Wednesday 1 June 2022

छत्तीसगढ़ी में व्यंग्य पढ़व - *दुर्योधन काबर फेल होथे....?*

 छत्तीसगढ़ी में व्यंग्य पढ़व -


*दुर्योधन काबर फेल होथे....?*


*- दुर्गा प्रसाद पारकर* 



*(व्यंग्यकार प्रभाकर चौबे के व्यंग्य का छत्तीसगढ़ी अनुवाद-अनुवादक -दुर्गा प्रसाद पारकर)*

                                        

एसो फेर फेल होगे। बीते बच्छर घलो फेल होय रीहिसे। का करबे...? महाभारत काल ले वोहा फेल होवत आवत हे। अवइया साल घलो वो हा परीक्षा म बइठही। फेर फेल होही। वो हा फेल होएच बर परीक्षा देवथे। दुर्योधन ह गुनथे आखिर वोहा फेल काबर होथे..? महाभारत काल म द्रोणाचार्य जइसे महान गुरू करा पढ़े के बाद घलो दुर्योधन फेल होगे रीहिसे। आज के गुरू मन तो अपन आप ला द्रोणाचार्य मानथे तभो ले दुर्योधन फेल होवत हे। द्रोणाचार्य करा पढ़इया-लिखइया लइका मन डिस्टंग्शन मार्क काबर नी लावत हे ? का खास-खास लइका मन ही पास होवत हेे? परीक्षा के नाव ले के दुर्योधन हा भारी टेंशन म रथे। जइसन पूछथे वोइसने उत्तर देथे तभो ले वोहा फेल हो जथे। सोला आना वाजिब उत्तर देथे तभो ले वो हा फेल हो जथे। जानो-मानो फेल होएच बर जनम धरे हे बपरा ह। दुर्योधन ला आज ले समझ नी आइस कि वोहा उत्तर देय मा का गलती करथे। प्रश्न पूछथे वोहा उत्तर देथे। जइसन सवाल वोइसन जवाब।

परीक्षा प्रश्न रीहिस तेंहा आघु डाहर का देखत हस ? प्रश्न के उत्तर म दुर्योधन ल जउन दिखत रीहिसे, वोहा सही-सही बता दिस- गुरूजी मोला तो सरबस पेड़ हा दिखत हे। पेड़ के डारा-पाना, फर-फूल, सब्बो दिखत हे। उत्तर ल सुन के द्रोणाचार्य हा दुर्योधन ला फेल कर दिस। ओकर बाद गुरू द्रोणाचार्य ह इही सवाल ला अर्जुन ला पूछिस। अर्जुन हा उत्तर दिस- मोला तो चिरई के आंखी के सिवाय कुछु नइ दिखत हे गुरूजी ताहन अर्जुन ह प्रथम श्रेणी म पास हो गे। दुर्योधन गुनथे, गुरूजी हा जइसन उत्तर चाहथे वोइसने लिखबे तभे पास हो सकथस। कहूं दुर्योधन हा घलो उत्तर दे रहितिस कि मोला चिरई के आंखी के सिवाय कुछु नी दिखत हे कहिके त वहू ह प्रथम श्रेणी म पास हो जाय रहितिस। दुर्योधन ला का पता कि गुरू द्रोणाचार्य हा इही उत्तर चाहत रीहिसे। जइसन देखिस वोहा डिक्टो, वोइसने के वोइसने बता दिस अउ फेल होगे। 

महाभारत काल ले सही विकल्प चुन के लिखे के सवाल पूछे जात हे। आजकाल तो सही विकल्प चुन के लिखे के प्रश्न ही पूछे जात हे। एला आब्जेक्टिव प्रश्न केहे जाथे। आब्जेक्टिव प्रश्न मा अइसनो प्रश्न घलो पूछे जा सकथे कि ए सब मा तोर ददा के नाव कोन आय- 1.रामलाल 2.श्यामलाल 3.मोहनलाल 4. रतन लाल। सही उत्तर चुन के अपन उत्तर पुस्तिका के प्रथम पेज म लिखव। अपन ददा के विकल्प चुने मा छात्र मन कन्फ्यूज हो जही। बाजूवाले छात्र ले पूछही कि संगवारी एमा मोर ददा कोन ए ?

दुर्योधन बहुत परेसान हे। घेरी-बेरी फेल होथे। परीक्षा मा कतनो बच्छर ले एक सवाल पूछे जात हे कि भारत के गरीबी के कारन लिखव। दुर्योधन हा लिखिस- साहब, नेेता अउ बैपारी, लूटत हे घेरी-बेरी ताहन वोला फेल कर देय गीस। दुर्योधन हा री टोटलिंग बर आवेदन करिस, रीवेल्यूशन के मांग करिस। परीक्षक हा किहिस- बेटा दुर्योधन तेंहा लिखे सच हस फेर जवाब हा सही नइहे। उत्तर उही सही हे जउन कुंजी म लिखाए हे। कुंजी म लिखाए उत्तर ला लिखबे त पास हो जबे। अपन मन के उत्तर झन लिख। परीक्षक हा जउन चाहथे वोला लिख किताब मा लिखाए उत्तर ला ही गुरूजी मन पसंद करथे।

दुर्योधन सोचिस ए साल वोला निबंध म जादा नंबर मिलही। सवाल रीहिस-भारत के राष्ट्रीय खेल। वोहा लिखिस-हमर देस म कतनो किसम के खेल खेले जाथे फेर हाकी राष्ट्रीय खेल आय। हमन हाकी के दुर्दशा कर डरे हन तिही पाय के हाकी राष्ट्रीय आय। जेला हमन राष्ट्रीय बनाथन वोला हमन किताब के पन्ना मन मा रंगे के लइक रख देथन। वोला गौरव गान खातिर रखे जाथे। जइसे राष्ट्रीय एकता, राष्ट्रीय शिक्षा वोइसने राष्ट्रीय खेल हाकी। जेला सुधारे के कोशिश करे के गोठ करे जाय वोला राष्ट्रीय दर्जा दे जाथे। अतना लिखे के बाद दुर्योधन ल पचास में से पांच अंक मिलिस। निबंध म वो हा फेल हो गे। ये बेवस्था ह सिरतोन म फीता कोट ले डर्राथे। फीस देवत जावव। वोहा जउन चाहथे ओइसने लिखव। नि लिखबे त एक चांस अऊ दे जाही, पूरक म कोसिस करके देखव।

अइसे प्रश्न होथे कि सही विकल्प चुनो। दुर्योधन हा लिखिस- आज विकल्प कहां हे ? मास्टरी ले पटवारी बर नौकरी करइया बेरोजगार मन गली-गली घूमत हे। इहां तक ले एम.ए., एम.एस.सी., एम.कॉम., पीएचडी के डिग्रीधारी मन घूमत हे। विकल्प कहां हे ? जऊन मिले वोमा खुसर जव। पी.एच.डी. वाले मनइ कर्ल्की करत हे। बस एके विकल्प हे पढ़ो लिखो अउ बेरोजगार बनो, दुर्योधन हा अइसन उत्तर लिखिस अउ फेल होगे।

दुर्योधन हा सोच डरे हे परीक्षक हा जइसन उत्तर चाहथे वोइसने लिखबे तभे पास हो सकथस। हिंदी के प्रश्न पत्र म एक ठन प्रश्न पूछे गिस कि भक्ति काल के श्रेष्ठ कवि आपके नजर मा कोन आय ? सवाल के जवाब म दुर्योधन ह लिखिस- कबीर। वोला सौ मा सिरिफ तीसे अंक मिलिस। फेर कोनो दूसर छात्र ह लिख दिस-

सूर-सूर तुलसी शशी उड़गन केशव दास,

अब के कवि खंधोत(जोगनी) सम, जहँ-जहँ करत प्रकाश।


वोला सौ मा नब्बे अंक मिलगे। गुरू ह किहिस कि एहा सब्बो कवि मन ला पसंद करे हे। एहा सब झिन ला खुश कर डारे हे। दुर्योधन ल मालूम होना चाही कि हर परीक्षा मा पास होए बर एके गुरू मंत्र हे कि परीक्षक ला खुश करव। बोर्ड परीक्षा होय, विश्वविद्यालय के परीक्षा होय, चाहे जीवन के परीक्षा होय। साहब जइसन चाहथे वोकरे अनुसार फाइल तइयार करबे तभे तरक्की होथे। नेता जइसन चाहथे वोकरे मुताबिक भीड़ सकेलबे तभे चुनाव मा टिकिट मिलथे। बस गुरूजी के मरजी के मुताबिक उत्तर लिख। कहूं वोकर मरजी के मुताबिक उत्तर नी देबे ते गुरू हा आदेश देही- स्टेंड अप आन द बेंच ताहन तेंहा जिनगी भर स्टेंड अप आन द बेंच रहिबे। कतनो झन खादी पहिन के राष्ट्रीय झंडा के गीद गावत जीवन पहावत हे अउ कुछ मन संसद मा पहुंच के राष्ट्रभक्ति बर उपदेश देवत हे, अइसन मन अपन अनुसार उत्तर नी देवे। हाई कमान के पसंद के मुताबिक वोहा उत्तर लिखथे। घोड़ा काकरो, लगाम कोनो अउ के हाथ मा, घोड़ा ला आघू बढ़े बर एड़ मरइया कोनो तीसर, एकर बाद घलो घुड़सवार ले बढ़िया घुड़सवारी के उम्मीद करे जात हे। दुर्योधन फेल हो जथे। जउन दिखत हे वोला झन गोठिया जउन गुनत हस वोला झन लिख। वोकर निहारे अउ गुने ला लिख। तभे ये गुड ब्वाय, अदर वाइज फेल......।


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