छत्तीसगढ़ी अनेकार्थी शब्द
के अपन अलग विशेषता-
-मुरारी लाल साव
संत पवन दीवान जी अपन भागवत मंच म कठ्ठल के हाँस के पब्लिक ला हँसा देवत रहिन अपन "राख" नामक कविता ला पढ़ केसुना के l "राख " कविता ला मैं बहुत बढ़िया अनेकार्थी शब्द के विशेषता भरे कविता मान थंव l
उंकर बोले के लहजा अलगे रहय लोगन सुनत जाय अलग अर्थ भाव ला समझत जाय l
"राख "
रा... ख l रा... ख l
बहू सिनेमा देखे ला गेहे
घर ला राख l
(कोनो चोर झन घुसय )
ओकर अलमारी ला राख l
(चोरी झन होवय)
ओकर बेटा ला राख l
(देख भाल कर )
कोठा कोठी ला राख l
(सुरक्षित )
घर म लगगे आगी
घर होगे राख l
(भसम होगे, कुछु नई बाँचीस)
मुरदा जलके होगे राख l
(भभूत बन गे )
लकड़ी होगे राख l
(धुर्राअसन )
कोयला होगे राख l
(करिया रंग )
का राखे हे तन म
(क्षण भंगूर, नाशवान)
मन ला भगवान कोती राख l
(ध्यान, एकाग्रता, आदि )
राख चुपर के बइठ l
(भभूत )
मन ला राख l
(चंचलता ला रोक )
छत्तीसगढ़ी के शब्द शक्ति अनेकार्थी प्रसंग संदर्भ अउ प्रयोग म अपन अलग विशेषताअभिव्यक्त करथे l
हिंदी म झलक के मतलब देखना हे किंतु हमर छत्तीसगढ़ी म झलक के मतलब नहाना हे l वाक्य -"जा बेटा जल्दी झलक के आ जा l ((नहा के)" बबा कहिस - तात पानी ला ओकर ऊपर झलक l (उड़ेल )
एक ठन हिंदी गाना बहुत जादा बजींस -
झलक दिखला जा
झलक दिखला जा l
-रूप दिखादे l चेहरा दिखा दे जलवा दिखा दे मुखड़ा दिखा दे
हमर छत्तीसगढ़ी म ससुरार ले बेटी कइथे -"दाई के जाये के बेरा आगे हे l एक झलक देख के आ जतेव l "(एक नजर देख के आना l (आँखी म देख लेतेव )
एक किसान अपन रखवार ला कहिस-" खेत ला देखत रहिबे बने l " गोल्लर आके सब ला चर दीस l मोला गोल्लर भगा देबे नई कहिस l चरन दे बने l समझ गे l
अइसने एक शब्द हे "बउरना "
बउरे बर्तन ला बेच दीस l (उपयोग होये ला l)
(अनुपयोगी टूट फूट बर्तन )
'जाये के बेरा ' के मतलब मरे के बेरा l
'आखिरी साँस चलत हे l'
'आखिरी साँस लेवत हे l ' ' साँस टूटगे ओकर l '
मरगे मैनखे इही मतलब होथे l ठेला म बतासा बेचत चिल्ला चिल्लाके कहत रहीस -* बता साले l बता साले l एक सुन के बने ओला झोर दीस l मतलब हकन के पीट दीस l
झोर के अर्थ रसा घलो होथे l " मछरी साग के झोर होथे ll " बादर पानी बहुत झोरत हे l याने हवा के संग खूब बरसा होवत हे l
गली मोहल्ला म झगरा होथे त सुने ला मिलथे -" अतका झोर टुरा ला होश जाय l "
(बनेच मार, )
हमर छत्तीसगढ़ी म "आमा ला चुहक " कहे जाथे l हिंदी म आम ला चूसना l बनेच अंतर हे l जेमा रस होथे तेला चुहके जाथे l गन्ना ला चूसे जाथे, चबा चबा फ़ेर रस ला चूस l नानकुन लइका चूहक चूहक के दूध पिथे l दाँत नई आये हे होंठ अउ जीभ ले l
गारी देवत बाप कहिथे -" मोला चूस डरेव रे l " याने तंग होना l
मुड़ी धर के रोना अउ आँखी मुँद के रोना म अंतर हे l हाथ पीट के रोना गोड़ पीट के रोना म अलग अर्थ छिपे हे l पेट ला देखा के रोना अउ पीठ देखा के रोना म घलो अंतर हे l मन भर रो l हाँस के रो l अलग अलग भाव हे l अलग अर्थ हे l पेट ला दिखाके रोना याने भूख हे l पीठ दिखा के रोना के मतलब मार जादा खाये हे l
तो अइसन म छत्तीसगढ़ी शब्द बहू अर्थी होथे l
एक ठन अउ गाना म
" झूपना "अनेकार्थी प्रयोग होथे l
"झूपत झूपत आबे दाई l "
देवी मन के झूपना अलग, टोनही मन के झूपना अलग
नशा म झुमरथे दवाई के नशा म झूमरे नहीं आँखी मुंफाथे l आँखी मुँद के झूपथे आँखी मुँद के झूमर थे l
छत्तीसगढ़ी के शब्द मन के अध्ययन होना जरुरी हे l
मुरारी लाल साव
कुम्हारी
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