Friday 10 June 2022

लक्ष्मण मस्तुरिया अउ खुमान साव जी के सुरता--

 




लक्ष्मण मस्तुरिया अउ खुमान साव जी के सुरता--


(लक्ष्मण मस्तुरिया जयंती--7 जून,खुमान साव पुण्यतिथि--9 जून)


हमर छत्तीसगढ़ के सबले बड़े गीतकार लक्ष्मण मस्तुरिया जी अउ बड़का संगीतकार खुमान साव जी ल आज फेर सुरता के दिन आये हे। इंकर गीत संगीत ले छत्तीसगढ़ के लोककला के नदियां लबालब भरे हे। इंकर बिना हमर लोककला पूरा नई होय पाये। यही मन छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक विरासत म नंगत के मेहनत कर के समृद्ध करीन हे। मस्तुरिया जी गीत अउ साव जी के संगीत के जादू म कोन होही तेन मतवार नई होय होही,कोन होही जेकर हिरदे मगन होके नाचे-कुदे ल नई धरे होही। छत्तीसगढ़ के गीत-संगीत ल चारो मुड़ा म बगराइस,देश-विदेश म राज के नाम ल रोशन करीन,आज दूनो झन पुरोधा मन ल सादर नमन के संग पुण्य श्रद्धांजलि हावे।


मस्तुरिया जी के जन्म 7 जून 1949 के बिलासपुर के मस्तूरी के पावन माटी म होइन,कुछ समय तक स्कूल म पढ़ई-लिखई के बुता घलो करीन, फेर हिरदे म तो अलगे तूफान उठे रहय,छत्तीसगढ़ माटी के सेवा अपन कलाकारी ले करे बर। 22 साल के उमर म रामचंद्र देशमुख के 'चंदैनी गोंदा' ले जुड़के मुख्य गायक बनगे। हमर सांस्कृतिक विरासत ल दुनिया भर म बगरात खेत-कोठार,किसान,मजदूर के पीरा,ग्रामीण जनजीवन के समस्या, समाधान,मया-पिरीत, तिहार-बार के गीत गावत अपन कला यातरा आगू बढ़त निकलगे। 

 

माटी म रचे बसे गीत मोर संग चलव,मैं छत्तीसगढिया अंव रे,मोर धरती मैया जय होवय तोर, मन डोले रे माघ फगुनवा,जैसे कतरो गीत ल लिखिन अउ गायन करिस। मोर छइयां भुइयां,भोला छत्तीसगढ़िया, पिंजरा के मैना,पुन्नी के चंदा, मया के बंधना जैसे छत्तीशगढ़ी फ़िल्म म गीत घलो लिखिन।

 मस्तुरिया जी के किताब घलो लिखे हे हमू बेटा भुइयां के,गवई गंगा,धुनही बाँसुरिया,माटी कहे कुम्हार ले हरे। मियूजिक इंडिया के कतरो गीत बर कैसेट निकले हावे। चंदैनी गोंदा में अपन अउ दूसर रचनाकार के गीत ल सुमधुर आवाज देके अमर बना दिस।


मस्तुरिया जी गीत म देश के महिमा,किसान के पीरा,मया पिरीत,तिहार,आव्हान गीत,के साथ करमा, ददरिया,सुवा,देवार, खेल,बिहाव,जस गीत जैसे सबो विधा म अपन अमर छाप छोड़े हे। मस्तुरिया जी गीत रेडियो म आये तो लोगन मन मगन होके काम बुता ले सुरतावत सुने। इंकर जैसे दूसर कोइ कवि,गीतकार अभी मिलना अभी मुस्कुल हे, वोकर जगह ल कोई भर नई सकय।



खुमान सावजी–

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव डोंगरगांव के ख़ुर्शीटिकुल पुण्य गांव म 5 सितम्बर 1929 म मालगुजार परिवार म जन्मे रिहिन छत्तीसगढ़ के संगीत सम्राट,संगीत के भीष्म पितामह खुमान सावजी ह। 


बचपन ले संगीत के परती परेम ले संगीत के बारीक जानकारी सीखे के बाद 14 साल उमर म नाचा के युग पुरूष दाऊ मंदराजी के रवेली नाचा पार्टी शामिल होके अपन कला यातरा ल शुरू करिस। अलग-अलग नाचा पार्टी म काम करत बाद में राजनांदगांव म आर्केस्ट्रा के घलो शुरुआत करथे। 

दाऊ रामचंद्र देशमुख जी 'चंदैनी गोंदा' सांस्कृतिक मंच बर बने-बने कलाकार के खोज म निकले रिहिस,वोला अइसन संगीतकार के जरूरत रिहिस जेन छत्तीसगढ़ी गीत संगीत म नवा जान डारे अउ लोककला ल समृद्ध करदे। दाऊ जी के खोज खुमान साव जी के मिले ले पूरा होईस अउ चंदैनी गोंदा म काम करे बर तइयार होगे। फेर तो मस्तुरिया जी अउ खुमान साव जी दिन-रात एक करके दाऊ जी के सपना ल पूरा कर दिखाईन।


जैसे मस्तुरिया जी के गीत एकदम मौलिक हवय ओसने साव जी संगीत ल मौलिक हे। दुनो के मिलन ले अईसे रस बनिस जेमे जम्मो छत्तीसगरिहा के संग म देश विदेश तक झूमे ल लागिस। कला के साधक मन के तपसया ग हमर राज बर नवा रंग लेके आइन। जेहर आज तक सराबोर करत हावे। साव जैसे संगीतकार मिलना मुस्कुल हे। उंकर संगीत म माटी के महक अलगे महमहात मिले इहि पाये से सबो झन के हिरदे म बसे हावे। आजकल के भिकिड-भाकड गीत संगीत साव जी एकोकन पसंद नई आये।


बाद में खुमान एंड पार्टी,शारदा संगीत समिति, सरस्वती संगीत समिति के संग काम करीन। छत्तीसगढ़ सरकार के डहर ले मिलाइया मंदराजी सम्मान ल मना कर दिस। भारत देश ह सावजी के संगीत के विशेष योगदान के कारण संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार ले घलो सम्मानित करे गिस।

 

संगीत के पितामह खुमान साव जी छत्तीसगढ़ के कला जगत ल 9 जून 2019 के 90 बरस अपन जीवन ल पूरा करत ग्राम ठेकवा म संगीत संसार ले विदा हो जथे। सावजी के संगीत अउ मस्तुरिया जी के गीत आगास के चंदैनी बरोबर चमकत रहहि।



        हेमलाल सहारे

मोहगांव(छुरिया)राजनांदगांव

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