राजभाषा आयोग अउ सचिव
पाछु बच्छर छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के सचिव डॉ अनिल कुमार भतपहरी जउन शिक्षा शास्त्री अउ साहित्यकार घलो रहिन हें। उंखर 2021 से 2023 तक तीन बछर के कार्यकाल हर घातेच्च सहराय के लइक रहिस।
कोरोना काल के अलकर समे म ओमन पदस्थ होके लगभग मरणासन्न आयोग ल अपन सक पूर्तिन उदिम करके फेर खोभीया के खड़ा करिन। ओमन जिला समन्वयक साहित्यकार मन के माध्यम ले नवा जून्ना साहित्यकार, कलाकार अउ भाषा प्रेमी मन ल जोड़ के सुग्घर बुता करिन। सर्वप्रथम ओमन आयोग के कार्य ल समझ बुझ के साल भर का का करना हे ओला बजट अनुसार कार्ययोजना (एक्शन प्लान ) बनाके समन्वयक अउ वरिष्ठ साहित्यकार, संस्कृति मंत्री संचालक मन सो अनुमोदित करवाके सुदूर जशपुर ले बीजापुर अउ रायगढ़ ले डोंगरगढ़ तक चारो मुड़ा सीमावर्ती से मांझोत तक के भाषा अउ साहित्यकार सम्मेलन करवाइस जेकर से राजभर के सबो भाषा बोली जेमा छत्तीसगढी के सँग गोड़ी,भतरी, हलबी,सादरी लरिया कुडूख मन के साधक साहित्यकार कलाकर मन ल संघेर के एकमई करे के जोखा मढाईन. एखर पहिली " एक कोस म पानी बदले तीन कोस बानी " जैसे भाषाई विविधता अउ ओखर खींचाताना म सुम्मत सलाह होके छत्तीसगढ़ी के सहायक अउ राज के प्रमुख संपर्क भाषा बर आम सहमति कराय गिस। एखर बर आयोग हर " सुरहूत्ती "नाव के पत्रिका निकाल के उत्तर दक्षिण अउ मध्य छत्तीसगढ़ के भाषा साहित्य ल छाप के एक सूत्र म पिरोय गिस। ये हर अकादमिक स्तर के बुता रहिस। जेन ल शिक्षा विद मन तको सेहराइन।
प्रकाशन-
राज के गुंनिक रचनाकार के 100 ले आगर पाण्डुलिपि मन ल जउन कहानी, कविता,उपन्यास आदि पुस्तक के प्रकाशन करवा के उन ल राज्य के जिला ग्रन्थालय म पहुंचाये गिस ताकि पाठक अउ शोधर्थी मन ल छत्तीसगढ़ी साहित्य सहजता से उपलब्ध हो सके।
प्रशिक्षण -
छत्तीसगढ़ी म राजकाज करे सेती मंत्रालय महानदी भवन, संचालनालाय इंद्रावती भवन, संचालनालाय संस्कृति विभाग के लगभग 1500 अधिकारी कर्मचारी मन ल प्रशिक्षण देके उनमन ल प्रशासनिक भाग 1'2 अउ अन्य प्रशिक्षण सामग्री प्रदान करे गिस। एकर संग
जिला कार्यालय बेमेतरा, बालोद, राजनांदगांव, कांकेर, कोंडागांव, सरलग प्रशिक्षण देय गिस।
आयोजन -
आयोग प्रतिवर्ष 14 अगस्त के कार्यालय स्थापना दिवस मानथे ये बखत जिला समन्वयक वरिष्ठ भाषा शास्त्री साहित्यकार अउ आयोग डहन ले नवा छपे किताब के मुँह उघरौनी (विमोचन ) कर के रचनाकार के सम्मान करे के नवा बुता होइस।
28 नवंबर के छत्तीसगढी दिवस म दिया बार के देवारी कस आतिशबाज़ी कर के हर्ष उल्लास से तिहार मनाय गिस हमर राज के मुखिया माननीय मुख्यमंत्री जी हर प्रदेश के भाषा साहित्य साधक वरिष्ठ रचनाकार मन के सम्मान सरलग करिन।
एकर साथ साथ जिला ,संभाग स्तरीय साहित्यकार सम्मेलन जशपुर ले बीजापुर, रायगढ़ ले डोंगरगढ़ तक करे गिस। जगदलपुर, महासमुन्द, बालोद, रायपुर, अंबिकापुर मे तको बड़का जुराव होइस।
पहली साल त्रिदिवसीय जनजातीय भाषा के विविध आयाम, शहीद स्मारक भवन मे होइस। दूसर साल त्रिदिवसीय लोक साहित्य महोत्सव साइंस कॉलेज सभागार अउ तीसरा आयोजन " सातवां प्रांतीय सम्मेलन इंटरनेशनल होटल बेबीलान में करे गिस। ये आयोजन मे सबो जिला के प्रतिनिधि साहित्यकार लगभग 1500 से ऊपर मन सकलाइन अउ विविधतापूर्ण कार्यक्रम सम्पन्न होइस।
येखर संग संग राजभाषा आयोग के गतिविधि अउ राज्य के सबो बोली भाषा ल स्थान देय बर त्रैमासिक " सुरहुत्ती" नाव के पत्रिका के प्रकाशन होइस। ये संग्रहणीय पत्रिका आये जेन ह आगू चलके शोध कार्य बर महत्वपूर्ण होही।
आयोग हर आठवीं अनुसूची में छत्तीसगढ़ी ल संघारे बर उदिम करत मानक छत्तीसगढी शब्दकोश ,व्याकरण निर्माण समिति के गठन करके चार ग्रुप बनाये गे हैं। उनमन ल कुल 13,13 अक्षर बाट देय गए हवे। उनकर पाण्डुलिपि मिल गे हे अउ टाइपिंग चलत भी हवे।
ये तरा से आयोग में अकादमिक स्तर में बुता करे गिस जेकर से भाषा प्रेमी मन मे गजब के उत्साह देखे बर मिलिस...
विलुप्ति के कगार मे अउ सघन वन क्षेत्र बीजापुर के प्रमुख गोड़ी भाषा के संवर्धन बर ट्रिपल आई टी टुल विकसित करना अउ विविध कार्यशाला म 2 करोड़ के बजट प्रावधान होइस। ओकर पहिली किस्त घलाव ए साल आयोग ल मिलिस। ये रकम के चौतरफ़ा बड़ सुग्घर कार्यक्रम होवत रहिस। सरकार के बदले ले डॉ अनिल भतपहरी जी वापस उप संचालक उच्च शिक्षा विभाग मे चल दिन अउ ओकर जगा महिला बाल विकास विभाग के सहा संचालक डॉ अभिलाषा बेहार के नियुक्ति होइस।
ये तरह ले तीन बछर के कार्यकाल ह उपलब्धि भरे रहिस हे।
उच्च शिक्षा अधिकारी ल ही राजभाषा आयोग के सचिव बना सकथें। सबले बड़े बात ओमा साहित्यिक योग्यता होना चाही। येखर अलावा साहित्यिक क्षेत्र म ओखर काम भी होना चाही। सिरिफ कहानी कविता लिखना ही ये पद बर जरुरी नइये। काम लेय के क्षमता, लोगन से व्यवहार कइसे करना येखर जानकारी होना चाही।अभी तक के कार्यकाल म सबले बढ़िया काम अनिल कुमार भतपहरी के रहिस हे। हर क्षेत्र म काम होइस। पूरा छत्तीसगढ़ के साहित्यिक मनखे मन ल स्थान मिलिस। सम्मान मिलिस मंच मिलिस। स्वयं सचिव महोदय मंच ले दूरिहा रहिन।
अगला सचिव घलो अइसना ही होना चाही जेमा कइ तरह के योग्यता होवय अउ सब ल ले के चलय। अभिलाषा बेहार जी म सब ल ले के चले के क्षमता या गुण कमती हे। महिला बाल विकास के काम में ही योग्य हावय तब तो राजभाषा म काम कमती दिखिस। सबके अपन अपन क्षेत्र होथे।
साहित्यकार मन ल सम्मान चाही न की डांट। कार्यक्रम म एक ही बात ल बार बार बोलना घलो स्तर ल गिरा देथे। कमरा म जा जा के लेखक कवि मन ल बुलाना ये सब साहित्यकार मन के अपमान आये। आज भी रायपुर म कइ ठन अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन होथे ओमा 25-30- मनखे ले ज्यादा नइ राहंय तब का करे जाये। शब्द के बाण थोड़े छोड़बे।
राजभाषा आयोग ब्राम्हणवाद अउ परिवार वाद के बोझा ले कब मुक्त होही। जब लोगन आज भी पिछला सचिव भतपहरी जी ल सुरता करथे त ओखर पीछू कुछ तो कारण होही। आज भी पूरा छत्तीसगढ़ भतपहरी जी ल सुरता करत हावय।
आज भी नवा सचिव के चयन सोच समझ के करना चाही। उच्च शिक्षा विभाग अधिकारी के ही चयन करे जाये जेखर साहित्यिक क्षेत्र म कुछु काम बोलत होही। जेखर म संचालन के क्षमता हो, लोगन ल ले के चले के गुण होवय।
अभी समय हे तीन बछर बर परिवार वाद ल न लादे जाये। कब तक सब क्षेत्र म पहुँचे के बाद भी अपमान के पीड़ा ल आम मनखे मन झेलत राहंय। राजभाषा एक होनहार सचिव के बाट जोहत हे जेन परिवारवाद अउ जातिवाद ले उपर उठके होवय।
सुधा वर्मा 15/6/2025
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