Saturday 4 June 2022

समारु के चाय समोसा

 *समारु के चाय समोसा  


एक दिन झगरा करके समारु घर ले बिन टिकट के भागत रहय रेल मा चघ गे  टी टी आके पूछथे कति जाबे गा टिकट दिखा .....समारु कथे जेती रेल जाही ओती जाहूँ , तोर का जात हे, मोर मन ,टिटी फेर पूछथे .....टिकट दिखा  । समारु कथे .....सरकार के रेल आय तँय कोन होथस टिकट मँगइया , मँय टी टी हँव। होबे तव मँय काय करिहौ मोला झन लाग मोर रिस हर एडी़ ले माथा मा चघे हे  ,भाग दे नहीं त ओती के रीस तोरे मा बरस जाही । तँय टिकट दिखा जी.......काबर मोर बबा के रेल आय  जा बोट देहन ता पाय हन। हमर बर अब अझी बुलेट ट्रेन ओहू हर हमर बर आय जा तँय कलेचुप तिरिया जा आँखी ला लाल करत समारु बकवास करत रहिस पगला समझ के टिटी आघू बड़गे  तव सब कगरा कथे देखे मोर करा सबो डराथे।

       ट्रेन के पंखा ला टोरके जबलपुर मा उतरगे कबाडी़ करा बेंचके एक दिन के खाय के जुगाड़ होगे।

        हाथ मा ना पइसा, ना कपडा़ फेर छत्तीसगढ़ी या जुगाड़ भी अँधेर होथे । एक होटल मा जाके समोसा बनाय लग गीस अउ मसाला ऐसे बनाइस के ओखर होटल चमक गे समारु के मान पान होय लग गे होटल वाला कथे तोर कपडा़ ये दे नवा नान दे हँव अउ कीचन के पाछु मा सुत जाय करबे रहे खाय के ब्यवस्था होगे फेर *अजगर ला का चाही दू लेपेटा भूइयाँ*एक महिना कमाइस तिहाँ समारु कथे सेठ तोर बगल रमेश होटल हर महिना बीस हजार अउ रहे खाय अलगे देत हे। डर मा सुरेश कथे ओ का दिही ओखर काय कमाई हे सेठ काली बलाय रहिस चाय मा माखी गिर गे रहिस रमींज के निकाल दे कहिस आउ चाय पिया दीस सबो गहकी मन ला ....हाय राम पियइया मन घलो मसाला चाय हे कहि के पी डारिन अँग्रेजी गोठियइया मन तो कहत रिन नया फ्लेवर का टी है।* 

मँय मुहु ला छबक के धउड़त आय हँव । समारु तोला बीस हजार महु दहाँ झन जा इहे बुता कर । ठीक हे सेठ मोर मोर करा बड़ टेलेंट हे *हाथ कंकन ला आरसी का अउ पढे़ लिखे ला फारसी का*। होटल मा जतका अवइया  रहय ओमन मोर से भारी खुश रहय काबर जावत घानी आघू ले मही कहँव अति सुघर हव भवजी दे डहर सेल्फी ले लव मगन हो जाएँ । दव भैया संग घलो खींच देत हँव । ओ होटल हर अब समारु के नाम ले फेमस होय लागिस.एक दिन बिदेसी मन आइन समारु होटल .......मालिक सुन के अकबका गे का जादू करे समारु मोर नाव हर दब गे .....कछु नहीं सेठ ...मँय तो बस मन ले मन के तार जोड़ देथँव अउ तँय पइसा के कैची चलाथस । बस अउ मँय काय करथँव गा । समारु अबड़ अकन पइसा जोर दारिस  अब अपन गाँव लौटे के दिन आगे सेठ कथे तोर बिन मोर दुकान क इसे चलही समारु  इहें रुक जा मँय तोर बर घर पानी बिजली फ्री मा देहूँ अउ तनखा घलो चालीस हजार कर देहूँ । समारु गदगद होगे सेठ के उँगली धरके अब गला तक पहुँच गँय ये हे मोर टेलेंट। एक दिन किस्मत के दरवाजा अइसे दस्तक दीस के सबो अकबका गे सेठ के सबो बेटा बिदेश मा बसगे इहाँ रहईया अब कोनों नीं मिलिस सेठ का करही अकेला सेठानी भी पिछला कोरोना मा ऊपर रेंग दे रहिस सेठ जात घानी कथे समारु अब ये तोर होटल आय बनें चलाबे पइसा के कैची झीन चलाबे  नी मया के मसाला ले समोसा खवाके नाव आघू बढा़बे ,चार भुजा मोर बेटा मन बिदेसी होगे ,तही चार काँधा देके तार देबे मोला ।  समारु के आँखी ले आँसू ढ़रत रहय कथे तोर बेटा बिदेशी होगे ओसनें महूँ शहराती होके गाँव छोड़ शहर आगँय ,का मुहु तोला दिखाहूँ सेठ गलती मोर भी आय, बिदेश जाय या शहर अपन गाँव ददा दाई छोड़ सब तो पाप आय । अब महु पछतात हँव तोला देख के मोरो ददा भी तो कलपत होही तहीं आँखी उघार देहे सेठ ।।

गाँ छोड़ के कहाँ जाबे।

अनते का इतिहास बनाबे।

दम हे तव उहें बनावव

नव रद्दा मन मा समाबे ।


कहत एक झलक गाँव ले विदेश तक देख डारिस समारु अउ मन हर झुँझरागे।



अब समारु के मन फरियाय सेठ के बेटा मन ला आरो दिस की तोर ददा सरग सिधारगे आगी पानी माटी देहे आ जता भाई । 


   सेठ के बेटा कथे समारु हमर कगरा अभी समय नी हे तँय सबो काम करदे पइसा *फोन पे* मा डारथन समशान जाके चंदन लकडी़ बिसा कफन ला कोसा के ले ले अउ फूल ला अतका कन खरीद ले के देखइया मन कहय येखर बेटा मन बिदेशी हे। अउ एक काम करबे सब ला बिडियो काल करके हमन ला दिखाबे । फेस बुक चलाथस का  नी चलात होबे ता एकाउंट बना ले  इंस्टाग्राम सब मा अपलोड़ कर दे अगरबत्ती एकदम ममहात रहय समारु पइसा के चिंता नी कर अउ पापा के बडे़ फोटो बनवाले ओ पेटी मा हे कोट वाला तेला । बड़का करवा देबे फेसबुक मा बने फोन ले डार देबे साफ रहय । हमन कति जब मुहु करबे रेडी कबे ता हमन रो रो के  थोरिक समय निकाल के रो देबो । रा समारु पाँच मिनट समय दे काबर सबझन सादा कपडा़ नवा पहिर लेत हन । मझली बहू कथे मोर तो आँसू नी निकलत हे का करँव अरे गिलिसरीन के बाटल ला कलेचुप तीर मा राखव । अइसे करत होगे आन लाइन सेठ के क्रिया करम ।  समारु ला पश्चाताप होत रहय ये सब देख के। दू दिन बीते बाद  तइसे फोन आथे बिदेसी बेटा बडे़  के की कथे... समारु देख तो एक बिल्डर आय हे ये होटल के सौदा होगे हे चाबी दे देबे भाई दो करोड़ मा खरीद लीस आन लाइन पेमेंट भी होगे। पइसा हमर कगरा आगे, समारु के मन हा पश्चाताप मा पसीझ  गे अपन गाँव जा के ददा करा लिपट के रोथे अउ समोसा के दुकान खोल लेथे।जिंनगी के अनुभव ला मसाला मा घोंट गे सतरंगी समोसा बनाथे की समारु आज सेठ होगे।


*धनेश्वरी सोनीं गुल बिलासपुर*✍️

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