Sunday 4 July 2021

मोर प्राथमिक शाला के सुरता-गीता साहू

मोर प्राथमिक शाला के सुरता-गीता साहू


 सुरता मोर प्राथमिक शाला के  जब जब करथौं , गांव अऊ शहर दूनो जगह के मोर प्राथमिक स्कूल आंखी -आंखी म झूलथे । राजा नंद ग्राम मोर शहर आये,घर ले दू कदम पे चौक ,अऊ चौक के वोप्पार मोर स्कूल ,बीच म बजार घलो भराय ,संग म आनी -बानी के दुकान घलो सजे रहे। चौक काय  ए ,तिगड्डा ए, इंहां ले बालोद ,गुंडरदेही अउ डोंगरगांव जाय के । अवइया जवइया के घर  ,घरे ले बस ल  रोकवावन ।बबा के इंहां घर बनई ,पढ़ई  लिखई से लेके सब्बो जिनीस बर सुविधा जनक रिहीस हवे । हमर दीदी भैया मन सब् इही घर में रहिके पढ़े रहिस, वइसे हमर घर ह मिनी धर्मशाला घलो कहलाय, काबर कि पढ़इया लइका बड़ झन हो जान।शुरुआती कक्षा ला हमन सब झन गांव म पढ़ेंन , पर परीक्षा के समय पढ़इया लइका मन बर खाना बनाय बर आय महतारी ज़िंहा रहे मोला ऊंहा के स्कूल म जाना रहे ,गांव म हे त गांव के स्कूल  म ,शहर म हे त शहर के स्कूल म। इही पाय के कक्षा पहली जरूर मय ह शहर म पढ़ेव , फेर आधा दूसरी ले पांचवी तक गांव म पढ़अई होइस । शहर के ये प्राथमिक स्कूल के सुरता बस अतकी हे कि पक्का बडे़ जन स्कूल रहिस हे बरामदा मैदान से बनेच ऊंचहा रिहीस हे , अऊ चारो डहर मेंहदी ले घेराय रहिस हे। पर अपन गांव के स्कूल जे इंहा ले बीस किलो मीटर दूर हावे , के सबो सुरता हवे काबर की हमन छुट्टी में गांव जान त स्कूल घुमे बर जान ,अउ कोन्हों कक्षा ल पढ़ाय ल कहे त पढ़ावन घलो  ,बड़े होत तक के स्कूल मा गे आय हवन । ओकर ले बड़े बात ए आय कि लइका कोन्हो भी हो अपन प्राइमरी स्कूल के गुरुजी बहनजी ला कभू नहीं भुलाए ,काबर की अनगढ़ माटी ला गढ़े के  श्रेय इही गुरुजी -बहनजी मन ला मिलथे । इही पाय के आज भी मोला अपन प्राथमिक स्कूल के गुरुजी- बहन जी के सुरता नाम -गाम सहित हवे । गुरुजी के नाम के नांव पर हमन अतकी जानथन कि वोकर सरनेम पवार रहीस , अऊ बहनजी के नाम राजेश्वरी रहीस । गुरुजी थोरकन गरम मिजाज के रहिस हे ,जेन होना तो होना,  नहीं त हाथ ला उल्टा करवा के रूल मा घलो मारे, वहू अंगरी मन के हड्डीच -हड्डीच म,बेसरम के कच्चा लौठी तक चिथा जाय ,उकर मरई म ।आज के महतारी -बाप असन तब के दाई -ददा मन लइका के पक्ष नइ लेवे , उल्टा कहे - बने ठठा के पढ़ाहू -लिखाहू, कुछू बदमासी करही त बताहू , बिचारा लइका  मन दूनो डहर ले मार खाय ,तेकर सती सबो लइका पहिली पढई- लिखई ल करे ,तेकर पाछू खेले कूदे ।  फेर गुरुजी के पढ़ाई समझाई में कौन्हो कमी नई रहिस् चाहे वह मन गणित हो, इमला हो ,रोज के पट्टी म नकल और पहाड़ा लिखई हो, गणित के सवाल रोज घर म बनाए बर देवे, वोला बना के ही लेगन ,चाहे फेर वो अकल से हो कि नकल से हो ,वो नकल बर भी बड़ अकन अकल लगाय ल पडे । गुरुजी के उलट उंकर धर्मपत्नी राजेश्वरी बहनजी ह कनिहा ल थोरकुन झुका के कदमताल संग हाथ झूला झूला के आजा आ राजा ,मामा ला बाजा ..ला गा -गा के बड़ मया से  पढ़ावे । दूनो झन के बड़ मया दुलार पाय हव ।

 हमर बस्ता म एक दू ठन कापी -किताब अऊ कलम -पट्टी के संग म बाटी-भौंरा ,गोटा ,बिलस,पासा अउ रंग बिरंगा कांच के चूड़ी के नान नान टुकड़ा घलो रहे ,सब खेल ,खेले के काम आये। तइहा के सब खेल, पइसा लगे न कौड़ी ते पाय के  सबो खेल ल हमन खेले हवन।      नागपंचमी के दिन पट्टी म  सुघ्घर नाग बना के पूजा करन त  पट्टी ल साफ करे बर ,थूक म घलो पोंछे हवन।तख्ता ल करिया करे बर भेंगरा के पाना लान त सगोना के उलूहा पाना म होंठ ल घलो लाल करे हवन ।   

           हमर प्राथमिक स्कूल, पहिली के गुरुकुल बरोबर आए जिंहां पढ़ई -लिखई से लेके खेलई -कुदई अउ संग म चाय -पानी तो चाय -पानी  ,खेती -किसानी के गुर ल घलो हमर गुरुजी मन ह हांसत-गोठियावत सीखो डरे ।  नवां कोई घटना होय त वोला सौंहत देखावे, जइसे एक घांव एक ठन अजगर ह खेखर्री ल खा डार रहे ,पर खात बने न निगलत ,जइसे  स्थिति म छुइयां नरवा के खाल्हे अटियात पड़े रहिस । ये नरवा ह स्कूल ले दू किलो मीटर दूरिहा म हे तभो ले गुरुजी ल जइसने पता चलिस सबो पढ़इया लइका मन ल धर के  देखाय बर लेग गे , गुरुजी मन ह जानथे कि, अइसन ज़िनिस बार -बार देखे बर नई मिले ,फोटो के जमाना नइ रहिस तभो ले आज भी वो अटियात अजगर ह आंखी म झूलथे ।

         हमर स्कूल के जमीन माटी के रहिस ते पाय के वोला हर शनिवार के गोबर से लिपे ल पड़े चौथी वाले मन गोबर लाय अऊ पांचवी वाले मन लीपन ,अइसन बैवस्था बने रिहीस हे स्कूल के साफ सफाई बर ,जेकर हमुमन पालन करे हन ।आज तो नियम कायदा मीडिया अऊ स्टेट्स के अतिक जोर हे कि बाल श्रम उल्लंघन या मानवाधिकार के उल्लंघन म स्कूल अऊ गुरुजी मन उपर कार्यवाही हो जाहि ,अऊ ऐकर ले बड़े बात ए आय कि आज कल के लइकामन भी एक कनिक कुछू नई करना चाहे ,फेर वो जमाना में किसन अउ सुदामा सबो अइसने पढ़े हन।

         अइसने छेरछेरा तिहार के घलो ज़ब्बर सुरता हे ,स्कूल बर पांचवी कक्षा के लइकामन  ल छेरछेरा मांगना रहे डंडा अऊ सुवा नाच के । गांव घर म सरमावन त बाजू के गाँव कन्याडबरी ले लावन ,आज सोचथो संस्कृति के हमर गुरू जी मन कतिक बड़े संवाहक रहिस हे । धन भाग हमर कि हमन ल अइसन  गुरुजी बहनजी के आशीष मिलीस  ।।

        कक्षा पाँचवी म पाँच झन लड़का अऊ छ झन लड़की रेहेन सबो झन के नाम आज भी याद हे ,एक दू झन ल छोड़ बाकी सबो झन सन गोठ बात हो जथे, सब कोई अपन अपन घर परिवार म राजी खुशी हवे ,अऊ हां सब के नाती पंथी घलो आ गे हे ,दू झन ल छोड़ के ।ये दूनो मन पढ़त गिस अउ आघू डहर बढ़त  गिस ,वोमे के एक झन मे हरो ।

✍️श्रीमती गीता साहू

         कोरबा छ.ग.

        30.06.2021

No comments:

Post a Comment