहीं ?....फेर सच्चा मीत मितानी आज घलो हवय,जेन ये पबरित नत्ता ल आज घलो ईमानदारी अउ निष्ठा ले निभावत हवय...उंकर जिनगी आनंद अउ खुशहाल पूर्वक बितत हवय...त आवव हमर छत्तीसगढ़ी संस्कृति ल बचाए  बर..एक कदम... एक संघरा उठावव......।

रचनाकार 

अमृत दास साहू 

ग्राम - कलकसा, डोंगरगढ़ 

जिला - राजनांदगांव (छ.ग.)

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