Wednesday, 4 June 2025

हाइब्रिड चावल के उत्पादन

 हाइब्रिड चावल के उत्पादन


आज ले साठ बछर पहिली बौना वेरायटी के धान आये रहिस हे। उही समय गंगई बीमारी धान म लगय। ये बीमारी अइसना रहिस हे के पूरा धान के बाली ल दू दिन म खतम कर देवय। एखर बर दवाई निकलिस। उही बेरा म केमिकल खातू आना शुरु हो गे। दवाई अउ खातू ले फसल जोरलगहा होय ले लगगे। फेर शुरु होइस अनुसंधान, रंग रंग के धान के प्रकार निकालना। बीमारी ले प्रतिरोधक क्षमता के धान निकलिस।


कोई साठ दिन म पक जथे। कोई म बीमारी नई लगय। कुछ मन ये सब ल अपनावत गीन।

 कुछ मन अपन देशी किस्म ल छोड़बे नई करिन। ये सिलसिला आज तक चलत हावय। खोज खोज अउ खोज।

इंदिरागाँधी कृषि महाविद्यालय ह अनुसंधान केंद्र आये। पहिली छत्तीसगढ़ म बादशाह भोग, दूबराज, जीराफूल, तरुण भोग,के अधिकता रहिस हे। क्षेत्रियता के आधार म बहुत नवा नवा किसम के धान मिलय। मोटा धान सफरी अलग होवय येला नौकर चाकर मन खावत रहिन हें। मोटा होय के कारण देरी ले पचय त बनिहार मन येला पसंद करंय। कारी कमरिया कारी कमौत घलो बहुत सुगंधित चावल रहिस हे। भिलाई तीन ले जब बस निकलय त हवा के झोंका म येखर खुशबू भरे राहय।अब नंदा गे हावय।

आज ये सब धान मन म संशोधन होवत हावय देशी बीज ह सैकड़ों बछर ले ओ जगह के परिस्थिति अनुसार बने रहिथे। उंहा के माटी अउ वातावरण के अनुकुल रहिथे। ये ह जगह जगह बदले रूप म मिलथे। पूरा छत्तीसगढ़ म सैकड़ो किसम के धान हावय। ये ह अपन रोग प्रतिरोधक क्षमता ल विकसित करथे। पोषण क्षमता ल विकसित करथे। प्राकृतिक खेती जैव विविधता ल बढ़ावा देथे। ये ह मिट्टी के उपजाऊपन,कीट नियंत्रण अउ जम्मो पारिस्थितिकी तंत्र म संतुलन बना के चलथे। येला बदलना याने देशी बीज म बदलाव लाये ले जैव विविधता म बदलाव लाना आये।


हाइब्रिड या जीनोम संपादित बीज ल हर बछर खरीदे बर परथे। येला खेत म लगाये के बाद देशी धान म बदलाव के डर रहिथे। धान म फूल आथे अउ परागण होथे त ये परागकण उड़िया के बाजू खेत के देशी धान के फूल म गिर जथे। येखर ले धान म बदलाव आ जथे। ओखर अनुवांशिक शुद्धता खतम हो जथे।येखर बर काये करना चाही? येखर बर वैज्ञानिक अउ सरकार ल मिलके सोचना चाही।

कुछ अइसे काम होना चाही के जेखर ले किसान स्वयं ऊपर निर्भर राहय, उत्पादन क्षमता बाढ़य देशी बीज के संरक्षण होवय अउ जैवविविधता सुरक्षित राहय। प्राकृतिक खेती अउ देशी बीज के महत्व ल समझे जाये। नवा किस्म जेमा ओखर जर्मप्लाज्म म बदलाव ला के याने म्यूटेशन के बाद बनथे। इसी बजेज ल लगातार बोबे त ओखर गुण नष्ट हो जथे। येला हर बछर तैयार करे बर परथे। इही तरहयार बीज ल हर बछर खरीदे बर परथे। देशी बीज म ये समस्या नइये।


 नवा बीज  अउ देशी बीज के बीच के संतुलन बना के रखना चाही। आज कीटनाशक, रसायनिक खाद धरती ल बंजर तो करते हावय फेर बीज म बदलाव घलो लानत हावय। आज के जवांफूल, दुबराज के खूशबू गायब होगे हावय।

किसान भाई मन ल चिंतन करके ही आगू बढ़ना है। हर साल बीज खरीदना हे के अपन बीज तैयार करना हे। कई ठन किसम जइसे जंवा फूल के कटाई मिंजाई ट्रेक्टर ले नइ होवय। काबर के ये धान के ऊंचाई अधिक हावय त येला बोये बर किसान मन कतरावत हांवय। किसान मन सोच के हमर सैकड़ो बछर के धान ल बोवंय अउ स्वाद के मजा लेवंय।

सुधा वर्मा 1/6/2025

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