Friday 17 June 2022

स्थापना दिवस विशेष-छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर अउ मोर निजी अनुभव

लोकाक्षर-स्थापना दिवस 15 जून 


 छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर अउ मोर निजी अनुभव 

सबले पहिली मँय ह ग्रुप एडमिन आदरणीय गुरुदेव निगम जी,  आदरणीय सुधीर शर्मा जी सहित ये ग्रुप म जुड़े सबो बुधियार साहित्यकार मन ल "छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर" के स्थापना दिवस के गाड़ा गाड़ा बधाई अउ शुभ कामना देवत हवँ . पाछू दू बछर ले कतको विषय के माध्यम ले येमा जुड़े  साहित्यकार मन गद्य विधा म संस्मरण, कहानी, व्यंग्य, चिट्ठी लेखन, एकांकी, नाटक, उपन्यास,  अनुुवाद, व्याकरण, हमर संस्कृति, सभ्यता, तीज -तिहार के संगे संग आने विषय म अपन कलम चला के छत्तीसगढ़ी म गद्य लेखन ल पोठ करे के सुग्घर उदिम करत हे. हमर वरिष्ठ साहित्यकार मन सदा ले ये कहत आवत हे कि छत्तीसगढ़ी म कविता तो अब्बड़ लिखे जाथे पर गद्य विधा म अभाव झलकथे. अउ ये सही बात घलो आय. गद्य विधा म गिनती के साहित्यकार मन ह अपन कलम चलाय हे. 

   पर ये कमी ल पाछू दू साल ले छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर ग्रुप ह दूर करत हवय. नवा -नवा विषय देके आदरणीय निगम जी ह अपन दायित्व ल सुग्घर ढंग ले निभात हवय त येमा जुड़े बुधियार साहित्यकार मन देय विषय म अपन लेखनी के माध्यम ले गद्य विधा ल समृद्ध करत हे. कोनो प्रकार के शंका के समाधान घलो सब झन मिल जुल के करथे. डॉ. विनोद वर्मा जी  ह धारावाहिक रुप म व्याकरण उपर जउन सामग्री उपलब्ध कराइस वोहा हमर मन बर गजब उपयोगी हे. येखर उपर ग्रुप म सार्थक चर्चा घलो होइस . आदरणीय निगम जी अउ आदरणीय जितेन्द्र वर्मा जी ह ब्लाग" छत्तीसगढ़ी गद्य खजाना "के माध्यम ले ग्रुप म आये 

लेख मन ल सहेज के निक काम करत हे. ये ग्रुप म जुड़े वरिष्ठ साहित्यकार मन के सुग्घर मार्गदर्शन मिलत रहिथे. अवइया बेरा म घलो लोकाक्षर ग्रुप के माध्यम ले छत्तीसगढ़ी गद्य साहित्य ल पोठ करे बर अइसने सुग्घर कारज चलत रहि इही आशा -विश्वास के साथ...


               ओमप्रकाश साहू" अंकुर "

         सुरगी, राजनांदगाँव

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 आज के दिन छत्तीसगढ़ी साहित्यकार मन बर एक वाट्सअप ग्रुप के स्थापना करके आदरणीय डाक्टर सुधीर कुमार शर्मा जी ह छत्तीसगढ़ी गद्य साहित्य के गंगा बोहाय खातिर भागीरथी प्रयास करे हवंय | ए महत्वपूर्ण काम ल सफलतापूर्वक संचालित करे बर बहुंत योग्य संचालक आदरणीय गुरूवर श्री अरूण निगम जी ल दायित्व सौंपीन, तव निगम जी ह अपेक्षा ले जादा कुशल संचालक के दायित्व ल पूरा करत हवंय | 

     छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर वाट्सअप ग्रुप के पहिली एहीच नाम से त्रैमासिक पत्रिका आदरणीय नंदकिशोर तिवारी जी बिलासपुर वाले (आदरणीय डाक्टर सुधीर कुमार शर्मा जी के ससुर) भी तन-मन-धन से  समर्पित भाव से छत्तीसगढ़ी साहित्य ल एक दिशा प्रदान करीन |

     वो बखत मैं पाटन कालेज म कार्यरत रहेंव,तभो ले हर कार्यक्रम म मोला नेवता भेजत रहिन अउ समय निकाल के बिलासपुर मैं आवत भी रहेंव | लोकाक्षर त्रैमासिक पत्रिका म जब भी कुछ कविता,कहानी,लेख भेजत रहेंव,तब आदरणीय श्री नंदकिशोर तिवारी जी यथावत छापत भी रहिन, तब अउ जादा लिखे बर हम ला मनोबल बढ़ावत रहिन | तेकर बर आदरणीय श्री नंदकिशोर तिवारी जी के मैं जीयत भर आभारी हंव, सादर कृतज्ञता व्यक्त करत हौं | 

      तईसनेच आदरणीय डाक्टर सुधीर कुमार शर्मा जी ह "छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर" वाट्सअप ग्रुप विगत ०२ साल ले सफलतापूर्वक संचालित करत हवंय,एकर माध्यम से छत्तीसगढ़ी गद्य साहित्य ल पोट्ठ करे बर एक अउ भागीरथी साबित होए हवंय | 

     *छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर त्रैमासिक पत्रिका के माध्यम से छत्तीसगढ़ी साहित्य म जऊन लिखैयन तैयार होईन, अब वोही अधिकांश लिखैयन मन एक मंजे हुए , परिपक्व साहित्यकार के रूप म अपन कलम चलावत हवंय |*

     *मैं स्वयं ल छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर त्रैमासिक पत्रिका अउ छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर वाट्सअप ग्रुप के देन समझथौं अउ कृतज्ञता ज्ञापित करत हौं*

     *तईसने छत्तीसगढ़ी पद्य विधा ल विशुद्ध साहित्यिक दिशानिर्देश करके ०९ मई/२०१६ से "छंद के छ" आनलाईन गुरूकुल के रूप म संचालित करके आदरणीय गुरूवर निगम जी ह एक भागीरथी प्रयास करत हवंय | मैं ह चूंकि एक लेखक अउ छंदमुक्त गीतकार अंव,तेकरे सेती "छंद के छ" आनलाईन गुरूकुल म शारीरिक रूप से नइ जुड़े हौं,लेकिन  आदरणीय गुरूवर निगम जी ह "छंद के छ" के माध्यम से छत्तीसगढ़ म सैकड़ों कवि तैयार करके छत्तीसगढ़ी छंद विधान ला अतेक जादा परिष्कृत अउ लोकप्रिय बनाए हवंय,तऊन पुण्य योगदान बर हिरदय ले धन्यवाद अउ साधुवाद देवत हौं |कहे गए हवय-"ज्ञान दान महा दान" ये वाक्य ला चरितार्थ करे बर आदरणीय गुरूवर श्री अरूण कुमार निगम जी आदरणीय डाक्टर सुधीर कुमार शर्मा जी ला शत् शत् वंदन अभिनंदन अउ साधुवाद देवत हौं*

    *ये छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर वाट्सअप ग्रुप अउ छंद के छ आनलाईन गुरूकुल सदैव चलते रहै, ईश्वर से प्रार्थना करत हौं*


  *गया प्रसाद साहू*

      "रतनपुरिहा"

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 छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर मंच हर महतारी भाखा के बढ़वार के संग, अपन संस्कृति, परंपरा ला संजोय राखे के प्रेरणा देवत रहिथे|पाँच दिन गद्य विधा मन बर अउ एक दिन पद्य बर, तव एक दिन स्वतंत्र विषय मन उपर घलो सृजन आमंत्रित रहिथे| कोनो भी संस्था के रीढ़ अनुशासन होथे|अउ हमन के ए पटल हर अनुशासन बर प्रतिबद्ध हे, छत्तीसगढ़ी गद्य -पद्य दूनो के समृद्धि पर बहुत बड़े मंच आवय |

सबले बढ़िया बात ए हरे के 

विषय देय के अउ मुक्त विषय दूनो मा सरलग सृजन होवत हे|

 इहाँ सबो विधा मन मा सुग्घर चर्चा-परिचर्चा,विमर्श,बेबाकी ले समीक्षा, शोधआलेख, आलेख, कहनी ,नाटक,लघु निबंध, पल्लवन, कहानी, एकांकी,उपन्यास,निबंध, रपट, सुरता- संस्मरण,किसम- किसम के पाती, व्यंग्य, एक ले बढ़िया एक कविता,  छत्तीसगढ़ी व्याकरण, अनुवाद, बालकविता, गीत, सरलग आमंत्रित होवत हे|

 कलमकार मन के सधे  

सृजन मन ला पढ़े मा आनंद आ जथे | एक अउ अच्छा बात ए मन संकलित घलो होवत हें|

नवोदित कलमकार मन ला सीखे, लिखे के सुनहरा अवसर मिले हे|

अपन आप ला तरासे बर बहुत ही उपयोगी मंच हे| ब्लाग मा ढेर संकलन होगे हवय, छत्तीसगढ़ी गद्य खजाना सरलग बढ़त जावत हे| अवइया पीढ़ी मन ल सुग्घर रसदा दिखाही|

डाॕ श्री सुधीर शर्मा सर अउ प्रणम्य गुरुदेव श्री निगम जी के संग


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.    *छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर : स्थापना दिवस*


  छत्तीसगढ़ी गद्य अउ पद्य साहित्य के संरक्षण, संवर्धन अउ मानकीकरण बर *छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर त्रैमासिक पत्रिका* अउ ओकर संपादक आदरणीय *नंदकिशोर तिवारी* के योगदान ला कभू भी नि भुलाये जा सके। नवा छत्तीसगढ़ राज बने के बाद लगातार दू दशक तक पत्रिका के सतत् प्रकाशन होवत रहिस अउ छत्तीसगढ़ी भाषा ला दिशा देवत रहिस।

     छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर वाट्सअप समूह अपन स्थापना के बाद अल्प समय-  मात्र दू बरस म ही छत्तीसगढ़ी गद्य के प्रतिनिधि समूह बन गे हे अउ अब ए बात एकदम स्पस्ट हे कि एही समूह छत्तीसगढ़ी गद्य साहित्य के दिशा अउ दशा ला तय करही। छत्तीसगढ़ी लेखन बर सबो पत्र-पत्रिका मन ला ए समूह के अनुकरण करना चाही।

        ' *अपभ्रंस लेखन '* छत्तीसगढ़ी गद्य साहित्य के *नासूर के घाव* बन गे रहिस अउ एही ह छत्तीसगढ़ी भाषा ला आघू बढ़े ले रोकत रहिस;-  फेर अब अपभ्रंस लेखन म बहुत कमी आ गे हे- एहा छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर समूह के बहुत बड़े सफलता हे। *छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर समूह म हिन्दी बर स्वीकृत देवनागरी लिपि के 52 वर्ण के प्रयोग के स्वीकार्यता भाषा के उन्नययन के दृष्टिकोण ले ऐतिहासिक कहे जा सकत हे।*   

    कोनो भी समूह हो, राज हो या देश हो- बिना संयम, नियम अउ अनुशासन के आघू नि बढ़ पाय।छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर समूह के आघू बढ़े म संयम, नियम अउ अनुशासन के बहुत बड़े योगदान हे- एखर बर एडमिन *अरुण कुमार निगम*  के जतेक तारीफ किये जाय वोहा कमेच्च परही।

      छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर समूह एही तरा आघू बढ़त रहे अउ छत्तीसगढ़ी गद्य साहित्य के *सरस्वती* अउ *हंस* बने एही शुभकामना हे। समूह के सबो सदस्य मन ला बधाई अउ शुभकामना।🙏🌹


            - विनोद कुमार वर्मा

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"छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर" समूह के दू बछर पूरा होय के, संस्थापक डॉ. सुधीर शर्मा जी, डॉ. अरुण निगम जी अउ जम्मो संगवारी सदस्य मन ल बहुत-बहुत बधाई। बहुत ही गुनी अउ सिरजे हुये साहित्यकार मन ल बटोर के समूह ल सुग्घर स्वरुप प्रदान करे गय हे जउन हर कोनो भी ग्रुप के महत्ता ल बढा़य म कारगर होथे। स्थान मिलना, उचित स्थान मिलना अउ सम्मान जनक स्थान मिलना तीनों म थोरिक अंतर होथे। 'छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर' समूह के प्रयास ले छत्तीसगढ़ी ल सम्मान जनक स्थान मिलही येकर आशा अउ विश्वास प्रबल हे। सबो कलमकार साथी मन ल 'स्थापना दिवस' के बहुत-बहुत बधाई। संस्थापक अउ संचालक मन ल ह्रदय से साधुवाद।

        

**अंजली शर्मा **

बिलासपुर ( छत्तीसगढ़ )

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 पोखनलाल जायसवाल: *छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर : स्थापना दिवस*

        छत्तीसगढ़ी साहित्य के संवर्धन अउ संरक्षण बर उदिम करत छत्तीसगढ़ी त्रैमासिक पत्रिका लोकाक्षर के प्रकाशित कुछ अंक पढ़े के मौका मिले हे। ए पत्रिका के संपादक अउ पत्रिका बर लिखइया रचनाकार मन के योगदान ले ही आज छत्तीसगढ़ी साहित्य अब उड़ान भरत हे। उन मन कहूँ छत्तीसगढ़ी म लिखे के उदिम नइ करे रहितिन, त आज के लिखइया मन ल रस्ता कति ले मिल पातिस? ए सब ल खियाल करत इही कहना चाहहूँ कि अब हमन अपन पुरखौती ल सहेजन अउ पुरखा मन के योगदान ल कभू तिरस्कार नजर ले झन देखन। उन मन साहित्य सेवा करत छत्तीसगढ़ी ल बचा के रखे हे, एकर ले अउ बड़का का योगदान हो सकथे? हमन सदाकाल उँकर ऋणी रहिबो। 

         आज के शब्द अउ शब्द रूप अउ विधान संग उँकर रचना ल साहित्य के कसौटी म झन जाँचन। काबर कि भाषा नदिया के बोहावत पानी कस होथे। नदिया के पानी जस-जस आगू बढ़त जाथे, तस-तस पानी फरी होवत जाथे। भाषा घलव समय के संग बढ़त जाथे अउ शुद्ध अउ परिष्कृत होवत जाथे। हर शब्द के उच्चारण के एक वैज्ञानिक आधार होथे। जेकर ले शब्द सार्थक होथे। इही समय के धारा म बोहावत छत्तीसगढ़ी भाषा आज परिष्कृत होवत हे अउ आने भाषा के शब्द मन ल अपन म उही ढंग ले समोखत हे, जउन ढंग ले बड़े नदिया छोटे नदिया अउ नरवा मन ले अपन विस्तार पाथे। एकर ले छत्तीसगढ़ी भाषा के साहित्य म विविधता अउ पैनापन आही। देवनागरी लिपि म लिखे के संग पूरा 52 अक्षर ल मान्यता दे ले ही छत्तीसगढ़ी म हिंदी अउ आने भाषा के शब्द ल अपनाय जा सकथे। अइसन नइ करे म छत्तीसगढ़ी के शब्द भंडार कमती रही जही अउ हम अपन भाव ल स्पष्ट ढंग ले नइ कहि पाबोन। फेर यहू ध्यान रखे बर परही कि हम छत्तीसगढ़ी शब्द के रहिते आने भाषा के शब्द ल झन बउरन। लोकाक्षर म जुड़े जादा साहित्यकार मन के इही विचार हे। आज हमर धरम बनथे कि छत्तीसगढ़ी के संवर्धन अउ संरक्षण करन।

         छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर के आज दूसरइया स्थापना दिवस आय। जे छत्तीसगढ़ी गद्य साहित्य के कोठी ल भरे के उदिम म प्रणम्य अरुण कुमार निगम जी के अगुवाई म रोज नवा नवा सृजन करत हे। वरिष्ठ साहित्यकार सरला  शर्मा जी के सूत्र वाक्य *लिखत चलव* मोर जइसन नवसिखिया मन बर प्रेरणा पुंज आय। लोकाक्षर के ए समूह म कतको वरिष्ठ साहित्यकार हें, जिंकर मन ले मोला सरलग मार्गदर्शन मिलथें। गोठ बात होथें।  साहित्य का आय? जाने के मौका मिलिस, अभी थोर बहुत सीख पाय हँव। अभियो बहुत कुछ सीखना बाकी हे। 

       कुछ झन बड़े रचनाकार मन अपन किताब मोला पढ़े बर पठोय घलव हें। अउ दू एक झन मन ए आग्रह करें हे कि अब के भाषा अउ तब के भाषा म थोर बहुत फरक हे, तउन ल नजरअंदाज करके पढ़बे बाबू! अउ अवइया बेरा म नवा संस्करण बर उन मन बड़ मिहनत करत हें। इही उँकर छत्तीसगढ़ी साहित्य बर समर्पण आय। लगाव आय। 

        मैं दू बछर पहिली हिंदी च म गद्य लिखत रेहेंव। फेर लोकाक्षर मोर बर वरदान साबित होइस अउ मोला छत्तीसगढ़ी गद्य लिखे बर सिखोइस। आज जउन कुछ लिख पावत हँव ओ सब लोकाक्षर के जम्मो बुधियार रचनाकार मन के मया दुलार अउ आशीष आय। इही मया दुलार बने राहय अउ काकरो नाँव छुट झन जय कहिके मैं सब ल इशारा म सोरियाय हँव।

       लोकाक्षर छत्तीसगढ़ी साहित्य ल दू बछर म जेन कुछ दे हे ओकर ले मैं कहि सकत हँव कि कुछ समय म पूरा छत्तीसगढ़ी साहित्यकार मन लोकाक्षर ल आशा भरे नजर ले देखहीं अउ सम्मान दिहीं।


पोखन लाल जायसवाल

पठारीडीह(पलारी)

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छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर स्थापना दिवस म मोर अनुभव


  छत्तीसगढ़ी साहित्य ल पोठ करे बर कतकोन कलम चलइया बुधियार मन गद्य अउ पद्य म बरोबर रचना करत आवत हे, फेर लोकाक्षर परवार म जम्मो साहित्यकार मन के सकलाना अउ सरलग आने आने बिधा म सार्थक लेखन करके सब्बो पढ़इया-गुनइया मन ल नवा सुरुज के आरो दे के बुता,हमर " लोकाक्षर " म होए हे।


कहे जाथे " सियान हे त धियान हे " हमन घलो ये बात बर बड़ भागमानी हन कि हमन ल अइसन सियान मन मिले हे जेमन अपन साहित्य करम ले हमन के बरोबर हियाव करथे,उहू मन ल आज पैलगी करे के मन होवत हे।

मोला अपन सियान-संगी मन तीर अपन गोठबात ल राखत अउ हमर छत्तीसगढ़ महतारी के अचरा के छइहां " लोकाक्षर " ल आघु बाढ़त देख के बड़ खुसी होवत हे।

हमर जम्मो सियान - संगवारी मन ल लोकाक्षर स्थापना दिवस के बधाई।

दीपक तिवारी

पलारी,बलौदाबाजार

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सबले पहिली आदरणीय डॉ. सुधीर शर्मा अउ आदरणीय गुरूवर अरुण कुमार निगम जी ल प्रमाण करत हों।


"छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर" ग्रुप में मोला लगथे मेहा सबले छोटे होहूं। अउ मोला ये ग्रुप म आदरणीय गुरुदेव अरुण कुमार निगम जी ह 28 अगस्त 2021 ले जोड़े हे। तेकर सेती उँखर बहुत-बहुत आभार मानथव। मेहा अभी ये ग्रुप म पहली कक्षा के लईका सही हव। मोला अभी अब्बड़ सीखे के हवे। अउ इहाँ हमर छत्तीसगढ़ भर के बड़े-बड़े साहित्यकार, कवि मन जुड़े हवे। मेहा मोर भाग ल अब्बड़ सहराथों कि अइसने ग्रुप म मोर जईसन गंवईया लईका घलो जुड़े हे। इहाँ ले जुड़े ले मोला अब्बड़ सीखे ल मिलत हे। रोज अलग-अलग विषय,विधा म लेख,कविता के संग म व्याकरण के घलो जानकारी होवत हे। आप सबो झन के गद्य अउ पद्य के रचना ल पढ़त रथों। साहित्य प्रेमी होय के सेती पहिली अउ अभी घलो  नियमित चौपाल, मड़ई, पहट,संगवारी अंक मन म छपे आलेख,गीत,कविता, व्यंग्य ल पढ़व अउ उँकर लिखईया के नाम मन घलो सुरता रहय। अउ अब जब ले ये ग्रुप में आये हो तब पता चलिस कि इन्चे सबो झन साहित्यकार, कवि,व्यंग्यकार मन हवे। तब मोला अब्बड़ खुशी होईस हे। अभी 22 मई के राजनांदगांव म छन्द के छ के स्थापना दिवस म सबो बड़े-बड़े साहित्यकार मन ल सऊंहत देखके मोर आँखी धन्य होगे। इंहा हमर छत्तीसगढ़ के संस्कृति,तीज- तिहार,खान-पान के गोठ संग सियान मन के अनुभव के घलो लाभ मिलत हे। खैरझिटिया जी ह सबके लेख मन ल संजो के रखे के बने उदिम करत हे,अउ डॉ. विनोद कुमार वर्मा जी के व्याकरण घलो अब्बड़ काट करत हे तेकर सेती दूनो झन ल नमन हे। "छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर" छत्तीसगढ़ी साहित्य ल बने पोठ करत हे, अउ आगे घलो समृद्ध होय। अईसन कामना करत हों।



         हेमलाल सहारे

मोहगाँव(छुरिया)राजनांदगांव

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      छत्तीसगढी लोकाक्षर एक अइसन खुला मंच आय जेमा हर छोटे बड़े ज्ञानी गुनी कलमकार अउ साहित्य साधक मन अपन विचार ल साझा कर लेथे । ये पटल के मूल उद्देश्य छत्तीसगढी के गद्य साहित्य ला पोठ करना हे। ये बूता मा लोकाक्षर सही मा सफल होत हवे । भाषा के विकास अउ बढवार बर साहित्य के कोठी मा पोठ दाना सकेले बर सफल उदिम होवत हे।समिक्षात्मक सुझाव के सॅग व्याकरण दोष ला दूर करे बर सही दिशा ले जानकारी पटल मा देखे पढे बर मिलिस जेन हर बहुते उपयोगी हे। आगू डहर बर घलो सुग्घर जानकारी सीख समाधान के सॅग गद्य खजाना होत बढवार ला पढे सीखे बर ये पटल के माध्यम ले मिलत रही एकर हमला पूरा आस हवे। 

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     *छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर समूह ला छत्तीसगढ़ी गद्य लेखन के पाठशाला कहे जा सकत हे*, जेमा हमर जइसन नवा गद्य लिखईया मन ला दू बछर मा बहुत अकन नवा-नवा लेखन के विधि न केवल सीखे ला मिलिस हे बल्कि कथा-कहिनी, संस्मरण,सुरता, व्याकरण के गोठ आदि पढ़े-गुने ला मिलिस हे। बड़े-बड़े गुनीजन मन के विचार अउ मार्गदर्शन हम-मन बर आघू बढ़े के रद्दा खोलत हे।एखर बर एडमिन अउ गुरूदेव अरुण कुमार निगम जी ला सादर पैलगी। दू बछर पहिली समूह बनइया- समूह के कल्पना करइया भैया सुधीर शर्मा ला जोहार करत हौं। सरला शर्मा दीदी, सत्यभामा आडिल दीदी, सुधा वर्मा दीदी, डाॅ विनोद कुमार वर्मा, भाई पीसी लाल यादव के सुग्घर मार्गदर्शन ले समूह आघू बढ़त हे। भाई बलदाऊ राम साहू,  चोवाराम बादल, रामनाथ साहू, दुर्गा प्रसाद पारकर,  जितेन्द्र वर्मा खैरझिटिया, अजय अमृताँशु, हरिशंकर देवांगन, चन्द्रहास साहू,  पोखन लाल जायसवाल, बलराम चंद्राकर, डाॅ गया प्रसाद साहू, आदि सबो गुनीजन के विचार, लेख, कथा-कहिनी, समीक्षा, व्यंग्य आदि ला पढ़-गुन के नवा-नवा बात सीखे ला मिलत हे। एखर ले छत्तीसगढ़ी गद्य पोठ्ठ होवत हे। छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर परिवार के सबो दीदी-बहिनी, भाई मन ला जय जोहार......



-        वसन्ती वर्मा

          बिलासपुर

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