Saturday 10 July 2021

सुरता ममा गाँव के - डॉ अनिल भतपहरी

 सुरता ममा गाँव के - डॉ अनिल भतपहरी


       लोक जीवन मं ये मान्यता हवय कि "लइका ल बिगाड़ना हे त ममा अउ सुधारना हे त कका बबा कना भेजव ।" येहर कतेक सच आय या काकरो अनुभो ये, येला तो भंजाय ल परही ! फेर मंय तो  बड़ भाग मानी हवय  कि ममा गाँव के गरमी छुट्टी म नहीं भलुक आठो काल बारा महिना दु- चार हप्ता म  अवइ -जवइ होतेच  रवय। नाना या ममा  हर  तको  शनिच्चर बजार करे के ओड़हर कोसरंगी  आके इतवार ले जय अउ इतवार मगन ममा गाँव बुड़ेरा (खरोरा )मं बिता के  सम्मार स्कूल बेरा ले कोसरंगी पहुँच जांव। माने कि घेरी - बेरी जवई रहय दु - तीन घरा कस । मय एक का दु दु  ठन  गाँव  बुडेरा अउ घुघवा डीह ( केंवराडीह )  के  मयारुक  भांचा  रहेव । तभो ले मय कतेक बिगड़ेव अउ कतेक पन बनेव एकर जानाब आजो ले न इये ../ कोसिस जारी हवय कि थोरिक बन- बुन  जांव अउ अपन पुरखा  के नांव रोसन करव फेर ... सब भविष्य के गरभकाल म जतनाय हवे।

            सच कहे तो मय जतेक पांव परेव ओतक ले डबल तिबल लोगन ननपन ले मोर परय ... मोला गुरु गातर तको कहिके भजय अउ त अउ मोर छोड़े भात ल रवा प्रसाद कहिके ममा मामी मन बांट -बांट के खाय। पांव परे बर रेंम लग जाय भाई सिरतोन कहत हंव  काबर कि मय 10 ममा के एकलौता बड़े भांचा आंव। मोर पाछु दु भाई अउ हे फेर ओमन नान्हे रहे के सेती कमती जाय। मै बाबु संग रहव तो गाँव जात सड़क तीर लगे अमर इया अउ चनवारी चक मं नाना मन या मन मचान कुंदरा बांधे रखवारी करत रहव त जबरिया राजदूत ले उतार लय ... जाव एला सम्मार के इही जगा लहुटत घानी ले जबे ... मां बाबु कछु कहे तको नी सके अउ मोर तो मजा हो जय । जब गाँव पहुचव त घरो- घर खाय बर जाय ल परे या एक के माली मं साग आ जय आमा अथान ल जुठरवा के मामी मन ले जय। अब बता भला एसन कखरो भाग तकदीर होही का ?  

ये सब अचरुच बानी आय कि  एक तरह से  विश्वास हवय कि सउहांत गुरु देवता आय ?  भले उकर कछु आ सकन या नही ये अलग बात आय ।

    छत्तीसगढ़िया मन भांचा म भगवान राम ल देखथे काबर कि येहर ओकर ममा गांव तो आय न!  इहि पाय के हमन के संस्कृति में जन्म, बिहाव , उच्छल मंगल अउ मरनी -हरनी मं गुरु अउ भांचा दान  देय के परंपरा हवय। सालपुट दान -दक्षिणा तको मिलय । ओला सकेल के एक ठन हरक्युलिस साइकिल खरोरा ले  तको बिसाय रहेन । ये समे  1981-85 के रहिस जब मै आठवीं से  हाई स्कूल पढ़त रहेंव। अउ खरोरा मं विडियो देखव अउ मिक्चर समोसा  चाट दही मशाला मिंझरे बिकट मिशल खांव । 1 रुपया के थारी असन प्लेट के कभु भूख न इ लागय त  खाय तको नइ सकत रहेन । 


       बचपन तो गाँव ले सौ कि मी दूरिहा बुन्देली म पहली से सातवी तक बचपन बितिस । तब गरमी छुट्टी में ममा घर आन अउ मां बाबु  भाई बहन संग कुछेक दिन बितावन ओकर संस्मरण ल अउ झन पुछ ओकर सुरता करथव त लगथे धरती म कहु सरग हवय त बुडेरा अउ केंवराडीह हर आय फेर मां हर जब जब दुनो गाँव के मंझोत ल नाहकव एक आंसू जरुर रो डरय ।  ओहर फटफटी ल उतर के मर्रा तरिया या केंवराडीह बांधा के पानी मं गोड़ धो के गुठवा भर उतर के अपन  अंजुरी भर के अमरित कस पीयय । ओकर ये रुप ल देखन अउ पुछन त कहय जान दव बेटा ... दाइ  हर  केंवराडीह में  मोसा ददा कना हवय अउ मय ममा घर म पलेव बढेव ,बर -बिहाव होइस मोर ममा ह असल ददा आय । मोर सग ददा  चटौद अउ तोरला दु गांव के काहत लागय बिशाल गौटिया के मय बेटी अंव । पहिलांवत बेटी के बाद बेटा नइ होत के कहिके हमर बबा मन दइ  ल निकलवादिन ... दइ  हर मइके बुडेरा मं आके  

बइठ गिस ,मय कोरा म रहेंव ।तभेच संजोग वश घुघवाडीह के गौटिया बेड़ा के छड़वा  बडे बेटा धनीराम मंडल बर दाई चुरी पहिनन ।

मोर पाछु  नवा दाई के पांच भाई होइन ।  फेर ददा हर बेटी के मया बर तरसते रहिगय ... ओकर हर बुडेरा मड ई म मोला देखे ओड़हर आवय अउ कलेचुप प इसा धरा के लहुट जाय। ओकर  नसीब म अउ  बेटीच  नइ होइस।

     अउ मोसिया ददा के परिवार मन  ह मोला दाई  से अलगिया दिन... ओकर डहन ले 4 बेटी अउ 3 बेटा होइन । (मतलब हमर  4 मौसी और 5+ 3 + 2 = 10  मामा हवय)। मय अपन नाना बबा अउ तीन झन  कना पलेव बढेंव .... जब जब भूख लागय अउ  राम्हीन दई सुरता आय त बबा अउ दूधदई हर  मा कना लेगय त इही तरिया पार दई आके दूध पियाय मया -दुलार करय ।बबा हर बांधा के खाल्हे अपन चक मं  लगे 32 पेड़ के आमा बगीचा मं सोलहा आमा के खाल्हे मचान बंधवाय रहय  उहंचे दाई हर  मोला दुध पियाय बर आय !अइसे दु:ख भरी कथा ये ददा हो ... कहिक ठंडा सांस भरय ।

     ते पाय के ये दुनो गांव के डीह अउ अमरइया अउ तरिया - बांधा पार जोन लगे हे बीच ले खरोरा से आरिंग सड़क बने हे यही तरिया बांधा के मंझोत हर  "मोर मयकारो" आय ।ये आमा रुख ये बेल अउ  छीन पेड़ मोर लागमानी आय .... मनखे के मया के संग संग रुख राई  अउ धनहा  तरिया  मन तको मां के संग हमरो सगा- सोदर हो गय।  गांव वाले मन मां बर जगा तको देय रहिन फेर हमर बाप कभु ससुराल के दतवन तको तोड़िन भलुक अपन शिक्षा ज्ञान अउ कला अउ समपरन म सब ल सम्मोहित करे रहिन।

        बड़ भागमानी मां कि अपन समय म उनमन ल ओकर बबा ममा मन स्कूल पढाईन अउ 1965 मं बी ए पास करे  तेलासी भंडार तीर महानदी खड़ सिरपुर के ए पार जुनवानी गांव के  कलांवत गौटिया रामचरण के होनहार   जीवनलाल उर्फ सुकालदास  संग  लगिन धरा गे। जोन पाछु मोर जनम साल 1969 म हाई स्कूल बुंदेली पिथौरा मं मास्टर बनिन।अउ दादी सतवंतीन के देहांत के बाद 1981-94 तक शा हाई स्कूल कोसरंगी खरोरा मं प्र प्रचार्य रहि‌न।

        मय उही मस्टरीन  महतारी  अउ मास्टर पिता  के  दस  मामाओं का सौभाग्यशाली  भांजा  आंव । जेकर ममहारो गाँव के सुरता जतके लिखबे ओतकेच कमति आय... 

    कभु अउ बाद में 




  डाॅ. अनिल भतपहरी      9617777514

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