Friday 17 June 2022

कहानी- हितवा


 

कहानी- हितवा


हितवा


अइसे तो जिनगी के रद्दा म कभू डबरा त कभू डीपरा आबेच करथे,फेर जेन रद्दा के गोठ मैं करत हव,ओ रद्दा के गत समे समे म बदलते रहय, झड़ी पानी म चिखला सनाय मेढ़ ह रेंगान बनय अउ सुक्खा दिन म गाडीरावन ह सबले सुभित्ता रद्दा!सगा सोदर मन एक घांव आ जातिस त जिनगी भर बर का

न चिप लेवय।असाढ़ के दिन म कोनो ल आहरु-बीछरू चाबय त संकरपुर गांव के लोगन खटिया समेत मनखे ल बोह के अस्पताल लानय,बने बने बेरा म हबर जाए त मनखे बाँच जाए नही ते खबर मिलय " तोर दाई बीत गे केजू !"

    इही गांव संकरपुर म एक झन बुधियार मनखे राहय शिवप्रसाद।रेहे बर तो पंद्रह एकड़ के जोतनदार रिहिस फेर कभू गरब नई करिस,पढ़ाई लिखई पूरा होइस,त गुरुजी बन गे।कालेज म पोठ नाव कमा डारे रहिस शिवप्रसाद ह।नेता-अभिनेता,प्रोफेसर-मिनिस्टर जम्मो झन ओला नाव लें जानय " आ ग शिवप्रसाद बइठ !"गांव म बिजली,सड़क,सिक्छा अउ स्वास्थ्य के निमगा स्थिति ल देख के शिवप्रसाद अब्बड़ संसो करय।अपन गांव म शिवप्रसाद तब अकेल्ला अइसे मनखे रिहिस जेन ह कालेज के पढ़ाई करे रहिस,तेखरे सेती ओहा पढ़ई- लिखई के ताकत जान डरे रहिस।सड़क नई रहे ले गांव के लइका मन पढ़े नई सकत रिहिस,गांव म कोनो सरकारी योजना कभू सफल नई हो पात रिहिस।अपन संगवारी बिज्जू करा एक दिन शिवप्रसाद किहिस " कतेक दिन ले हमन अपन गांव के बिगड़त गत ल आँखी मूंद के देखत रहिबो,चल संगवारी कुछु बिचार करिन ! " बिज्जू ल शिवप्रसाद के गोठ म आज नवा उम्मीद दिखिस।ओखर गोठ ल बिचारत बिचारत बिज्जू ह शिवप्रसाद ल धर के गांव के गुड़ी चौरा कोती चल दिस।गांव वाला मन तीर शिवप्रसाद अपन पीरा ल बताइस।जम्मो झन एके ठन बात किहिन " जइसन ते करबे,हमन सब्बो झन तोर कहे म राजी हन " शिवप्रसाद पोठ संघर्ष करिस,स्कूल म पढ़ाये बर घलो जाए अउ गांव के सड़क बनवाए बर उदिम घलो करय।दसो घाव रायपुर दउड़ के मंत्री विधायक ल सड़क बनवाए बर गोहराइस अउ कइसनो करके  तियार घलो कर डारिस,दू चार दिन म सड़क बने के आदेस घलो आगे।ओ दिन गांव के हर घर म मनखे मन दू कउरा उपरहा भात खाइस,सब्बो मंदिर मन म घी के दिया बर गे।संकरपुर के रद्दा जेन मेर बनना रिहिस,ओखर जम्मो जमीन बिसेसर दाऊ के खेत म आवत रहिस।दाऊ सोचिस " कहूँ सड़क बनगे त मोर खेत ले मनखे नहाकहि,मोर तुतारी के डर म चुप रहईया संकरपुर के मनखे मन मोर छाती म गोड मढ़ाही !"

    अइसन रोसिया के दाऊ सड़क के नापा लेहे बर आए अधिकारी मन ल हकाल के खेद दिस।दूसर दिन शिवप्रसाद अउ गांव के जम्मो मनखे मन दाऊ करा दु बात होगे, शिवप्रसाद किहिस " अतेक दिन ल हमर मन के जिनगी म अंधियारी छाए रिहिस दाऊ, आज कहूँ अंजोरी पाख आवत हे,त ते काबर छेंकत हस ? " बिसेसर दाऊ नई मानिस।

     शिवप्रसाद रहे बर तो गुरुजी रिहिस,फेर ओखर ईमानदारी अउ सियानी ल देख के बड़े बड़े लोगन ओखर मान-गुन करय।दूसर दिन शिवप्रसाद विधायक ल धर के लान डारिस ।मौका म बिसेसर दाऊ ल विधायक जी चेताइस " संकरपुर के सड़क बनहि,त इही रद्दा म,महुँ देखथव कोन रोकथे ! "

 बलाराम अपन गैती धर के लानिस अउ विधायक जी ल धरा दिस,शिवप्रसाद नरियर फाटा फोर के भूमिपूजन करिस अउ विधायक जी माटी कोड़ के सड़क बनाए के बुता के सिरी गणेश करिस।सुरुज निकलत देरी लागय,फेर बूड़त देरी नई लागय।संकरपुर के मनखे मन छः महीना म पक्की सड़क म रेंगे बर धर लिस,गांव म सगा सोदर के अवइ बाढ़ गे, अब हर घर के लइका स्कूल जाए बर धर लिस।गांव म सरकार के पहुंच घलो बाढ़ गे।धीरे धीरे गांव म शिवप्रसाद के देवता सरिक मान होए लागीस।गांव के कोनो तिहार होवय,शिवप्रसाद के बिगर पाना नई डोलत रिहिस।गांव के गोबरधन घलो शिवप्रसाद उठाए लागीस।अपन जिनगी ल दूसर मनखे के हित बर लगा देने वाला शिवप्रसाद एके साल अपन बनवाए सड़क म रेंगे पाए रिहिस फेर एक दिन रायपुर ल लहुटत बेरा शिवप्रसाद के एक्सीडेंट होगे,संझा होवत होवत गांव के मनखे मन सुनिन कि उंखर सियान बीत गे।ओ दिन गांव के लइका-सियान सबो झन अपन ढनगत आंसू ल नई थामे सकिस।अपन नान नान लइका अउ सुवारी ल छोड़ के शिवप्रसाद चल दिस।गांव के जम्मो मनखे रोवत रोवत शिवप्रसाद ल बिदा करिन,ओखर दस साल के लइका ओला कांधा दिस।शिवप्रसाद के जाए ले संकरपुर के शिव के कमी कोनो नई पूरा कर सकिस,गांव सुन्ना पर गे।अपन जिनगी के दिया बार के दूसर के जिनगी म उजियार करईया कोनो कोनो होथे,आदमी बीत जाथे फेर ओखर करम अमर हो जाथे।आज घलो ये सड़क म कोनो रेंगथे त गोठियाथे " संकरपुर के सड़क ल शिवप्रसाद बनवा के चल दिस ग..! "

 

दीपक तिवारी

पलारी, बलौदाबाजार

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