Wednesday, 4 June 2025

नरायणी

 नरायणी

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मुहल्ला के संतू पाल ला बिते लगभग दू महिना होगे राहय।वोला पइसा उधारी देके फँसगे राहवँ।एक दिन बिहनिया वोकर घर गेयेंव अउ अवाज देयेंव ता वोकर बेवा हा दरवाजा ला खोलके बाहिर निकलिस अउ आव भइया बइठ कहिके कुर्सी ला देवत चाय पिये बर पूछिस।

'नहीं नोनी चहा मत मढ़ा अइसे भी मैं चाय नइ पियवँ।अउ सब बने-बने ना?"-मैं बात ला आगू बढ़ावत पूछेंव।

"का बने-बने भइया।जानत तो हस बाबू के ददा हा मँझधार मा छोंड़ के चल दिस। छोटे-छोटे लोग-लइका मन ला कइसे पालहूँ पोंसहूँ--जिनगी कइसे पहाही तेला गुनत रहिथौं।"

"सिरतोन कहे नोनी जवइया हा तो अपन बनौकी बना लेथे बाँचथे तिंकर जिनगी सजा हो जथे।धीर धर भगवान हा सब रक्षा करही-- अच्छा ये बता वोहा तो बने-बने धंधा-पानी करत रहिसे।अचानक अइसे का होगे?

"काला बताववँ भइया।मनमाड़े पियत खावत रहिसे।किडनी-लिवर सब खराब होगे रहिसे"--बतावत बतावत वोकर आँसू गिरगे।

माहौल गमगीन होगे।चुपेचाप दू मिनट बइठके घर लहुटे बर उठेंव ता वो कहिस-- "कुछु काम लेके आये रहे का भइया ?"

"हाँ नोनी उही समझ ले। फेर कइसे काहँव तेला सोंचत हँव।"

" ले ना बता भइया का बात ये तेला।"

"हाँ बताये बर तो लागहिच-- बुरा झन मानबे। संतु हा एक साल पहिली गाड़ी लेये बर बीस हजार रुपिया उधारी लेये रहिसे।वापस नइ करे ये अउ घटना घटगे।हो सकही ता वापस कर देते।मोरो नान-नान लोग लइका हे।"

"मोला तो वो हा कभू नइ बताये रहिसे।न तो तुमन मोर जानबो मा दे रहेव।"

"सही काहत हस नोनी फेर तोर कुरा ससूर के आगू मा दे रहेंव।कइबे ता बला देथवँ।"

"कोनो ला झन बलावव।जेन उधारी ले रहिसे तेन नइये।मैं गरीबीन कहाँ ले देहूँ।"

"ले ठीक हे।गलती तो मोरे हे जेन सहायता कर परेंव"--काहत मैं लहुटगेंव।

अठुरिया बुलके पाये रहिसे।एक दिन वो नोनी हा आके बीस हजार रुपिया ला देवत अउ ये काहत के बियाज ला नइ दे सकँव भइया--दुखियारी समझ के छिमा कर देहव।

अतका कहिके वो नरायणी उल्टा पाँव लहुटगे।मैं ले बर मना करते रहिगें।


चोवा राम वर्मा 'बादल '

हथबंद,छत्तीसगढ़

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