Wednesday, 4 June 2025

कहानी // *कोंदी* //

 कहानी           // *कोंदी* //

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            डोंगरी के खाल्हे म एकठन गाँव मउंहार भांठा रहिस। गाँव के उत्ती कोती एकठन टोनहीबूड़ा नरवा बोहावय। नरवा के पानी चम्मास म जादा बोहावय फेर फागुन के आवत ले नरवा सुक्खा हो जावे। नरवा म खंचवा खन के ओमा ओगरे पानी ले गुंजास करत रहंय । पानी बचाओ आंदोलन गाँव म आइस त गाँव के मनखे मन म चेत चढ़िस। जुरमिल के नरवा ल कच्चा बंधानी बांध डारिन ते पाय के नरवा म गरमी के समे पानी भरे रहय। गरमी भर पानी सबो बर मिल जावय। संगे-संग नरवा के तीरे-तीर बारी-बिरछा घलो लगावत रहिन। गरमी के दिन साग-भाजी के संगे-संग कलिंदर,फुट,बंगला,ककरी खीरा भारी उपजावंय।

             मउंहार भांठा म धरमू नांव के किसान रहय। बने ऊंचपुर,सांवर देहें,आधा चूंदी करिया,आधा पाका अऊ घुंघरालू रहिस। ओकर अंटियाय मेछा,कोष्टहूं पचहत्ती पहिरे। ओकर गोसाइन धरमीन चँदा कस गोल मुंहरन छोटे खूंटी के संवरेली बानी के रहय। ओहर आनी-बानी के गहना,घेंच म सुतिया,नाक म फुल्ली,कान के करन फूल,गोड़ म टोंड़ा,हाथ म ककनी-बनुरिया मुठाभर चूरी,बांह म बहुंटा माथा के टिकली अऊ मांग के भर-भर सेंदूर जगजग ले दिखे। फुग्गा बांहीं के कुरथी अऊ कोष्टहूं इलियास के लुगरा पहिरे। सोला सिंगार करय त गजब सुग्घर दिखे।

           जइसन ओमन दूनोंझन के नांव रहिस वइसनेच ओकर काम घलो रहय। धरमू जबर धरमी चोला रहिस।  देव देवाला,घाट-घठौंदा ल सफा करय अऊ पूजा पाठ ,दान-पून करत मगन रहय।धरमीन घलो अपन गोसइँया के संगे-संग हाथ बटावय। ओमन के गाँव म खेत-खार चबंद रहिस। गरीब दुखिया,मंगइया-जचइया मन ल देहे-लेहे के पाछू खाय-पीये बर पीग के पीग पूर जावत रहिस। घर म सबे चीज-बस भराय रहिस फेर ओमन के अकोझन लइका नि रहिस इही ओमन के दुख के कारन रहिस। ' ओमन ल इही दुख तरीच-तरी घुन कस खावत रहिस  '।

              धरमू के आधा उमर पहावत रहिस। ओला चिंता सतावत रहिस काबर कि ओकर डेहरी म दीया बरइया एकोझन नि होवत रहिस। इही संसो फिकीर म दूनोंझन गुनत रहंय। '

                   ए जी ! सुनत हव '..... धरमीन पूछथे! ' काय गोठ ए बता न ? '.......मुस्कावत धरमू कहिस। ' तुंहला एको कनिक ,कुछू चिंता-फिकीर नि रहे जी ? '.....धरमिन भरे गला ले कहिस।' अतका अकन चीज-बस हावे अऊ हमर डेहरी म दीया बरइया घलो नि हे जानत हौ तभो ले पूछत हौ ' ...धरमीन सुसकत कहिस। ' भगवान के घर देर हावे फेर अंधेर नि हे  ....थोरिक धीरज तो धर ' ...धरमू समझावत कहिस। ' अऊ कतेक दिन ले धीरज धरहूं अतका पूजा-पाठ करत हावन तभो ले भगवान सुनबे नि करत हे '.... धरमीन आंसू पोछत कहिस। ' थोरिक धीरज अऊ धर समे म सब ठीक हो जाही '.. धरमू समझावत कहिस।

                बनेच देखाय-सुनाय म आधा उमर के पहाती बेरा म धरमीन अऊ धरमू के अरजी बिनती ल भगवान सुनिस अऊ धरमीन के कोंख ले एकझन नोनी अवतरिस। धरमू अऊ धरमीन दूनोंझन ल खुशी के ठिकाना नि रहिस। ओमन के खुशी अगास कोती छुए लागिस।

             ' देख तोला मैं कहत रहेंव भगवान हमर अरजी ल सुनबेच करही '......धरमू कहिस। ' हां जी धीर म खीर होथे जी '......खुशी मन ले धरमीन कहिस। ' देख तोरेच मुहरन ल उतारे हे '...धरमू नोनी के मुहूँ ल चुमत कहिस। गजब सुग्घर अपन दाई के मुहंरन ल उतारे रहिस। ' नोनी फूल कयना  ' कस दिखय। नोनी के नांव लक्ष्मीन धरे रहिन।' धरमू कहय ले...काय होइस नोनी अवतरे हे त इही हमर लक्ष्मी आय '। दूनों परानी गजब खुश रहिन काबर के आधा उमर के पहाती म उंकर ' अंगना म फूल ' खिले रहिस।

           समे के संग देखते-देखत नोनी धीरे-धीरे बाढ़े लागिस फेर नोनी कुछू गोठियाबे नि करे। एती दाई-ददा ल चिंता सताय बर धर लिस। डाक्टर बइद मन ल देखाइन त पता चलिस कि ओहर कभू नि गोठिया सके ओहर कोंदी रहिस। ' दूनोंझन कभू सोंचय कि भगवान दिस त आधासीसी '। ' हाय ! भगवान तैं कोन जनम के करम ल भुगतावत हावस '। इही पाय के ओमन के अंतस हदर जावे। ओकर ईलाज बर बनेच बइद गुनिया करवाईन फेर कोनों काम नि आइस।मनखे मन जेन डाक्टर करा ले जाय बर कहंय उहां देखावंय। कोनों डाक्टर बइद नि बाचिंस जेन ल नि देखाय होहीं। ' फेर अपन किस्मत ल दोष देवत रहिन '।

              लक्ष्मीन सुग्घर तो रहिस फेर  गोठियाय नि सके जइसे ' चँदा म दाग लग गे रहिस '। ते पाय के सबोझन ओला कोंदी कहिके बलावंय। ' कोंदी कहय म कतका खीख लागय ओला उही नोनी ह जानही '। बपरी अपन के विचार ल दूसर कोनों ल बताय बर अपन के हाथ,मुंहरन,अऊ देहें के कइठन अंग के जरिया ले बात कहे के उदीम करय। ' अपन के जिनगी म संघर्ष करत अऊ कठिनाई ल झेलत रहिस फेर ओहर कभू हार नि मानिस '। 

              लक्ष्मीन कोंदी होए के खातिर ओहर अपन के संगी जहुंरिया मन ले कतको पइत अपमानित होय बर पर जावे फेर ओहर अपमान के घुंट ल पी लेवय। फेर ओहर हार नि मानिस। ' जिनगी म संघर्ष करत आघू कोती बढ़े बर उदीम करत रहिस '। ओहर समाज म अपन जघा बनाय बर कतको अकन संघर्ष करिस।फेर समाज म कतको अइसन मनखे रहिथें जेमन लक्ष्मीन ल हीन भाव ले देखंय। एहर ओकर बर चुनौती के बड़का पहार घलो रहिस।जेला रउंदत पार जाना रहिस।

              लक्ष्मीन ल आघू बढ़ाय बर ओकर दाई-ददा मन कोनों किसीम के कमी नि करिन। लक्ष्मीन ल कोंदा भैरा स्कूल म भरती करिन। जिहां लइका मन ल इशारा अऊ हाव भाव ले पढ़ाई करवाथे। सबो कोंदा-कोंदी मन के सुभाव अलगेच-अलग रहिथे फेर लक्ष्मीन अपन स्कूल के लइका मन ले अलगेच किसीम के रहिस। ओहर बने चित्र बनाके ओमा बढ़िया रंग भर दारे।     चित्रकारी के संगे-संग बजावय घलो।

             '  एकदिन लक्ष्मीन टीवी म समाचार देखत रहिस '। समाचार बोलइया ह माईलोगन रहिस। ओहर इशारा करके समाचार ल बतावे। लक्ष्मीन बने ध्यान लगा के देखत अऊ सुनत रहिस। ओकर ले लक्ष्मीन प्रभावित होके ओकरे जइसन बनहूँ कहिके मन म ' पीकी सुंघियाय लागिस '।' ओहर मन म गठरी बांध दारिस कि मोला एक दिन टीवी चैनल म समाचार उदघोषिका बनहूं कहिके '। ओहर रोजेच उहीच समाचार ल देखय अऊ सूनय। धीरे-धीरे लक्ष्मीन घलो ओकर इशारा ल देख-देख के सीख गिस। ओहर समाचार म काय कहत हे कहिके अपन दाई-ददा ल बतावय।

             समे बदलत गिस अऊ अपन सुभाव ल देखावत रहिस।धरमीन घलो समे के मुताबिक बाढ़त गिस अऊ ओहर पढ़-लिख के बुधियारिन घलो होगिस।सपना ल सिरजाय बर ओहर कतको उदीम करत जावत रहिस। एकदिन प्रसार भारती म ओहर मुक बधिर समाचार उदघोषक के फारम भरिस अऊ थोरिक दिन के पाछू ओकर इंटरव्यू बर आदेश आइस।इंटरव्यू म ओकर चयन होगिस। इंटरव्यू के पाछू ओकर नौकरी दूरदर्शन म समाचार उदघोषिका पद म होगिस।

               ' एकदिन लक्ष्मीन के सपना पूरा होगिस ' अऊ ओहू टीवी म समाचार बोलत दिखे लागिस,ओला सबोझन जाने लगिन। थोरिक दिन पाछू लक्ष्मीन के बिहाव घलो एकझन बिसून नांव के इंजीनियर से होगिस। बिसून घलो लक्ष्मीन संग बिहाव करके अपन जिनगी म खुश रहिस।

              धरमू अऊ धरमीन अपन भाग ल सहरावत दूनोंझन बड़ खुश होइन अऊ गाँव के सबो मनखे मन लक्ष्मीन ल सहराय धर लिन। चारो कोती कोंदी लक्ष्मीन के नांव सूरुज कस अंजोर बगरगे। ओकर कारज  सोनहा आखर  म सुग्घर लिखा गिस। कहे गे हावे मिहनत के फर तो गुरतुर होबेच करथे।

✍️ *डोरेलाल कैवर्त " हरसिंगार "*

         *तिलकेजा, कोरबा (छ.ग.)*

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