Wednesday, 4 June 2025

लघुकथा) गुनाह

 (लघुकथा)


गुनाह

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सोहन हा अपन परिवार सहित ऊपर के मंजिल मा रहिथे अउ नीचे के तीन ब्लाक ला किराया मा दे दे हावय।संयोग ले एक झन किरायादार जब आइस ता मैं सोहन घर बइठे राँहव ।मोरे सामने मा जादा ले जादा तीन आदमी रहे के अउ तीन हजार किराया अउ बिजली बिल अलग ले देये के बात होइस ।वोहा एक महिना के एडवांस देके शिप्ट होगे।

चारे- छै महिना बने-बने चले पाये रहिसे तहाँ ले उँकर खटर- पटर चालू होगे।एक दिन तो बड़े बिहनिया ले सोहन अउ वो किरायादार झगरा मा भिंड़े राहय।सोहन महूँ ला बलाये राहय। वो कहिच --" देख भइया तोरे सामने मा तीन झन 

रहे के बात होये रहिसे ना?"

"हाँ होये रहिसे।अब का बात होगे?"-मैं पूछेंव।

"काला बतावँव भइया।ये मन अपन यूपी के गाँव ले छै-सात झन मनखे अपन परिवार के बला ले हावय अउ धर्मशाला सहीं खुसरे हें।खाली करे बर कहिबे ता झगरा करथे।तहीं थोकुन समझा देते भइया।

 "कस जी तुमन सात झन काबर राहत हव।"--मैं किरायादार ला पूछेंव।

"का होगे ता।किराया तो देवत हँव ना"।

"अच्छा! तैं सात झन के किराया देथच का? ये बाँकी झन लेटरिंग-बाथरूप के उपयोग नइ करत होहीं।"--थोकुन गुसिया के कहेंव।

वो कुछु जवाब नइ दिच ता सोहन ला कहेंव--"एकर कोती के बिजली पानी ला कटवा दे तभे सोजबाय खाली करही।"

सोहन हा मिस्त्री बलाके वो ब्लाक के बिजली-पानी के कनेक्शन ला कटवा दिच।

वो किरायेदार हा थाना मा रिपोट कर दिच तहाँ ले पुलिस आगे।


चोवा राम वर्मा 'बादल '

हथबंद,छत्तीसगढ़

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