Saturday 25 June 2022

अनुवाद- चौरा चौरी कहानी


 

चौरी-चौरा के कहानी

(छत्तीसगढ़ी म)

अनुवादक - दुर्गा प्रसाद पारकर

 

चौरी-चौरा के नाम ल तो हम्मन सुने हवन। चौरी-चौरा उत्तर प्रदेष के गोरखपुर जिला म स्थित हवय। माध्यमिक कक्षा मन के इतिहास के पाठ म महापुरूष मन के संस्मरण के संगे-संगे  कतनो राष्ट्रवादी लेख मन म महात्मा गाँधी अउ स्वतन्त्रता आन्दोलन के एक बड़े सन्दर्भ (किस्सा) के रूप म चौरी-चौरा जरूर रहिथे। 4 फरवरी 1922 म उमिहाय (उग्र) भीड़ ह एक ठन थाना म आगी लाग दिन। जेमा 23 झिन पुलिस मन के इंतकाल (मृत्यु) हो गे रिहिस। एला सबो झिन जानत हव। ए घटना ल सुन के गाँधी जी ल भारी पीरा होइस। ओहा ए अपराध के भारी निंदा करिस। इही घटना के सेती साल भर पहिली ले सरलग चले आवत असहयोग आन्दोलनके रूकई (स्थगन) बर लिखाय प्रसंग म चौरी-चौरा के सुरता करे जाथे। 

चौरी-चौरा के घटना ह गाँधीवादी राजनीति बर, ओ बखत समाज के खाल्हे (निचले) स्तर के मनखे याने किसान अउ मजदूर मन करा पहंुचे के बाद उंकर समझदारी अउ सरलग बूता ल जारी रखे खातिर (क्रियान्वयन) एक अइसे नमूना पेष करथे जउन ह गाँधीवादी आन्दोलन के

 

चौरी-चौरा/3

स्वीकृत विचारधारा उपर प्रष्न लगाथे। स्पष्ट रूप ले इहां हमर उद्देष्य दूसर राष्ट्रवादी वर्णन मन के जइसे चौरी-चौरा के सन्दर्भ म गाँधी जी के सिद्धांत मन के व्याख्या करना नइ हे बल्कि 4 फरवरी 1922 के चौरी-चौरा म वाजिब म जउन कुछ होइस ओकर तइयारी अउ परिणाम मन के विवेचन करना भर हे।

    ओइसे भी गाँधी जी ह खुदे ए घटना ले अपन आप ल अलग कर ले रिहिस तभो ले गाँधी जी के नाम ले सकलाये गाँव वाले मन के अति उत्साह के सेती ए घटना घटिस। ए कहानी के सुरूआत उंकरे मन ले होथे।

असहयोग आन्दोलन बर बिगुल

सन् 1920के आखिरी म गाँधी जी ह असहयोग आन्दोलन के रूप म एक ठन क्रान्तिकारी कार्यक्रम के सुरूआत करिस। ए आन्दोलन के माध्यम ले ओ सबो जिनिस, संस्था अउ व्यवस्था मन के विरोध करना रिहिस जेकर माध्यम ले अंग्रेेज ह हमर मन उपर राज (षासन) करत रिहिस। ओहा देष म किंजर-किंजर (घूम-घूम) के बिदेसी जिनिस (खासकर विदेषी वस्त्र), अंग्रेजी कानून, षिक्षा अउ प्रतिनिधि सभा मन के बहिष्कार करे बर प्रचार करिस। भारतीय मुसलमान मन के चलाए जावत खिलाफत आन्दोलनके संगे-संग चलाए जावत ए आन्दोलन काफी सफल होइस।

राज ले स्वराजडाहर बढ़त बूता के ए दौर म कां    ग्रेस करा स्वदेषी अउ अहिंसा नाम के दू ठन बहुत महत्वपूर्ण अस्त्र रिहिस। ए आन्दोलन ल सरलग चला के सफल बनाए के जिम्मेदारी सत्याग्रही स्वयं सेवक मन उपर सिहिस। सन् 1919 के रौलेट एक्टबर करे गे 

 

4/चौरी-चौरा     

                   

 

 

 

 

सत्याग्रह के दौरान सबले पहिली कांग्रेस ह सत्याग्रही स्वयं सेवक मन ल संघेरे (षामिल) के मुहतुर (षुरू) करे रिहिस। जिंकर बूता सत्याग्रह ल सुचारू रूप ले चलाना अउ कांग्रेेस के कार्यक्रम म सकलाय मनखे मन के देख रेख करना अउ अनुषासन बनाए रखना रिहिस। ए बूता (कार्य) बर उमन ल प्रषिक्षण (ट्रेनिंग) घलो मिलत रिहिस। स्वयं सेवक बने बर मनखे (व्यक्ति) ल एक ठन किरिया शपथ (प्रतिज्ञा) पत्र मरे बर पड़े जेया ओहा भगवान के नाम के किरिया (सौगन्ध) लेवय कि ओहा सिरिफ खादी पहिरही, अहिंसा के पालन करही, अपन नेता मन के आज्ञा के पालन करही, हिन्दू धरम म व्याप्त जाति व्यवस्था के विरोध करही, साम्प्रदायिक सौहार्द बनाए बर उदिय (कोषिष) करही, सबो किसम के तकलीफ (जेल आदि)

 

चौरी-चौरा/5

 

 

 

 

 

 

 

 

ल झेले बर तइयार रिही अउ गिरफ्तार होये के बाद अपन परिवार बर आर्थिक सहयोग नइ मांगही। अइसन शर्त मन के बावजूद घलो ओ समय राष्ट्रीयता के भावना अइसे फैले रिहिसे कि दिसम्बर 1921 तक हजारों के संख्या म लोगन मन ह कतनो स्वयं सेवक संघ मन म शामिल हो गे रिहिन।

 

दू गाँव: चौरी अउ चौरा

    आवव अब लहूट के चौरी-चौरा डाहर चलथन। चौरी अउ चौरा दू अलग-अलग गाँव मन के नाम रिहिस। जेला एक करे के बूता करे रिहिसे रेल्वे के एक झिन ट्रैफिक मैनेजर ह। जेहा जनवरी 1885 म उहां एक ठन रेल्वे स्टेषन के स्थापना करे रिहिस। अइसे किसम ले सुरू म रेल्वे प्लेटफार्म अउ माल गोदाम के अलावा चौरी-चौरा नाम के कोनो जघा (जगह) नइ रिहिस। सन् 1885 के बाद घलो जउन तीर तखार (आस-पास) म हाट बाजार बसिस वहू ह चौरा गाँव म बसिस। चौरा म ही ओ जाने माने (मषहूर) थाना घलो रिहिस जेला 4 फरवरी 1922 के जलाए गे रिहिस। ए थाना के स्थापना सन् 1857 के क्रान्ति के बाद करे गे रिहिसे।

 

6/ चौरी-चौरा

 

येहा तृतीय दर्जा के थाना के रूप म रिहिस।

    इहां के रहवइया मन म 11 प्रतिषत कलार जाति के मन रिहिन जिंकर धन्धा दारू (षराब) बनई अउ दूसरा नान मून (छोट मोटे) व्यापार करना रिहिस। इमन चौरा के अलावा मुँडेरा बाजार म घलो सबले जादा प्रभावषाली रिहिन। इहां के करीब दू तिहाई मनखे खेती किसानी उपर अउ एक तिहाई मनखे मन व्यापार उपर निर्भर रिहिन। चौरा अउ तीर तखार के बाजार जइसे मुँडेरा अउ भोपा के बाजार ले मरे जानवर के चमड़ा अउ हाडा (हड्डियाँ), दार, गेहूँ, अरसी, शक्कर अउ गुड़ के निर्यात होवय। जबकि मिट्टी तेल, माचिस अउ कपड़ा आदि बाहिर ले आवत रिहिस। सन् 1922 के सुरूआत म चौरा बाजार म तीन ठन तेल के मिल रिहिस, एक दू ठन चीनी (षक्कर) बनाए के कारखाना, चीनी अउ गुड़ के दू बड़े दलाल (आढ़त), कपड़ा के दू ठन छोटे दुकान अउ कलार मन के दू चार ठन किराना के दुकान रिहिस। रेल्वे स्टेषन करा बर्मा शेल कंपनीके एक ठन मिट्टी तेल (माटी तेल) के डिपो घलो रिहिस। 4 फरवरी 1922 के दंगाई मन हइें ले माटी तेल बिसा के (खरीद कर) थाना म आगी लगाए रिहिन। हर मंगलवार अउ शुक्रवार के इहां बाजार लगत रिहिस। जिहाँ तीर तखार के किसान अउ व्यापारी मन अपन दुकान लगावय अउ खरीददारी करय।

    सनिच्चर (षनिवार) के दिन तीर के भोपा बाजार म बाजार लगय। जिहां चमड़ा अउ हाड़ा मन के व्यापार होवय। बाजार के दिन इहां करीब तीन चार सौ लोगन मन बाजार करय। ये व्यापार ह ज्यादातर मुसलमान व्यापारी मन के हाथ म रिहिस। जउन मन कानपुर अउ कलकत्ता के बड़े बड़े बाजार मन म चमड़ा अउ हाड़ा के सप्लाई करय। 

    फेर ए सबो म सब ले बड़े अउ स्थापित (नामी) बाजार मुँडेरा के रिहिस।

 

चौरी-चौरा/7

 

 

मुँडेरा बाजार रेल्वे लाइन के दूसर डाहर रिहिसे। इहां मुख्य रूप ले दार (दाल), गुर (गुड़) अउ चाँउर (चावल) के बड़े बड़े दलाल मन राहत रिहिन। इहां के दुकान मन चाहे ओहा किराना के हो या कपड़ा के या दारू (षबरा), गांजा के, या मांस के ये सबो दुकान मन दूसर जघा के दुकान मन ले बड़का रिहिन। तभे तो इहां के मन इही बाजार ल असली बाजारकाहय। इहां हर सनिच्चर के बाजार लगय अउ अइसने एक दिन बाजार वाले के दिन चौरी-चौरा के घटना होय रिहिस।

    ये बाजार मन म चौरा बाजार ह बड़की डुमरी के जमींदार सरदार उमराव सिंह के क्षेत्र म अउ मुँडेरा बाजार ह बिषेनपुरा के जमींदार सन्त बक्स सिंह के क्षेत्र म आवत रिहिस। ये जमींदार मन अपन-अपन क्षेत्र के बाजार म दुकान लगइया दुकानदार मन उपर कर लगावत रिहिन। बाजार म कोनो भी किसम के अषान्ति या अव्यवस्था पैदा करइया मन संग बड़ सख्ती ले निपटय। ए बूता बर चौरा थाना के सिपाही अउ दरोगा मन साथ देवय जउन मन इन प्रभावषाली लोगन मन के काम आना अपना फर्ज समझे।

सामाजिक - राजनीतिक परिवर्तन

    अब सामाजिक अउ राजनैतिक परिक्षेत्र म होवत बदलाव ल देखथन। पूर्वी उत्तर प्रदेष के जम्मो जिला अउ खास कर के गोरखपुर जिला बिक्कट पिछड़ा इलाका रिहिस। फेर 20वीं सदी के सुरूआत ले कुछ सामाजिक अउ धार्मिक संगठन मन ह ए इलाका म बूता करना सुरू कर दे रिहिन। ये संगठन मन म - गौरक्षिणी सभा, सेवा समिति, ग्राम हितकारिणी सभा अउ ग्राम सुधारक सभा प्रमुख रिहिन। हालाँकि इंकर मन के कार्यक्षेत्र ह खास तौर ले धर्म अउ समाज म व्याप्त कुरीति मन ल दूर भगाना रिहिस तभो ले इमन

 

8/चौरी-चौरा

 

 

 

अपन बूता के माध्यम ले लोगन मन ल देष म होवत अऊ दूसर गतिविधि मन के बारे म घलो जनवइन। अइसे किसम ले सन् 1920 तक आवत आवत लोगन मन म थोर बहुत राजनीतिक चेतना घलो आए बर घर ले रिहिस। बहुत अकन जाति सभा मन अउन अभी तक ले सिरिफ जाति सुधार तक सीमित रिहिन अब वहू मन राजनीतिक मामला ल घलो उठाए बर धर लिन। उदाहरण के रूप म दिसम्बर 1920 म गोरखपुर के एक तहसील म भूमिहार राम लीला मण्डलके स्थापना होइस। जेकर उद्देष्य रिहिस-ग्रामीण समाज म एकता स्थापित करना अउ भगवान राम के बखान करत-करत सत्याग्रह के प्रचार करना रिहिस।

 

चौरी-चौरा/9

 

अइसने किसम ले बहुत अकन मामला मन म नीचे समझइया जाति मन के पंचायत ह घलो खवई-पियई अउ काम के तरीका मन म रोक लगाए बर सुरू करिन। अपन घर के माईलोगन मन ल जमींदार के घर म काम-बूता बर जाए खातिर मना करिन अउ यहू फैसला करिन कि अब कोनो भी मर्द जमींदार मन के घर बिना मजदूरी के काम नइ करय। उदाहरण बर गोरखपुर ले छपइया एक ठन हिन्दी अखबार स्वदेष6 फरवरी 1921 के लिखथे कि बस्ती के मेहत्तर, धोबी अउ नाऊ मन 27 जनवरी 1921 के अपन-अपन जात-बिरादरी के पंचायत मन म ए फैसला करिन कि कहूं उंकर मे से कोनो भी मनखे ह मांस, मछरी या दारू के सेवन करही ओला सजा दे जाही अउ साथ म ओला 51 रूपिया गौषाला बर चन्दा दे बर परही। अउ यहू फैसला करिन कि उमन ओ सबो जजमान मन के घर

 

10/चौरी-चौरा

 

 

 

 

 

म काम-बूता नइ करन जउन मन ए सब के सेवन करथे। ए पंचायत मन म होए फैसला ल बड़ा कड़ाई से पालन करे जावत रिहिस। सामाजिक रूप ले अषुद्ध समझइया जाति मन के अइसन ढंग ले अपन आप ल शुद्ध करे के कोषिष एक किसम ले उंकर अपन पराधिनता ल नकारे के उदिम (प्रक्रिया) दिखथे।

   

गँाधी बबा के चमत्कार

सन् 1920 के बाद गोरखपुर जिला के गाँव मन म गाँधी पंचायतघलो बिक्कट अकन दिखे बर धर लिस। ये पंचायत सिरिफ एक बिरादरी के नइ हो के पूरा गाँव के होवत रिहिस अउ इंकर मन के मुद्दा मन घलो व्यापक राहत रिहिस।

सन् 1921 के बाद इंकर संग एक अउ खास बात जुड़ गे। वो ए आय कि ये पंचायत मन के द्वारा अपराधी करार दे के बाद ओ मनखे मन ल कहूं कोनो भी कारन ले कोनो भी किसम के तकलीफ नही ते मानसिक पीरा होवय ते ओला गाँधी बाबाके चमत्कार समझे बर धर लिन। उमन कहाय कि गाँधी बबाह उंकर करनी के सजा देवत हवय। अतने भर नही ओ बखत गाँव मन म कोनो भी अनहोनी या आष्चर्यजनक घटना हो जतिस वहू ल गाँधी जी के चमत्कार मान लेवत रिहिन अउ उंकर गोठ स्थानीय अखबार तक म होवत रिहिस। उदाहरण बर मार्च 1921 के एक अंक म स्वदेष अखबार ह अइसने चमत्कारिक घटना मन के जिक्र करे हे। एक ठन गाँव म देखिस कि अचानक सबो कुआँ मन ले धुआँ निकले बर धर लिस, जब उमन कुआँ के पानी ल पी के देखिन त ओमा केवड़ा फूल के सुगंध आवत रिहिस। कोनो गाँव म एक ठन घर ह करीब एक बच्छर ले बंद परे रिहिस। जब ओला खोलिन त उहां ले पवित्र कुरान के 

चौरी-चौरा/11

के एक प्रति मिलिस। एक जघा (जगह) अहीर ह एक झिन साधु ल, जउन गाँधी जी के नाम म भीख मांगत रिहिस, ओला भीख दे ले मना कर दिस तहान ओकर सब्बो गुर (गुड़) अउ एक जोड़ी बइला (दो बैल) ह जर के खतम हो गे। अउ एक झिन बांम्हन (ब्राह्मण) ह गाँधी जी के चमत्कार ल नइ मानिस तहान ओहा पागल हो गे अउ ओहा तभे बने होइस जब गाँधी जी के नाम के जाप करना सुरू करिस।

    अइसने किसम के कतनो कहानी मन ओ बखत गोरखपुर के गाँव मन म चलन म रिहिस। एमा कतना सच्चाई हे येला तो कोनो भी समझ सकथे फेर ये

 

 

14/चौरी-चौरा

 

 

 

 

 

अफवाह मन ले गाँव के मनखे मन उपर असर परत रिहिस। कांग्रेस के स्थानीय नेता मन ल घलो एकर ले गाँव के जनता ल गाँधी जी के नाम म संगठित करे बर बहुत मदद मिलत रिहिस। अब उमन कोनो भी सभा के आयोजन करय त ओला गाँधी सभाके नाम दे देवत रिहिन तहान ओमा अपने आप भारी भीड़ सकला जावत रिहिस।

    फेर ए कहानी अउ अफवाह मन के सेती गाँधी जी के बाढ़त प्रभाव के कारन ए इलाका के जमींदार मन काफी परेसान रिहिन। सबले पहिली तो इमन गँवई इलाका म एकता बनइस तिही पाय के जमींदार मन के दबदबा ही नही बल्कि उंकर अधिकार क्षेत्र म घलो हमला होय बर धर लिस। 

    गोरखपुर ले प्रकाषित, जमींदार मन के गुनगान करइया अखबार ज्ञान शक्तिह अप्रेल 1921 म लिखिस कि सब्बो गाँव म रात के समय लोगन ढोल, तासक अउ मंजीरा बजावत गाँधी जी के गीत गाथे अउ नारा लगाथे। ए बूता ल येमन स्वराज के डंकाबजाना काहय। येमन अपना यात्रा के दौरान लोगन मन ल बतावय कि अंग्रेज मन ह गाँधी जी ले ए शर्त लगाये रिहिन हवय कि कहूं उमन आगी ले बिना जले नहाक दिही ते उमन ल स्वराज मिल जही। गाँधी जी ह एक ठन बछरू के पूछी ल धर के आगी ल नहाक दे हे तिही पाय के स्वराज आ गे हे। गाँधी जी के स्वराज म सिरिफ चार आना अउ आठ आना प्रति बीघा के दर ले लगान लगही। इही पाय के कोनो भी मनखे एकर ले जादा लगान जमींदार मन ल झन देवय। ज्ञान शक्तिअखबार ह आगू चिंता जतइस कि अइसन हरकत मन ले स्वराज आय म देरी होही अउ देष ल बड़े नुकसान होही।

 

चौरी-चौरा/15

 

 

 

 

हालाँकि ये सबो बात ह कांग्रेस के स्थापित विचार अउ कार्यक्रम मन के उल्टा रिहिसे, तभो ले कांग्रेस के नेता मन ए गाँव वाले मन ल स्वराज पाये के बाद अपन बर आदर्ष शासन के कल्पना करे ले नइ रोक पइन। एक गाँव वाले मन बर शासन या दमन के स्थापित प्रतिनिधि मन ल उखाड़ फेकना ही स्वराज रिहिस।

    उदाहरण के तौर म चौरी-चौरा थाना के थानादार के घरेलु नौकर सरजु कहार ह बाद म मुकदमा के दौरान कोर्ट ल ए बतइस कि घटना के दू-चार दिन पहिली ओहा लोगन मन ल ए कहात सुने रिहिस कि गाँधी महात्माके स्वराज आ गे हे अउ अब चौरा थाना ल बन्द कर दे जाही। उंकर जगह स्वयं सेवक (वॉलिण्टियर) मन अपन थाना ल खोलही। एकर अलावा माँगपट्टी गाँव के हरवंष कुर्मी ह ए बतइस कि ओकर गाँव के नारायण, बालेष्वर अउ चमरू ह ओ घटना के बाद ओला बतइस कि मनखे मन चौरा थाना ल जला दे हे अउ अब स्वराज आ गे हे। अइसने बयान उही गाँव के फेंकु चमार ह घलो कोर्ट म दे रिहिस।

 

गाँधी जी गोरखपुर म

अइसन आर्थिक, सामाजिक अउ राजनीतिक माहोल म 8 फरवरी 1921 म गाँधी जी ह गोरखपुर के दौरा करिस। अखबार स्वदेषके मुताबिक गाँधी जी जउन रेलगाड़ी (ट्रेन) ले गोरखपुर आवत रिहिस ओहा हर स्टेषन म रूकत रिहिस जिहां हजारो के संख्या म ओकर दर्षन बर खड़े राहय। ये मन गाँधी जी के दर्षन करे के संगे-संग ओला कुछ भेंट (रूपिया पइसा) घलो देना चाहत रिहिन। मगर उमन ल केहे जावत रिहिस कि ए भेंट ल गोरखपुर म देवय।

 

16/चौरी-चौरा

 

 

 

 

    चौरी-चौरा स्टेषन म एक झिन मनखे ह कुछ दे म सफल हो गे। ओकर बाद तो कोनो ल रोकना मुष्किल हो गे। उही प्लेटफार्म म एक ठन चद्दर जठा दिन, जेमा लोगन रूपिया पइसा के बरसात कर दिन। कोनो भी ये नइ सांेचे रिहिसे कि चौरी-चौरा जइसे साधारण स्टेषन म अतेक अकन पइसा सेकला जही।

    गोरखपुर म गाँधी जी के सभा म करीब 2.5 लाख मनखे उपस्थित रिहिन बहुत अकन मन चौरा थाना के तीर-तखर के गाँव वाले मन रिहिन। गाँधी जी ह अपन भाषण म अंग्रेजी शासन के असहयोग करे के अलावा छै अउ मुख्य बात उपर जोर दिस।

 

चौरी-चौरा/17

 

 

 

 

 

 

 

 

 

1.    हिन्दू - मुस्लिम एकता।

2.    लोगन ल का नइ करना हे - लउठी के प्रयोग, हाट बाजार के लूट, सामाजिक बहिष्कार।

3.    अपन विचार के मनइया मन ले ए अपेक्षा करिस कि उमन जुआ खेले बर छोड़ देवय, गाँजा शराब झन पीयय, वेष्या मन करा झन जावय।

4.    वकील अउ अभिकर्ता अपन प्रैक्टिस छोड़ देवय, सरकारी स्कूल मन के बायकाट करे जाये, सरकारी उपाधि मन ल छोड़ दे जाये।

5.    लोगन सूत कातना सुरू करय अउ बुनकर सिरिफ हाथ ले बने सूत ल ही बिसावय।

6.    स्वराज के मिलई ह हमर संख्या, अंतस के मजबूती, भगवान के असीस, शान्ति, त्याग आदि उपर निर्भर हवय।

        इही बात मन ल गाँधी जी ह उत्तर प्रदेष अउ बिहार के अउ सभा मन म काहत आवत रिहिस। दरअसल ए आन्दोलन के दौरान कतनो जघा म लूटमार अउ आगजनी के कतनो घटना हो चुके रिहिस। मिसाल के तौर म बिहार के दरभंगा, मुजफ्फरपुर अउ संयुक्त प्रान्त (उत्तर प्रदेष) के रायबरेली, सुल्तानपुर, फैजाबाद कस जिला म कतनो जघा के हाट बाजार ल लूट ले रिहिन हे। अउ सरकारी सम्पत्ति ल नुकसान घलो पहुंचाये रिहिन। अइसन घटना ल रोके बर ही गाँधी जी ह अपन सभा मन म अइसन बात मन म जोर देवत रिहिसे। एकर लोगन मन उपर दरअसल कतना असर होइस होही, ओहा आगु के घटना मन से ही पता चलथे।

        गाँधी जी के गोरखपुर यात्रा ह उहां के राजनीतिक जीवन म एक नवा  

 

20/चौरी-चौरा

 

 

 

परान अउ एक नवा उत्साह भर दिस। 13 फरवरी 1921 म स्वदेष म छपे एक कविता ल देखवः

    परान डारही इहां आप के आना अब तो,

    लोगन देखही कि बदले हे जमाना अब तो।

    आप आये हव इहाँ परान आये हे समझव,

    जइसे गोरख धुनी फिर से रमाये हे समझव।

   

ओकर आय के उत्साह, ओकर आये ले जागे उम्मीद अउ ओकर द्वारा करे गे अंग्रेजी शासन उपर प्रहार ह उहां स्थानीय स्तर म होवत बदलाव के संग मिल के एक अइसे माहोल पैदा कर दे रिहिसे जेकर ले उहां के साधारण जनता के जीवन उपर भारी फरक परिस। गाँधी जी के यात्रा ह उहां एक अइसन राजनीतिक चेतना ल जनम दिस जेहा बरसो ले चले आवत शक्ति सबम्ध मन ल जइसे अंग्रेजी - हिन्दुस्तानी, जमींदार - किसान, छोटे बड़े जाति वाले मन ल पलटना सुरू कर दिस।

घटना की पृष्ठभूमि (घटना के भूमिका)

जनवरी 1921 के मध्य म ही चौरा थाना ले एक मील के दूरिहा म बसे छोटकी डुमरी गाँव म कांग्रेस स्वयं सेवक मन के एक मण्डल (ग्रामीण इकाई) के स्थापना हो चुके रिहिस। वॉलिण्टियर (स्वयंसवेक) मन के भरती म बहुत तेजी नइ आय रिहिस। असहयोग आन्दोलनल मुसलमान मन के खिलाफत आन्दोलन के संग मिलाय के गाँधी जी के निर्णय इहाँ के संगठनात्मक रूप ले काफी महत्वपूर्ण साबित होइस। अब बहुत अकन मुसलमान मन ए राष्ट्रीय आन्दोलन म संघरे (षामिल) बर धर लिन।

 

चौरी-चौरा/21

 

 

 

 

जनवरी 1922 म चौरा के लाल मुहम्मद सांई ह गोरखपुर कांग्रेस खिलाफत कमेटी के एक कार्यकर्ता हकीम आरीफ ल डुमरी मण्डल के लोगन मन ल सम्बोधित करे बर बलइस। हकीम आरिफ ह लोगन मन ल किहिस कि उमन पोनी (रूई) के खेती करय, ओकर सूत कातें अउ ओकरे ले बने कपड़ा ल पहिरय। ओहा आपस के झगरा लड़ई ल आपस म सुलझाए बर किहिस अउ थाना या जमींदार मन करा जाये बर मना करिस। ओहा ताड़ी अउ दारू (षराब) पीये बर घलो मना करिस अउ यहू किहिस कि स्वराज मिले के बाद लोगन ल सिरिफ चार अउ आठ आना प्रति बीघा के दर ले लगान दे बर परही। हकीम आरिफ ह डुमरी मण्डल बर कुछ पदाधिकारी मन के नियुक्ति घलो करिस। लाल मुहम्मद सांई ल सचिव नियुक्त करे गिस, भगवान बनिया

 

22/चौरी-चौरा

 

 

 

 

ल उपसचिव अउ खजांची, मीर षिकारी ल संयुक्त सचिव अउ नजर अली ल उप संयुक्त सचिव नियुक्त करे गिस। ओकर बाद ओहा कार्यकर्ता मन ल चन्दाअउ चुटकीजमा करत रेहे बर जिम्मेदारी सौंप के चले गे।(चन्दातो आजो घलो काफी प्रचलित तरीका आय पइसा जमा करे बर, मगर चुटकीके चलन अब नइ हे। स्वतन्त्रता आन्दोलन के समय गाँधी जी ह सबो देषवासी मन ले ये सलाह दे रिहिस कि उमन रोज खाए के अनाज म एक मुठा (मुट्ठि) अनाज देष बर निकाले। येला कांग्रेस के स्वयं सेवक घर-घर जा के सकेले। इही ल चुटकीकाहय। अइसन तरीका ले जमा करे अनाज आन्दोलन के समय स्वयं सेवक मन बर काम आवय।)

    हकीम आरिफ के जाए के बिहान दिन (दूसरा दिन) ले स्वयंसेवक बनाये के काम सुरू कर दिन। सरकारी गवाह मीर षिकारी के मुताबिक, “बिहान दिन ही ओहा 8-9 मनखे मन ल वॉलिण्टियर (स्वयंसेवक) बनइस जेमा चिंगी तेली, बिहारी पासी, फेंकु पासी, सुकदेव पासी, बिन्देष्वरी सैन्थवार, जंगी अहीर, दुधई चमार आदि शमिल रिहिन।एक बूता म ओकर साथ दिस 10-12 बच्छर के लड़का नकछेद ह। नकछेद ह स्कूल म पढ़इया लड़का रिहिस अउ षिकारी ह ओला अपन संग एकर सेती रखिस कि ओहा खुद अनपढ़ रिहिस तिही पाये के प्रतिज्ञा पत्रभरे के बूता ल नइ कर सकत रिहिस। वॉलिण्टियर बनाये के अलावा दूसर महत्वपूर्ण बूता जेला ए कार्यकर्ता मन अपन हाथ म लिन ओ रिहिस मांस, मछरी (मछली), दारू (षराब) अउ बिदेसी (विदेषी) कपड़ा के दुकान मन म धरना (पिकेटिंग) देना। 4 फरवरी 1922 म होय पुलिस ले मुठभेड़ ह इही बूता के नतीजा आय।

    4 फरवरी के घटना के 10-12 दिन पहली डुमरी मण्डल म 30-35 स्वयंसेवक मन मुँडेरा बाजार म धरना दे रिहिन। धरना के दौरान

 

चौरी-चौरा/23

 

 

 

उंकर जादा धियान मांस अउ मछरी बेचइया मन के दुकान उपर रिहिस। एकर सेती नही कि इंकर बिक्री रोकना कांग्रेस के कार्यक्रम म रिहिस बल्कि एकर सेती कि दुकानदार मांस, मछरी ल महँगी म बेचत रिहिनअउ उमन चाहत रिहिन कि कीमत कम हो। थोकिन घटना के बाद बाजार के मालिक सन्त बक्स सिंह के एक कर्मचारी (कारिंदे) ह उमन ल धरना बंद करके बाजार ले जाये बर कहि दिस अउ तहान उमन ल उहां ले जाये बर पर गे। ए पइत (इस समय) के असफलता के बाद स्वयंसेवक मन ए फैसला करिन कि एकर बाद जादा संख्या म अइँगे अउ कर्मचारी के बात ल नइ मानिंगे।

    अब तक ले स्वयंसेवक मन के संख्या 300 से जादा पहुंच गे रिहिसे उंकर शारीरिक प्रषिक्षण (ड्रिल आदि) घलो सुरू हो गे रिहिसे। प्रषिक्षण के जिम्मेदारी ले रिहिस एक झिन रिटायर्ड फौजी भगवान अहीर ह। भगवान अहीर ह विष्वयुद्ध म अंग्रेेज मन के डाहर ले इराक म लड़ई लड़े रिहिस अउ कवायद (कार्यविधि) ल करना कराना जानत रिहिसे।

    मुख्य घटना के करीब चार दिन पहिली कांग्रेस कार्यकर्ता मन डुमरी म एक बड़े सभा करिन। सब्बो वॅालिण्टियर मन ल ए निर्देष दे गिस कि अपन संग बहुत अकन मनखे ल लाहू नही ते कम होय ले पुलिस उंकर पिटाई कर सकथे या गिरफ्तार कर सकथे। अब उमन ल भीड़ के शक्ति के अंदाजा हो गे रिहिसे। शायद उमन ल संयुक्त प्रान्त के अवध क्षेत्र के जिला (रायबरेली, सुल्तानपुर, फैजाबाद, बाराबंकी आदि) मन म चलत किसान आन्दोलन मन के बारे म जानकारी होही जिहां कई हजार किसान मन के भीड़ ह जुलूस अउ घटना ले सरकारी कर्मचारी मन ल झूके बर मजबूर कर दे रिहिन।

 

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ओ सभा म करीब 400 मनखे उपस्थित रिहिन। गोरखपुर ले आये कुछ नेता मन अपन भाषण म गाँधी जी अउ मुहम्मद अली के गुनगान करिन अउ लोगन मन ले उंकर बताये रद्दा म चले बर बिनती करिन। सभा के बाद एक ठन बड़े जन चरखा के संग जुलूस निकाले गिस जउन ह तहसील दफ्तर, थाना अउ बाजार म घुमिस। कोनो ह उमन ल रोके-टोके के कोसिस नइ करिन।

    ए सभा अउ जुलूस के सफलता ले उत्साहित हो के डुमरी के कार्यकर्ता मन दूसर दिन याने 1 फरवरी बुधवार के फिर से मुँडेरा बाजार म धरना दे बर तय करिन। ओ दिन करीब 60-65 वॉलिण्टियर नजर अली,

 

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लाल मुहम्मद साई अउ मीर षिकारी के नेतृत्व म मुँडेरा बाजार पहँुचिन। फेर बाजार के अन्दर जाय बर पहिली ले सन्त बक्स सिंह के आदमी मन उमन ल डाँट डपट के भगा दिन। तभो ले उहां ले वापिस जाये के पहिली ए कार्यकर्ता मन ह ओ कर्मचारी मन ल ए चेतावनी दे दिन कि सनिच्चर के उमन अऊ जादा लोगन मन के संग आबोन तहान गोठियाबोन।

    उही दिन संझा कन आगु के कार्यक्रम ल तय करे बर मीर षिकारी के घर म एक ठन मीटिंग बलाये गिस। मीटिंग सुरूच्च भर होय रिहिसे कि भगवान अहीर, रामरूप बरई अउ महोदव आ के बतइन कि जब उमन बाजार म धरना म बइठे रिहिन तब दरोगा गुप्तेष्वर सिंह ह उंकर बिक्कर पिटई करे हे। ए घटना ह आगी म घीं के बूता करिस ओकर बाद सबो झिन ए फैसला करिन कि दूसर स्वयंसेवक मण्डल मन ल घलो चिट्ठी लिख के बलाय जाय। ओकर बाद सब के संग जा के दरोगा ले पूछताछ करे जाये कि उमन हमर आदमी के पिटाई काबर करे हे ? उंकर सब के मन म ए संकल्प रिहिस कि जउन किसम ले दरोगा ह उंकर पिटई करे हे उही किसम ले दरोगा के घलो पिटई होना चाही।

    दूसर दिन फिर से नकछेद के सहायता लिन अउ अलग-अलग मण्डल मन बर पाँच-पाँच चिट्ठी लिखवाए गिस। सबो बात ल बताये के बाद उंकर मन ले ए बिनती करे गिस कि उमन सनिच्चर के दिन बिहनिया ले डुमरी म बिहारी पासी के घर के आघु के बियारा (खलिहान) म कम से कम 100-150 लोगन के संग जमा होंवय। तहान ओ सभा बर तइयाही करिन। लोगन मन बर गुड़पानी के इंतजाम करे गिस। बइठे बर बोरा अउ नेता मन के स्वागत बर फूल माला मंगवाए गिस।

 

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सनिच्चर याने 4 फरवरी के बिहनिया 8 बजे लेे ही 800 ले जादा लोगन खलिहान म जमा हो चुके रिहिन। मीटिंग सुरू हो गे अउ ए बात बर सुरू हो गे कि बदला कइसे ले जाये। एती दरोगा (थानेदार) गुप्तेष्वर सिंह ल मीटिंग के खबर लग गे रिहिसे। ओला अपन मुखबिर मन ले ए खबर मिल चुके रिहिसे कि मीटिंग म कुछ खास फैसला लिए जा सकथे। इही पाये के ओहा गोरखपुर ले अतिरिक्त पुलिस बल के रूप म बन्दूकधारी सिपाही मन ल बला ले रिहिसे। ओहा मीटिंग म लोगन मन ल कोनो आक्रामक फैसला ले रोके खातिर अपन कुछ आदमी मन ल भेजिस। फेर लोगन मन उंकर एक नइ सुनिन अउ ए फैसला करिन कि उमन उहें दरोगा ले सवाल जवाब करबोन अउ मुँडेरा बजार ल घलो बन्द कराबोन। ए बूता म अवइया खतरा मन ल झेले बर सब तइयार रिहिन। सब्बो झिन अपन दाई-बहिनी के नाम ले किरिया खईन कि पुलिस के गोली चलही तभो ले नइ भागन।

    एकर बाद सभा ह एक जुलूस के रूप ले लिस अउ महात्मा गाँधी की जयके नारा लगावत चौरा थाना डाहर चल दिन। भोपा बाजार तक आवत-आवत उंकर मन के संख्या ह ढाई से तीन हजार तक पहुँच गे रिहिन। भोपा बाजार म उमन ल संत बक्स सिंह के कर्मचारी अवधु तिवारी मिलिस जेहा उमन ल एकर पहिली भगाये रिहिस। ए दरी उमन ल पुलिस के बन्दूक के डर देखइस, फेर जुलूस के नेता मन ओमे धियान नइ दिन। थोकिन आगु जाए के बाद उमन ल अपन बन्दूकधारी सिपाही अउ चौकीदार मन के संग खड़े दिखिस। नेता मन पहिली तो थोकिन डरिन फेर ए हिम्मत ले आगु बढ़त रिहिन कि उंकर संख्या अतना जादा हे कि दरोगा कुछु नइ किही। ए जघा म बीच-बचाव करिस हरचरण सिंह ह। ओहा जमींदार

 

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सरदार उमराव सिंह के मैनेजर रिहिस। ओहा जुलूस ने नेता मन संग गोठबात करिस ओकर बाद जब नेता मन ओला आष्वासन दिस कि उमन शान्तिपूर्वक चुपचाप मुँडेरा बाजार चल देबोन कहिके तहान दरोगा अउ सिपाही मन ल रद्दा ले हटा लिस। विजयी जुलूस आगु डाहर बढ़त रिहिस अउ बहुत अकन मन भोपा अउ मुँडेरा बाजार करे बर आये रिहिन वहू मन जुलूस म सामिल होवत गिन।

    जब जुलूस थाना के आगु वाले सड़क म पहुँचिस त एक घांव फेर पुलिस मन ले सामना होइस। यहां दरोगा गुप्तेषवर सिंह जुलूस के नेता लाल मुहम्मद सांई, नजर अली, श्याम सुन्दर, मीर षिकारी, रामरूप मन संग गोठियाना चाहत रिहिसे। भीड़ ह एला अपन आखिरी विजय मानिस अउ जोर जोर से थपरी (तालियाँ) बजा-बजा के पुलिस वाले मन के मजाक उड़ाय बर घर लिन। जेखर ले बौखला के कुछ पुलिस मन लउठी (लाठियाँ) चलाना सुरू कर दिस जेकर

 

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जवाब भीड़ ह पथराव ले दिस। तीर म रेल्वे लाइन रिहिस जेकर ले उमन ल पथरा (पत्थर) खोजे बर नइ परिस। तब पुलिस वाले मन चेतावनी के तौर बर हवा म गोली चलइन फेर जब कोनो घायल नइ होइस न ये अफवाह उड़िस कि गाँधी जी के परताप ले गोली मन पानी हो गे।

    एकर ले भीड़ के मनोबल अऊ बाढ़ गे। तहान पथराव घलो तेज हो गे। एकर बाद पुलिस बाले मन सही म फायरिंगकरिस जेकर ले तीन झिन मारे गिस अउ कतनो झिन घायल हो गे। फेर एकर ले भीड़ ह संात होय के बदला अउ जादा आक्रामक हो गे। पुलिस वाले मन करा गोली कम रिहिस अउ पथराव सरलग जारी रिहिस तहान एकर ले बाँचे खातिर उमन थाना म सरन लिन। तहान भीड़ ह थाना ल घेर लिन ओकर बाद खिड़की-दरवाजा ल तोड़ना सुरू कर दिन। इही समय कुछ लोगन मन तीर के डिपो ले माटी (मिट्टी) तेल लान लिन तहान 

 

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ओला छिड़क के थाना म आगी लगा दिन। लूट-पाट के ए दौर ह काफी देर तक चलत रिहिस। पहिली मुँडेरा बाजार म, तहान रेल्वे स्टेषन, पोस्ट अउ टेलिग्राफ म। रेल्वे स्टेषन के दुनो डाहर करीब तक मील तक के रेल्वे लाइन ल उखाड़ दे गिस अउ टेलिग्राफ  के तार ल काट दे गिस। सरकार या शासन ले सम्बन्धित हर जिनिस ल नष्ट कर दे गिस। ओकर बाद जब संझा कन घर लहुँटिन त उमन ल भरोसा रिहिस कि उमन ह सरकार ल उखाड़ फेके हे। तहान अब स्वराज आ गे हे। फेर उंकर भीतरी एक ठन डर घलो रिहिस कि पुलिस ओकर बदला जरूर लिही। तिही पाय के डर के मारे अपन-अपन गाँव नइ लहूट के दूर दराज के सगा सोदर (रिष्तेदारों) मन के घर चल दिन।

 

जवाबी कार्यवाही

पुलिस के जवाबी कार्यवाही काफी तेज हो गे। बिहान दिन बिहनिया (सुबह-सुबह) ले छोटकी डुमरी म पुलिस मन छापा मारिन फेर कोनो नेता हाथ नइ अइस। तब वॉलिण्टियर मन के नाम अउ उंकर खिलाफ सबूत सकेले के बूता सुरू

 

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होसइ। उही दिन गोरखपुर के सदर कोतवाल ह कांग्रेस-खिलाफत कमेटी के दफ्तर म छापा मारे के बाद सबो कागजात ल जप्त कर लिस। उही कागजात मन म डुमरी मण्डल के वॉलिण्टियर मन के प्रतिज्ञा पत्र घलो रिहिस जेकर आधार म पुलिस ह गिरफ्तार करिस। महीना भर के भीतर लगभग सबो प्रमुख वॉलिण्टियर पकड़ा गे।

पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक ए दंगा म करीब 6000 लोगन सामिल रिहिन हे जेमा से लगभग एक हजार लोगन ले पूछताछ करे गिस तहान आखिर म 225 मन के उपर मुकदमा चलाये गिस। स्वयंसेवक मन के एक प्रमुख नेता मीर षिकारी सरकारी  गवाही बन गे। तहान ओकर बयान के आधार म गोरखपुर के डिस्ट्रिक्ट जज एच.ई. होम्स ह 9 जनवरी 1923 के 172 लोगन मन ल

 

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फांसी के सजा सुनइस अउ 50 झिन ल बरी कर दिस (3 झिन के मौत मुकदमा के सुनवाई के चलत हो गे रिहिस।) मगर इलाहाबाद हाई कोर्ट ह अपन 30 अप्रेल, 1923 के फैसला म 110 झिन लोगन मन के फाँसी के सजा ल आजीवन कारावास म बदल दिस। 38 झिन मन ल बरी कर दिस अउ सिरिफ 19 झिन मन के फांसी के सजा ल बहाल रहिस।

    दंगा के तुरन्त बाद पुलिस मन जइसे गोरखपुर कांग्रेस खिलाफत कमेटी के लोगन मन घलो हरकत म आ गे। उमन एक ठन आपात बइठक बलवा के चौरा थाना के तीर तखार के गाँव के वॉलिण्टियर मण्डल मन ल भंग कर दिन अउ अपन आप ल ए घटना ले बिल्कुल अगल कर लिन। एती गाँधी जी ह अपन बेटा देवदास गाँधी ल अपन खास दूत के रूप म घटना के पूरा जानकारी बर चौरी-चौरा भेजिस। मगर प्रषासन ह ओला चौरी-चौरा जाए बर रोक दिस।

    12 फरवरी 1922 के दिन गाँधी जी ह असहयोग आन्दोलन वापसी के घोषणा कर दिस। दरअसल पिछले कुछ महीना ले देष के बाकी हिस्सा म आंदोलन ठंडा पड़त जावत रिहिस अउ अइसन स्थिति म जबकि गाँधी जी ह देष ल एक बच्छर के भीतर स्वराज देवाये बर वादा कर दे रिहिस। फेर स्वराज मिले के कोनो आसार दिखाई नइ देवत रिहिसे। ए आन्दोलन ल वापिस ले बर एकर ले बढ़िया मौका कोनो अउ नइ हो सकत रिहिसे। मगर 16 फरवरी 1922 म लिखे अपन लेख चौरी-चौरा के अपराधम गाँधी जी ह आन्दोलन ल वापिस ले के कारन देस म कोनो भी किसम के अहिंसक आंदोलन छोड़े बर तइयार नइ होना ल बतइस। ओकर मुताबिक ये आन्दोलन ल वापिस नइ लेतिस ते दूसर जघा मन म घलो अइसने घटना होतिस।

 

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गँाधी जी अपन लेख म एक डाहर ले एक घटना बर पुलिस वाले मन ल जिम्मेदार ठहरइस काबर कि उंकरे उकसाये ले भीड़ ह अइसन कदम उठाये रिहिन। दूसर डाहर ए घटना म सामिल सबो झिन ल पुलिस के हवाला करे बर सलाह दिस काबर कि उमन अपराध करे रिहिन।

    ओती गोरखपुर म बइठे देवदास गाँधी ह मृत पुलिस वाले मन के परिवार मन के सहायता बर एक चौरी-चौरा सहायता कोषके स्थापना करिस। ओकर बाद संयुक्त प्रांत यू. पी. के तमाम जिला कांग्रेस कमेटी मन ल आदेस दिस कि एक कोष बर दू-दू हजार रूपिया जमा करय। गोरखपुर जिला ल सजा स्वरूप दस हजार रूपिया जमा करना रिहिस। ए सहायता कोष ले मृत या सजायापता वॉलिण्टियर मन के परिवार वाले मन ल कुछु नइ मिलना रिहिस काबर कि उमन अपराध करे रिहिन।

 

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आन्दोलन के प्रनेता होय के सेती थोर बहुत जिम्मेदारी गाँधी जी के घलो रिहिस तभे तो प्रायष्चित करे बर पाँच दिन ले उपास रिहिस। तहान चौरी-चौरा काण्ड के सजायापता वॉलिण्टियर (स्वंयसेवक) मन के परिवार वाले मन के सुधार तो सरी जिनगी भर चलत रिहिस।

सन्दर्भ सामग्री

दिल्ली विष्वविद्यालय के प्रोफेसर शहिद अमीन की पुस्तक Event, Mataphor, Memory: Chauri-Chaura, 1922-1992, Oxford University Press (OUP), New Delhi, 1995 

और उनके लेख, Small Peasant Commodity Production and Rural Indebtedness : The Culture of Sugar cane in Eastern U.P. 1880-1920. Subaltern Studies (SS), Vol.-I, OUP, New Delhi, 1982.

Gandhi As Mahatma : Gorakhpur District, Eastern U.P. 1921-22, SS, Vol.-III, OUP, New Delhi, 1984.

Approver’s Testimony, Judicial Descourse : The Case of Chauri-Chaura, SS, Vol.-V, OUP, New Delhi, 1987. 

प्रोफेसर ज्ञानेन्द्र पाण्डेय के लेख Peasant Revolt and Indian Nationalism : The Peasant Movement in Awadh, 1919-22, SS, Vol.-I, OUP, New Delhi, 1982 पर आधारित।

 

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