कृषि संस्कृति ले जुड़े परब हरे अक्ती
हमर देश हा कृषि प्रधान देश हरे. किसान हा देश के रीढ़ के हड्डी हरे. किसान ह जांगर टोर के कमाथे अउ भुइयाँ के संग मितानी बध के खूब सेवा जतन करथे. वइसने हमर छत्तीसगढ़ हा घलो कृषि प्रधान होय के कारण" धान के कटोरा कहलाथे. हमर देश अउ प्रदेश के कतको तिहार हा खेती किसानी ले जुड़े रहिथे. अक्ती तिहार के संबंध घलो खेती किसानी से जुड़े हवय.
ठाकुर देव मा नेंग जोग करे जाथे
अक्ती तिहार बैशाख शुक्ल तृतीया (अक्षय तृतीया) के दिन मनाय जाथे. येहा किसान मन के द्वारा मनाय जाने वाला पहिली तिहार हरे. अक्ती दिन किसान मन परसा पान मा धान भरके ठाकुर देव मा ले जाथे. फेर ऊहाँ गाँव भर के प्रमुख सियान मन के उपस्थिति मा बड़गा हा विधि विधान ले पूजा करथे. येकर पाछू कारण हे कि साल भर किसान मन ऊपर कोनो ढंग परेसानी झन आवय. ठाकुर देव मा चढ़ाय परसा पान के धान ला किसान मन खेत मा जाके सींच देथे अऊ कुदारी मा खन के ढक देथे. ये प्रकार ले अक्ती परब हा खेती किसानी शुरु होय के संकेत देथे.
किसान मन हा खेत के कांटा खूटी ला रापा, टंगिया के माध्यम ले साफ करे के शुरु कर देथे. येकर ले जऊन दिन नंगरिहा हा नांगर जोतही त बने बने जोत सकय अऊ बइला मन के खूर ला घलो झन गड़य. खेत के कांद बूटा ला रापा, कुदाली मा खन के चतराथे.
किसान हा बइला गाड़ी मा अऊ अब बदलत जमाना मा ट्रेक्टर ले घुरुवा के खातू (खाद) ला खेत मा लेगके कुढ़ी गांज देथे. जउन ला धान बोय के पहिली बगराय जाथे.
किसान मन खेती किसानी ले जुड़े औजार नांगर बख्खर के बने तइयारी कर लेथे. बढ़ई अउ लोहार कर ले जाके बनवाथे. येकर ले जब बरसा चालू होथे ता धथवाय ला नई पड़य. किसान मन अपन कच्चा मकान के खपरा ला जानकार मन ला बुला के खपरा लहुँटाय के काम करवा लेथे जेकर
ले बरसात मा परेशानी झन होवय.
पुतरा-पुतरी के बिहाव होथे
के कांद बूटा ला रापा, कुदाली मा खन के चतराथे,
किसान हा बइला गाड़ी मा अऊ अब बदलत जमाना मा ट्रेक्टर ले घुरुवा के खातू (खाद) ला खेत मा लेगके कुढ़ी गांज देथे. जउन ला धान बोय के पहिली बगराय जाथे.
किसान मन खेती किसानी ले जुड़े औजार नांगर बख्खर के बने
तइयारी कर लेथे. बढ़ई अउ लोहार कर ले जाके बनवाथे, येकर ले जब बरसा चालू होथे ता धथवाय ला नई पड़य. किसान मन अपन कच्चा मकान के खपरा ला जानकार मन ला बुला के खपरा लहुँटाय के काम करवा लेथे जेकर
ले बरसात मा परेशानी झन होवय.
पुतरा - पुतरी के बिहाव होथे
अक्ती के दिन सुग्घर ढंग ले लईका मन पुतरा-पुतरी के बिहाव
करथे. येकर तइयारी लइका मन हा दू-चार दिन पहिली ले करत रहिथे. येमा बड़का मन लईका मन ला सहयोग करथे और ऊंकर खुसी मा सामिल होथे शादी बिहाव मा अक्ती भांवर हा गजब शुभ माने जाथे।
अक्ती के दिन के अड़बड़ महत्तम हावय इही दिन माँ गंगा हा धरती मा अवतरित होइस. महर्षि परशुराम, माँ अन्नपूर्णा के जनम होय रिहिस. कुबेर ला खजाना मिले रिहिस अऊ सुर्य भगवान हा पांडव मन ला अक्षय पात्र देय रिहिस. संगे संग महाभारत के लड़ाई के अन्त होय रिहिस. महर्शि वेद व्यास हा महाभारत के रचना के शुरुआक अक्ती के दिन भगवान गणेश जी के साथ करे रिहिस. अऊ कतको प्रसंग अक्ती तिहार ले जुड़े हावय. ये ढंग ले अक्ती तिहार के अड़बड़ महत्तम हे.
-ओमप्रकाश साहू अंकुर
सुरगी, राजनांदगांव
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