Sunday 4 July 2021

मोर प्राथमिक शाला के सुरता -ओमप्रकाश साहू अंकुर


 

मोर प्राथमिक शाला के सुरता -ओमप्रकाश साहू अंकुर



  स्कूली जीवन ह जिनगी के अनमोल समय होथे. ये समय म बने चेत लगाके के पढ़ई -लिखई कर लेबे त भविष्य ह उज्जर होथे. प्राथमिक स्कूल के पढ़ई ह नेंव हरे. जइसे घर बनाय बर मजबूत नेंव धरे ल पड़थे वइसने अपन जिनगी रुपी घर ल सुग्घर बनाय बर बने धियान देके के पढ़े लिखे ल लगथे. अउ पढ़इया लइका मन के पोठ नेंव बनाय के काम प्राइमरी स्कूल के गुरुजी अउ बहिन जी मन ह करथे. लइका मन माटी के समान होथे अउ गुरुजी मन ह कुम्हार कस मिहनत करके उंकर जिनगी ल बने गढ़थे. जइसे कुम्हार ह कोनो बर्तन, मूर्ति ल सुग्घर अकार देय बर माटी ल नँगत मताथे ,वोमे ले गोटी ल निकालथे ।फेर गजब नरम बनाके, ठोंक -पीट के अउ सँगे सँग अपन हाथ म सहला के बढ़िया रुप गढ़थे. वइसने पहिली के गुरुजी मन के काम राहय. लइका ल बने बनाय बर मारय- पीटय अउ प्रेम घलो करय. 

    मोर जनम भूमि सुरगी हरे. राजनांदगॉव ले अर्जन्दा रोड म 13 किलोमीटर म बसे हवय. सुरगी ह बड़का गाँव हरे. हमर गाँव म अंग्रेज जमाना ले प्राथमिक स्कूल हे. मोर बबा श्रद्धेय घुनारी राम साहू जी ह  1 मई 1922 म पहली कक्षा  म भर्ती होय रिहीस हे . मोर बबा के जनम 1914 म होय रिहिस हे. मोर बबा ह रामायन के टीका करे बर प्रसिद्ध रिहीस हे. हमर गाँव के प्राथमिक शाला ह बस स्टेन्ड अउ शनिचर बाजार चौक के बीच म हे. जब मेहा सत्र 1980-81 म 1 ली म भर्ती होयेंव त स्कूल ह खपरैल वाला रिहिस. मोर बाबू जी श्रद्धेय मेघू राम साहू जी ह मोला भर्ती करे बर ले गीस. बहिन जी श्रीमती फूल बाई देवदास ह जनम तिथि पूछिस त बाबू जी ह नइ बता सकीस अउ बहिन जी ह मोर जनम तिथि लिखीस - 03-01-1973 . मोर बबा ह भले चौथी पास रिहीस हे फेर मोर बाबू जी ल कोनो कारन ले नइ पढ़ा पा रीहीस. 

  ये प्रकार ले मेहा पहिली कक्षा म भर्ती होगेंव. पढ़ई लिखई म मोर नेंव बहिन जी फूल बाई देवदास ह बनाइस. हमर घर ह हाईस्कूल डहर हवय. हमरे पारा म देवदास बहिन जी ह घलो किराया के घर म रहय. हमर बहिन जी ह पढ़ई लिखई म गजब मिहनत करय. देवदास बहिन जी ह हमर गाँव के तीन पीढ़ी ल पढ़ाय हवय. ये हमर सौभाग्य हे कि बहिन जी ह नौकरी पूरा होय के बाद सुरगी म बसगे अउ भगवान के कृपा ले अभी जीवित हे. मँय मोर बहिन जी ल घेरी बेरी प्रणाम करत हवँ. वर्ष 2019 म हमर गाँव म पोला महोत्सव म बहिन जी के सम्मान करे गीस. त वो मंच म बहिन जी के सँग महू ल बइठे के सौभाग्य मिलीस. 

  हमर समय के पढ़ई गजब कड़ई रहय. गुरुजी /बहिन जी मन कमजोरहा लइका मन ल अब्बड़ मारय. कई घांव होशियार बच्चा मन जब कोनो प्रश्न के उत्तर नइ दे पायेंव त वहू मन मार ल झेलय. वो समय सजा के रुप म हाथ से मारना, छड़ी म मारना, कनबुच्ची धरई, उठ-बैठक ,घुंटना टेकई शामिल रहय. 

जहां तक मोर पढ़ई के बात हे त मोर गिनती हुशियार बच्चा म होय. हमर समय स्कूल के प्रधान पाठक श्री देवांगन गुरुजी (अर्जुन्दा वाले) रिहीस. मोला चौथी पढ़ईस ते बहिन जी के नाँव श्रीमती ओछला यादव (राजनांदगॉव )रिहीस. यादव बहिन जी ह घलो हमर पड़ोसी हेमनाथ साहू जी के घर किराया म रहय. बहिन जी मन जब मारय त उंकर चुड़ी ह फूट जाय तहां ले फेर गुस्सा म दू चार घांव उपराहा जमा देय. मोला 5 वीं  म देवांगन गुरुजी (माहुद) ह पढ़ईस. शरीर से गठीला, रौबदार अवाज देवांगन गुरुजी ह लइका मन ल पढ़ाय लिखाय म अब्बड़ मिहनत करय. गजब अनुशासन प्रिय रिहीस हे. देवांगन गुरुजी ह पांचवीं के पाछू चार -पांच साल के 

बोर्ड परीक्षा के प्रश्न ल रखे रहय अउ जमगरहा समझाय अउ हमन ल गृह कार्य देय. गणित समझाय बर अब्बड़ नाँव चलय. गणित समझाय के बाद लइका मन ल पूछे कि समझेंव कि नइ. नइ समझ अइस कहितीस त अउ समझाय. समझ म आगे कहय अउ पूछे त कोनो लइका ह नइ बता पाय त नँगत ढढाय. 

   पांचवीं बोर्ड परीक्षा होय त महू ह नँगत मिहनत करे रेहेंव. फेर 31 अक्टूबर 1984 के दिन प्रधानमंत्री मंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी के हत्या कर दे गीस. तहाँ ले वो समय परीक्षा नइ होइस 

अउ मेहा जनरल प्रमोशन के रुप म आगू कक्षा छठवीं म पहुंच गेंव. 

परीक्षा नइ होइस त मोला अउ हुशियार बच्चा मन ल अब्बड़ अखरे रिहीस. 

    ननपन म छुटपुट हरकत घलो कर डरवं. बचपना होथेच वइसने. 

एक बार स्कूल के खिड़की ल धर के झूलत रेहेंव त वो खिड़की ह जेहा पहिली ले कमजोरह रिहीस वोहा भड़ाक ले टूटगे. सब लइका मन चिल्लाय लगिस कि ओमप्रकाश ह खिड़की ल तोड़ दीस.  फेर मेहा सकपका गेंव. लइका मन मोला धरके गुरुजी /बहिन जी मन जेकर बइठे रिहीस वोकर ले गीस. फेर मोला दू -चार रहपट गिनीस अउ समझइस कि अइसन अब मत करबे. 

    पढ़ई लिखई के सँगे सँग खेलकूद के समय दौड़, खो -खो म भाग लेवन. प्राथमिक शाला म पढ़ई के समय के सँगी- सँगवारी मन के याद करथवं त दू झन सहींनाँव  ओमप्रकाश निषाद, ओमप्रकाश साहू, चुम्मन साहू(भिलाई),ललित जैन, माखन साहू, घना राम साहू, स्व. ओंकार दास साहू, अनुरागिनी शर्मा, एकता जैन, स्व. लक्ष्मी जैन, माधुरी साहू के नाँव सुरता   आथे.

हमर घर म बड़े दीदी अउ बड़े भइया श्री कुंज राम साहू जी ह मोला घर म बने पढाय -लिखाय. 

त अइसन ढंग ले मोर प्राथमिक शाला के पढ़ई होइस हे. आगू के अउ पढ़ई के चर्चा कभू अउ करहू. मोर प्राथमिक शाला के जम्मो बहिन जी /गुरु जी मन के सँगे सँग मोर दाई -बाबू अउ भइया  दीदी मन ल घेरी -बेरी प्रणाम करत हवँ .


            ओमप्रकाश साहू" अँकुर "

            सुरगी, राजनांदगॉव (छ. ग. )

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