Saturday 17 July 2021

थोरकुन सुरता कर लिन जी

 थोरकुन सुरता कर लिन  जी 

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    24 जनवरी 1950 के वो दिन बड़ सुभ रहिस होही काबर के उही दिन डॉ. राजेन्द्र प्रसाद सदन के अध्यक्ष के आसन मं बइठे  माननीय घनश्याम सिंह गुप्ता जी ल संविधान के हिंदी अनुवाद प्रस्तुत करे बर कहे रहिन । आज्ञा के पालन होइस अउ हम छत्तीसगढ़िया मन बर गरब गुमान करे लाइक प्रसंग आय के आदरणीय घनश्याम सिंह गुप्ता हिंदी अनुवाद के प्रति सदन मं उंकर हाथ मं राखिन । भारत के पहिली राष्ट्रपति डॉ . राजेन्द्र प्रसाद के ईच्छा के मुताबिक 2साल 6 महीना के अवधि मं गुप्ता जी के अगुआई मं संविधान के हिंदी अनुवाद के ड्राफ्ट प्रस्तुत होए रहिस जेमा उन अपन पूरा पूरी ताकत लगा देहे रहिन । अनुवाद समिति के सदस्य मन संग तालमेल बइठार के कठिन , दुरुह संवैधानिक शब्द मन के हिंदी मं अनुवाद हर लइका खेलवारी तो रहिस नहीं , एक एक ठन शब्द के सटीक अनुवाद बर बुधियार मन ल कई , कई बेर उलट पलट के गुने बर परत रहिस अतका कठिन मेहनत के बाद भारत के संविधान के ये स्वरूप हर सामने आइस जेला भारत के बहुभाषी , बहुसंख्यक जनता पढ़े , समझे , जाने , गुने मं समर्थ होइस । हिंदी जनमानस मं आज भी संविधान के इही हिंदी पाठ हर बिराजमान हे अउ सदा दिन रहिही घलाय । " वी द पीपुल ऑफ़ इंडिया " के जघा हमर जीभ जल्दी अउ जादा सहजता से कहिथे " हम भारत के मनसे " । संविधान जैसे तकनीकी ग्रन्थ ल अतेक सहज , सरल , बनाने वाला बुधियार मनसे मन जउन कठिन काम करिन तेमन के मध्य मणि घनश्याम सिंह गुप्ता के नांव ल हमेशा भुला काबर जाथें लोगन ? जबकि उन्हीं तो समिति के अध्यक्ष , विद्वान , विधिवेत्ता रहिन हें । उन तो कभू पद , प्रतिष्ठा , नांव , जस के फ़िकर नइ करिन , न ही कभू अपन नांव के प्रचार प्रसार करिन । ओ समय के सरकार उंकर प्रतिभा ल पहिचान के ही आगे चल के इंडिया कोड के अनुवाद के जिम्मेदारी देहे रहिस ,  अंग्रेजीमय सरकारी काम काज के हिन्दीकरण के अउ कई ठन महत्वपूर्ण काम पूरा करे के जिम्मेदारी भी उनला देहे गये रहिस । फेर दुख के बात एहर आय के उन गांव के जोगी जोगड़ा बने रहि गिन ...दुरिहा के बात तो जाए देवव उंकरे घर , अंगना दुर्ग नगर मं लोगन ए नइ जानत रहिन के घनश्याम दाउ देश के कतका महत्वपूर्ण काम करत हें । न तो उन कोनों ल बताइन न कोनो जाने बूझे के कोसिस करिन । बाद के पीढ़ी हर आर्य समाज के परंपरानुसार स्वर्गवासी मनसे के अवदान मन ऊपर चर्चा ल औचित्यहीन समझिन । एतरह उनला न गांव गिराम , न उंकर जन्मभूमि छत्तीसगढ़ हर उंकर काम के लाइक आदर , जतन , सनमान समय रहत देहे सकिस । छत्तीसगढ़ी भाषा ल सबले पहिली सी . पी . एंड बरार विधान सभा मं प्रयोग के अनुमति देहे गए  रहिस उंकरे प्रयास से ...। देश के संविधान निर्माण मं सक्रिय योगदान देवइया घनश्याम सिंह गुप्ता के संवैधानिक अवदान मन के चर्चा कभू भी  छत्तीसगढ़ मं समंगल होए च नइ पाइस , कभू अनाचकरित होइस भी त बदरहा दिन के घाम कस तुरते बिला गिस । 

   हमर अवइया पीढ़ी ल ए बात मन ल , तइहा दिन के स्वतंत्रता  संग्राम सेनानी , राजनीतिज्ञ मन के देश बर करे अवदान मन ल जानना जरूरी हे । बैरिस्टर ठाकुर छेदी लाल , गजानन प्रसाद शर्मा , भास्कर सिंह जी अउ बहुत झन छत्तीसगढ़ महतारी के सपूत देश निर्माण मं महत्वपूर्ण योगदान देहे हंवय । 

    नोट ---

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       सरला शर्मा

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