Saturday 4 June 2022

हास्य-व्यंग्य प्रहसन)

 *//कुकरी चोर //*


       (हास्य-व्यंग्य प्रहसन)


    कू कू कू कू कूकूक,कूकूक कूकूक कूकूक........... |

*बोलो*- अरे ए कुकरी के मारे तो हलकान हो गएन जी ! कई बेर धनिया मेथी लगा डारेंव, छोटे-छोटे अंकुरन आथे,तहां सब ल चर डारथे ! 

    ए पड़ोसी , तुंहर कुकरी ल संभाल के राखौ जी, हमर धनिया-मेथी ल कई बेर चर डारिस !

*पड़ोसी*- मैं का करौं ? पंछी जात ए चरे-बुले चल देथे |


*बोलो*- पंछी जात ए, तौ का हमर नसकान करे बर पाले हौ ? 

*पड़ोसी* हमन नइ भेजन-जा बोलो के धनिया मेथी ल चर देबे कहिके, समझे ? 

*बोलो* तव ओला बांध के तो राख सकथौ |

*पड़ोसी* -हमन बांध के भी नइ राखन, चरे बिना मर तो जाही ! 

*बोलो* कुकरी ल बांध के नइ राखौ, तव का हमर नसकाने करे बर पाले हवव ? 

*पड़ोसी*-ओ तो पंछी ए, एती-ओती जाबेच करही |

*बोलो*- सुनौ, तुंहर कुकरी ले हमन खूब तंग हो गए हन | तुमन ल कुकरी पालना हे,तव अपने घर तक संभाल के राखौ, नइ ते तुंहर कुकरी ल मार डारबो |

*पड़ोसी* ऐ ठीक बात नइ होही, हमर कुकरी ल मार डारबे,तव हमन तुंहला मार डारबो | 

    अइसे ढंग से ओ कुकरी के नाव म बोलो अउ ओकर पडोसी परनिया पांड़े के बीच कई बार तू-तू-मैं-मैं होवत रहिन |

     एक दिन फेर ओ कुकरी आ के बोलो के बोए धनिया मेथी ल चरत रहिस | बोलो  खूब गुस्सा  गईस अउ अपन बेटा कल्लू ल कहिस-मार तो ओ कुकरी ल रे ! खूब तंग कर डारिस ! आज एला जिंदा नइ छोड़न | कुछ देर बाद ओ कुकरी कहां नदारद हो गे ? 

*पड़ोसी* ए बोलो, मोर कुकरी कहां हे ? नइ दिखत हे बता ? नइते जाथौं रतनपुर थाना म रिपोर्ट लिखाहूं |

*बोलो* तुंहर कुकरी ल मैं  नइ जानौं,कुछ नइ करे हौं | ओतका बेर सिरतोन म आए रहिस अउ धनिया मेथी ल चरत रहिस,तव  खूब गुस्सा लागत रहिस,फेर मैं राम नइ जानौं, तुंहर कुकरी कहां हे ? तुंहरेच घर म होही, खोजौ |

*पड़ोसी परनिया* हमन अपन घर भर ल खूब तलाश डारेन, कहीं पता नइ हवय | तुमन जल्दी से बता देवौ नइते जाथौं रिपोर्ट लिखाहूं |

    बोलो खूब परेशान हो गे ! तभो ले अपन मन ल ब़ोधे बर कहै-"करनी नहीं-तव डरनी नहीं | "सांच ल आंच नहीं |"

    ओती परनिया पहुंच गे रतनपुर थाना अउ पुलुस-दरोगा तिर खूब रो-रो के कहिस-अभीच्चे रिपोर्ट लिखो साहेब, मोर कुकरी ल पड़ोसी ह चोरा लिए हवय | रिपोर्ट लिखो अउ चलो ओ पड़ोसी ल मजा चखाब |

*दरोगा* तुम रिपोर्ट लिखा दिए, अब जाओ | कल इनक्वायरी हेतु दल भेजेंगे |

*परनिया* तोहांर पांय पड़ूं साहेब,अभी चलिये, नहीं तो ओ चोर हमार कुकरी को खा जाही ! 

*दरोगा* अरे, तुम्हारे जिद् से हम परेशान हो गए | ऐ मुंशी जी,चलिये तो आज एक कुकरी चोर को पकड़ना है | 

     परनिया के साथ में थाने से दरोगा, मुंशी एवं दो आरक्षक आ गए |

*दरोगा* ऐ कोटवार, उस कुकरी चोर को बुलाओ | 

*कोटवार* कौन कुकरी चोर ? 

*दरोगा* अरे, इस परनिया के पड़ोसी को, समझे कि नहीं ? 

*कोटवार* जी साहब, समझ गयेंव |

     अरे, ऐ कुकरी चोर, चलो तुमको दरोगा साहब बुला रहे हैं |

*बोलो*- कोन कुकरी चोर ए ? 

*कोटवार* तुम्हें दरोगा साहब बुला रहे हैं |

    बोलो थर-थर थर-थर कांपे लगिस ! मैं चोरी करेच नइ हौं, अरे "करनी नहीं,तव डरनी नहीं"!

*बोलो* पांव परौं साहेब |

*दरोगा* स्साले कुकरी चोर,तुमने परनिया की कुकरी चोरी किया है !

क्या नाम है तुम्हारा ? 

*बोलो* -बोलो 

*दरोगा* अरे तुम्हारा क्या नाम है बोलो ? 

*बोलो* -बोलो 

*दरोगा* स्साले, तुम्हारा क्या नाम है बोलो ?

*बोलो* बोलो-बोलो बोलो |

*दरोगा* तुम ऐसे में नहीं बताओगे, जब तुम्हें पड़ेगा डंडा,तब तुम बोलोगे कहते हुए बोलो का कालर पकड़ लिया | हां अब बताओ-तुम्हारा क्या नाम है बोलो ? 

*बोलो* बोलो -बोलो बोलो | 

*दरोगा* फिर वही लापरवाही, तड़ातड़ थप्पर मारते हुए बोला-स्साले, मुझी को बोलता है-बोलो बोलो बोलो ! 

    वोही बखत गांव के एक पंच बुधारू आईस अउ दरोगा ल बताईस-इसका नाम ही बोलो है साहब |

*दरोगा* अरे ! ऐसा है क्या ? मैं समझ रहा था-मुझे चिढ़ा रहा है ! 

     अच्छा तो बोलो, तुम सच-सच बताओ-परनिया की कुकरी को तुम्ही ने चुराया है ? 

*बोलो* नहीं मालिक, मैं नइ चोराए हौं | ओकर कुकरी ह मोर अंगना के धनिया मेथी ला घेरी बेरी चर देथे, तव सिरतोन म अत्तेक गुस्सा लागथे-एला मार डारौं का ? फेर न तो एकर कुकरी ल में चोराए हौं, न ही मारे हौं  |

 

*दरोगा* स्साले सच-सच बताओ, नहीं तो जमीन में दस फीट अंदर जिंदा गाड़ दूंगा, समझे कि नहीं ? 

*बोलो*- ईमान से, भगवान कसम खा के कहत हौं- साहेब " न तो एकर कुकरी ल चोरी करे हौं, न ही मार के धरे हौं, न ही मैं बताय सकौं-एकर कुकरी ह कैसे गायब हो गे ?

*मुंशी* साहब,इसको कुकरी चोरी के इल्जाम में थाना ले चलते हैं, वहीं इसका भूत बोलेगा |

*दरोगा* ठीक कहते हो मुंशी जी, चलो इसको थाना ले चलो | 

     बुधारू पंच कहिस- कुछ लेन-देन करके मामला इहंचे निपटा लेवा साहेब |

*,दरोगा* दस हजार रूपीया लगेगा | 

     दस हजार जुर्माना  सुनते ही बोलो के जीव कांपे लगिस | घर म भूसी भांग नहीं, कोनो दिन चुल्हा म आगी नइ जलय ! दस हजार रूपीया कैसे देही ? 

     बुधारू ल पक्का विश्वास रहिस- "बोलो ह न तो परनिया के कुकरी चोरी करे हवय,न ही कुकरी ल मारे हवय | तेकरे सेती बोलो ऊपर खूब दया लागिस अउ कोटवार ल कहिस-ए कोटवार, जा तो देख विधायक हवय के नहीं ? होही तव खच्चित बुला के लानबे |

*कोटवार* हव भईया, मैं अभ्भी जाथौं,विधायक ल खच्चित बुला के लानहूं |

*दरोगा* अरे ! विधायक महोदय हैं क्या ? 

*बुधारू* हां साहब, इहां विधायक हवय | 

*दरोगा* ऐसा करते हैं- बोलो तुम पांच हजार रूपीये का जुगाड़ करो, तुम्हारे चोरी का मामला यहीं रफा-दफा कर देंगे |

*परनिया* दस हजार से कम में हम  समझौता  नहीं करबो साहेब |

*दरोगा* क्यों बोलो, दस हजार रूपीया जुगाड़ करो, तुम्हारे चोरी का मामला यहीं पर रफा-दफा कर देंगे |

*बोलो* -"जहर बिसाए बर  एको रूपीया नइ हवय साहब ! " चला जेहल म डार देवौ, उंहचे बूता-काम करके जिनगी गुजार लेहूं ! 

    ओतके बेर कोटवार ह विधायक ल ले के आईस | ए दे विधायक आ गे पंच भईया |

    *विधायक ल देख के दरोगा,मुंशी दंग रहि गईन !*

*दरोगा* अरे ! यही विधायक है ? 

*बुधारू* *हां साहेब, एही हमर विधायक आय | एको कक्षा  पढ़े नइ हवय फेर गांव म एला सब झन विधायक कहि के बुलाथन | अईसने एक झन ल हेड मास्टर कहिथन,ओहूच ह स्कूल के डेहरी नइ खुंदे हवय,फेर इंकर सूझ-बूझ अउ युक्ति ह बीरबल-चाणक्य जैसे होथे | गांव के कतको अनसुलझे समस्या ल चुटकी म हल कर देथैं*

*विधायक* का बात होगे साहेब ? 

*दरोगा* ए बोलो,परनिया की कुकरी चोरी करके कहीं छिपा दिया है |

*विधायक* कईसे भाई बोलो, दरोगा साहब कहत हवय,तऊन सच बात आय का ? 

*बोलो* *अपन एक्के झन औलाद के कसम खा के कहत हौं विधायक-ए परनिया के कुकरी ल न तो मैं चोराए हौं, न ही मोला मनसो दशा म जानकारी हवय-,के एकर कुकरी कहां हवय ?*

*विधायक* अइसे करौ साहेब- परनिया के घर में ही तलाश करे जाय |

*दरोगा* ठीक है विधायक, चलो तलाश करते हैं |

     *सब कोई परनिया के घर जा के ओकर कुकरी ल तलाश करे गईन, तब छेनहरा पटांव म ओकर कुकरी ल बनबिलवा ह मार के आधा ल खा डारे रहिस, डेना-पांखी भर बांचे रहिस !*

     *सब झन के मुंह ले निकलीस- ओ हो ! बिचारा बोलो ल नाहक चोर समझ के मार-पीट करे गईस, शारीरिक-मानसिक दंड दिए गईस, जबकि बोलो ह एकदम निर्दोष हवय*

  

*दरोगा* बुधारू  और विधायक जी, अब हम चलते हैं | ये परनिया के जिद्ध करने से बेचारा बोलो को चोर समझ लिए थे | 

   अच्छा ,अब हम चलते हैं |

*बुधारू,विधायक,बोलो एवं कोटवार* सब झन बोलिन-राम-राम साहेब |

*दरोगा* राम-राम


*(सर्वाधिकार सुरक्षित)*

दिनांक-02.05.2022



*गया प्रसाद साहू*

"रतनपुरिहा"

मुकाम व पोस्ट-करगी रोड कोटा जिला बिलासपुर

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