Saturday 4 June 2022

सड़क

 सड़क


हमर गाँव हर शहर ले बने च दुरिहा हावय। गाँव ले शहर जाये बर एक ठन गाड़ा रावन रहिस। इही गड़ारावन म सइकिल चलावत बरसात होवय चाहे जाड़ा। नोनी बाबू मन पढ़े लिखे बर शहर जावयँ। इलाज पानी होवय चाहे गाँव गवतरी जाना होवय त इही रद्दा ले सब आवयँ जावयँ। गाड़ी रावन खोलदावन हो जय अउ बरसात म चिखला बहुत होवय ते पाय के आये जाये म बहुत समस्या आवय। फेर का करय अउ कछु उपाय नइ रहिस। तेखर सेती हमर गाँव के पुरखा मन बरसों ले इही गाड़ा रावन ला सड़क बनवाये बर नेता मन ले बिनती करत-करत सरग सिधार गिन। फेर पक्की सड़क नइ बने रहिस। जब भी चुनाव के समय आवय, जेन खड़ा होवय तेने कसम खावय, "मँय जइसे ही चुनाव जीतहुँ, सबले पहिली ये गाँव ल पक्की सड़क ले जोड़हुँ।" कतको नेता आइन कतको गइन फेर ये सड़क ह नइ बने रहिस। 

फेर पिछले साल बहुत इंतिजार करे के बाद हमर गाँव ले शहर जाए बर पक्की सड़क बनिस। नेता आइस उद्घाटन करिस अउ भाषण म कहे लगिस," देखे मँय जीते हँव त ये सड़क ल तुरते पास कराके बनवाये हँव। ये बात ल याद रखहु अउ मोला झन भुलाहु।"

नेता जी के जय जय कार करत दिन गुजरगे।

 जब सड़क बनिस त अइसे लागय मानो पाँव रखते फिसलत शहर पहुँच जाबे। एकदम चिक्कन।अइसे  लगय जइसे गोरी के गाल। एकदम करिया-करिया अइसे लगे जइसे गोरी के लम्बा करिया बेनी।

  पूरा गाँव भर खुशी के लहर छागे, हमरो गाँव म सड़क आगे। हमरो गाँव म सड़क आगे। अतका खुशी अतका खुशी की पूछ झन। फेर कोन जनि हमन कइसना फुटहा करम के हावन। काखर नजर लगिस की चारे च महीना म बड़े-बड़े डिम्पल दिखे ल धर लिस।  गाड़ी मोटर लहरावत जाय। डिम्पल ह चल जतिस। काबर की जब भी डिम्पल म गाड़ी जावय त बने गुदरुस ले लागय। धीरे-धीरे  डिम्पल ह खोलदावन होगे अउ सड़क भर इहाँ उहाँ ले बड़े-बड़े पिम्पल निकल गे। जेमा गाड़ी चले त हकरस भकरस लागथे। कहाँ गोरी के गाल कस चिक्कन सड़क जिहाँ कोनो दाग नइ रहिस अउ चारे च महीना म पिम्पल के भरमार। त अइसन म ओ नेता ल कइसे भुलाबे, अउ उहू ह कहे रहिस, मोला झन भुलाहु कहिके। 

अब तो गाँव म फेर उदासी छागे अउ अब सब कहत हावय, "येखर ले तो हमर गाड़ा रावन बने रहिस।"


दिलीप कुमार वर्मा 

बलौदाबाजार

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