Friday 10 June 2022

कहानी-सब्बो कुकुर गंगा जाही , त पतरी ल कोन चाँटही

 कहानी-सब्बो कुकुर गंगा जाही , त पतरी ल कोन चाँटही  

               छत्तीसगढ़ के बड़े जिनीस रजवाड़ा रिहीस बिन्द्रानवागढ़ स्टेट । कचना धुरवा के द्वारा स्थापित गोंड़ राजवंश के कतको पीढ़ही राज करिन इहाँ । कचना धुरवा कस कतको प्रतापी राजा होइन ये वंश म , जेमन अपन राज के भारी बिस्तार घला करिन । एक समे , एक झिन प्रतापी राजा के दरबार म , केजू नाव के मनखे अइस । रोवत गावत बिलखत अपन दुखड़ा गोहनइस । मोला बचालव राजा साहेब , तुँहर उपकार ल जिनगी भर नइ भुलावँव । तुँहर जूठा पतरी ल चाँट के रहि जहूँ , फेर तूमन कइसनो करके अपन राज म शरण दे दव । गोंड़ राजा मन जतका बलसाली रहय , ततका सिधवा अऊ दयालू घला रहय । काकरो उप्पर भरोसा कर लेवय । दूसर प्रदेश ले जान बचा के भाग के अवइया केजू के चिक्कन चांदर गोठ म , असानी ले विश्वास कर लिस अऊ अपन राज म शरण दे दिस । 

               केजू धीरे धीरे राजा साहेब के तिर पहुँचत गिस । फारसी पढ़हे रहय । राजा घर के सफई करत करत , राज काज के पइसा कऊड़ी के हिसाब अऊ ओकरो सफई म हाथ चलाये बर धर लिस । तलवारबाजी , घुड़सवारी ले लेके हरेक फन म माहिर केजू , अपन आये के कुछेच बछर म राजा के अतका विश्वासपात्र होगे के , दरबार ले महल तक के कन्हो काम , ओकर बिगन नइ होय । जुन्ना मंत्री दरोगा मन के भाव कमतियाये लागिस । ओमन कतको घाँव केजू ल राज कोष अऊ राजा के निजी सम्पति म हाथ साफ करत पहुँचागे रिहिन । राजा साहेब ल कहि नइ सकय । रानी दई करा गोहनइन , फेर  वहू हा येला येकर मनके जलन अऊ भड़ास समझिस , अऊ गोठ ल बहुतेच हलका म लेके टार दिस । धीरे धीरे राजा के सेना के संचालन के काम घला इही केजू ला मिलगे । पूरा सेना ल अइसे कबजिया डरे रहय के , ओमन केजू के इशारा म कुछ भी करे बर तैयार रहय । डर के मारे काकरो जुबान नइ खुले । केजू पूरा राजपाठ ल हथियाये के सोंचे लागिस । सत्ता पाये बर राजा ल मारना जरूरी रिहिस । राजा ल कइसे अपन रद्दा ले हटाये जाये , विकल्प सोंचे लागिस । 

               इतवार के इतवार .. राजा हा शिकार खेले बर जंगल जावय । कभू एके दिन म लहुँटे त कभू दू दिन घला कमती परय । योजना बनगे । ये दारी शिकार खेले बर केजू घला चल दिस ... राजा संग । राजा के जुन्ना दरोगा हा रानी करा जाके राजा ल बरजे बर किहिस । ओला केजू के जोजना के पता चलगे रिहिस । फेर रानी के आँखी म परदा परे रहय । जुन्ना दरोगा अऊ मुंशी ले जादा भरोसा केजू के उप्पर रहय । यहू मन रानी दई ल पूरा बात ल फोर के नइ बता सकिन । शिकार खेले बर चल दिस राजा । एक निही दू निही , तीन अऊ चऊथइया दिन नहाकगे । मुंधियार के , दरबार हाल के आगू बइठका कस सकलाये रहय । दऊँड़त भागत मनखे मन ल आवत देखिन । सबके सब ठड़िया गिन । राजा के लास धरके आवत केजू के हाथ गोड़ म बोहावत लहू देख के रानी बेहोश होगे ।

               रानी ला होश अइस त हाथ जोर के रोवत कलपत केजू ला देखिस । मंगर कस धारे धार बोहावत आसूँ ल पोंछत , कहत रहय केजू – बघवा के माड़ा म खुसर पारेन रानी साहिबा । राजा साहेब ल बड़ चेतायेंव , बघवा पिला ल जिंदा लाने के फिराक म हमर दुर्दशा होगे रानी दई । तीन दिन ले पिला धरे के अगोरा करत न ठीक से खायेन न पीयेन , जइसे मौका मिलिस खुसर गेन । कोन जनी बघनीन कते करा लुकाये रिहिस , अइसे झपट्टा मारिस ..... सैनिक मन उही करा प्राण त्याग दिन । राजा के मुड़ी ल खखोल के लेगिस । राजा के देंहें के जतका भाग लानत बन सकिस ततका लाने हँव  ......., गोहार पार के रोवत रहय केजू - तोर जान के रक्षा नइ कर पायेंव मालिक....... , हे भगवान मोला काबर नइ मारे.... , मोला काबर नइ लेगे...... , पढ़ पढ़ के चिचियावत रहय । रानी ले जादा दुख इही ल जियानत रहय । 

               लासश उठे के पहिली , नावा राजा बनाये के परम्परा म राजा साहेब के दस बछर के बाबू ल राजा बना दिन । माटी के कार्यक्रम निपटगे । वो समे , हाड़ा सरोये बर राजिम के संगम ल पूरा प्रदेश म , गंगा मान के जावँय इहाँ के लोगन । कोन कोन गंगा जाही तेकर मनके नाव तै होये लागिस । दूसर कोती केजू कइसे राज पाठ मिलय , तेला सोंचत रहय । रानी संग बइठे , जुन्ना दरोगा अऊ मुंशी मन बिचार जमावत , रानी तिर गंगा जवइया मनखे के नाव गिना दिन । ओमा केजू के नाव नइ रहय । येमन सोंचे रहय , रानी जइसे टरही , केजू के ठिकाना लगा देना हे । दूसर कोती केजू हा .... गंगा जाये के बहाना रानी अऊ बछरू राजा के ठिकाना लगाये के सोंच डरे रहय ।  

               तभे केजू आगे । जाय के सूची म अपन नाव नइ पइस तब , रानी दई महूँ जातेंव – केजू गोहनाये लगिस । दरोगा किथे - वा ... तोर जवई नइ बने केजू दाऊ । तैं चल देबे त एती के बेवस्था कइसे संभलही । अपन योजना ल पूरा करे खातिर , एमन केजू ल रोकना चाहत रहय , अऊ अपन योजना ला अमली जामा पहिराये बर , केजू जाना चाहत रहय । तभे बछरू राजा , अपन नानुक पोसहा कुकुर ल , गोदी म धरके अमरगे अऊ आतेच साठ केहे लागिस – माँ , अपन संग कुकुर ल घला लेगबो , नदिया म तऊरबो , डफोरबो , मजा आही........ लइका जात ..... पहाड़ कस दुख ल काला जानय अऊ समझय । हव बेटा ...... महूँ जाहूँ , अऊ तोर कुकुर घला जाही – समर्थन म केजू केहे लागिस । गाँव के भोंदू नऊ बड़ बेर ले सुनत , टप्प ले मारिस – “ सब्बो कुकुर गंगा जाही , त पतरी ल कोन चाँटही “ । मौका मिलगे दरोगा ल । जम्मो भेद खुलगे । पतरी चाँट के रहि जाये के आड़ म .. राजा साहब के बिरूद्ध होय जम्मो षडयंत्र के कतको सबूत मिलगे । भागे के कोशिस म पकड़ागे मुगल सेना के भगोड़ा कमांडर केजू । गंगा जाये के पहिली केजू ला गाँव के बीचों बीच चौंक म फांसी चइघा दिन । उही समे ले अइसन पतरी चँटइया मनखे रूपी कुकुर ला , गंगा जइसे पवित्र जगा जाये ले रोके छेंके बर अऊ दुबारा धोखा झिन पाये के आस म .. अभू घला राजघराना के भोंदू नऊ के इही गोठ “ जम्मो कुकुर गंगा जाही त पतरी ला कोन चाँटही “ हा हाना बनगे ।  

  हरिशंकर गजानंद देवांगन , छुरा

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