Saturday 10 July 2021

ममा गाँव अउ मोर गरमी के छुट्टी* पोखन लाल जायसवाल

 *ममा गाँव अउ मोर गरमी के छुट्टी*

           पोखन लाल जायसवाल


         अइसे कतको मन के मानना हवँय कि लइका ममा घर जा के अपेलहा हो जथे, कखरो नइ सुनय न मानय। ए बात म कतका दम हे तेन ला आप मन खुदे तउल लव। आप के अनभो मोर कहे ले अउ जादा अच्छा हो सकत हे। एक ठन यहू बात सुने मिलथे कि मइँझला/मइँझली के पुछारी नइ राहय। ओकर कोनो बरोबर हियाव नइ करँय। जेन मन मइँझला/ मइँझली रहिथें ओमन ए पीरा ल सहत कहिथें। गँवई-गाँव म जब कभू बइठका के हाँका परथे त छोटे बड़े किसान के बुलावा होथे। मइँझला के कभू बुलावा नइ होय। उँकर कोनो आरो नइ लँय। मोर मति कहिथे ए समझ के फेर हो सकत हे।

        मोर महतारी घलव मइँझली रहिन। तीन बहिनी म बीच के। दू ममा रहिन। वहू म बड़े ममा जुआ-चित्ती अउ नशा के शिकार होके मोर महतारी के बिहाव के पहिलीच भगवान घर चल दिन। 

        छोटे ममा जउँन पिथौरा म रहिथें, अपन बिहाव के कई बछर बीते ले संतान नइ नाँदे ले मोर बड़े दाई (अपने बड़े बहिनी) के बेटा ल अपन घर रख के पढ़ाइस लिखाइस। कभू हमन कोति धियान नइ दे पाइस। चतुर्थ श्रेणी के सरकारी नौकरिहा कतेक ल चेत कर पातिस। फेर चौथी क्लास पढ़े मोर दाई इहीच काहय, मोरो तीन तीन लइका में से कोनो एक झन ल रख के पढ़ा लेतिस त का होतिस। फेर ए बात ल कभू ममा तिर नइ कहिस। दाई ददा दूनो झन आपस म कभू कभू गोठियावँय तेन ल सुने हँव।

        कभू कभू अउ काँहीं कुछु बात ल लेके दाई इहीच कहे लगय मइँझली अँव कोनो मोर आरो नइ लय, मोर पुछारी नइ हे। मइँझली मइँझला के कब कोनो हियाव करे हे दुनिया म। ....अइसन काहत दाई ह ममादाई ल घलव कभू कभू.....।

       अइसन म ममा गाँव के आनंद मोला वइसन नइ मिलिस जइसन मिलना चाही। दू चार दिन बर जाना आना होवय। फेर ओ समे ममा के कोनो लइका नइ रहिस। अइसन म खेलय संगवारी के दुकाल हो जय।

        मोर कालेज के पढ़ई बलौदाबाजार म होइस। बीएससी के फर्स्ट ईयर बलौदाबाजार के तिर कोकड़ी गाँव म रहि के होइस। ए गाँव मोर बड़े दाई के मइके गाँव हरे। बड़े दाई अपन दाई ददा के एके झन औलाद आय। जेकर घर म रहि के पहलइया कालेज ल पढ़ेंव। 55% नंबर ले पास घलो होयेंव। बड़े दाई जउन अपन दूनो बेटा कस मोला घात मया करथे। बड़े ददा जेन ल बाबू कहिथँव, मोर छोटे बबा के बड़े बेटा आय। जेन इहाँ घर जियाँ दमाद हे। ए गाँव म तब एकोठन तरिया नइ रहिस। नरवा के पानी भरोसा फागुन चइत तक गुजारा होवय। इहेंच ले बलौदाबाजार बर नल ले पानी के सप्लाई होथे। बड़े दाई के दूनो बेटा रोजगार के तलाश म फैक्टरी कोति चल दे रहिन। अउ उहें रच बस गे। उँकर जगा म छोटे से गाँव म मोला सबके मया दुलार मिले लगिस। गाँव भर के मन मोला भाँचा काहँय। राउत पारा के ममा मन मोर ले जादा खुश रहँय। मामी मन घलव बहुतेच मया दिखाय।

       इहें अपन जोड़ के लइका मन संग बोईर, अमली, गंगाअमली अउ गहूँ-चना के होरा खाय के खूब मजा ले हँव। ममा गाँव के सुरता के लइक मोर सग ममा ले जादा इहाँ परेम पाय हँव। 

         एक झन ममा मोला घेरी-भेरी काहय अउ अभो कहिथे भाँचा तहीं ह दीदी भाँटो के असली बेटा लागथस। जेन महीना दू महीना म म आ के ए मन ल एक नजर देख लेथस। इँकर आरो लेवत रहिथस। इही ममा ह तब एक ठन बात अउ काहय," भाँचा! मोर कहना सुरता राखबे तँय, तोला एक दिन सरकारी नौकरी मिलही।" उँकर कहना आज सोलाआना सच होगे हे। कोन जनी का चीज देखके कहे रहिन हे ममा ह, तेला उही जानय। धन ओकर भाखा म सरसती दाई बिराजे रहिस। ए ला  ऊपर वाले जानय। मँय अतका जानथँव कि ए गाँव के मया दुलार ले मोला कभू नइ लागिस कि ए मोर ममा गाँव नोहय। ए गाँव के पानी मोला फूरिस। मँय अपन माली हालत ल सँवारे बर प्राइवेट स्कूल के नौकरी करेंव अउ आज सरकारी नौकरी करत खुश हँव। ए गाँव म मोर ले पहिली जेन भी अनगइँहा पढ़े लिखे बर गे रहिन, उन सब ला नौकरी मिले हे। अइसन पावन गाँव ल घेरी भेरी पयलगी।

       

पोखन लाल जायसवाल

पठारीडीह (पलारी)

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