Saturday 10 July 2021

ममा गाँव अउ मोर गरमी के छुट्टी-चोवाराम वर्मा बदल

 ममा गाँव अउ मोर गरमी के छुट्टी-चोवाराम वर्मा बदल

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ममा(मामा) के रिश्ता मा अबड़ेच मिठास होथे। मामा कहिके पुकारे म दू पइत मा -मा (माँ) कहे ल परथे। तभे ए मामा  मा ममता मनमाड़े ममहावत रहिथे, स्नेह के गंगा धार बोहावत रहिथे।

     बड़भागी होथे वो लइका जिंकर मया के डोर अपन ममा-मामी ,नाना-नानी के हिरदे अउ गाँव-घर तक लमे रहिथे।

       आज ले दस बीस साल पहिली तक  प्राथमिक अउ मिडिल स्कूल में पढ़ईया लइका मन के अधिकांश लम्बा छुट्टी जइसे दशहरा-देवारी ,शीतकालीन छुट्टी अउ   दू महिना के गरमी छुट्टी, खच्चित रूप ले ममा गाँव म बितत रहिसे। लइका मन ममा गाँव जाय बर पहिली ले कुलकत राहँय, कूदत राहयँ, अगोरत राहयँ।

        मोला तो गरमी के छुट्टी मा ममा गाँव जाये बर नइ परत रहिसे काबर के मैं तो उहें रहिके अपन स्कूली  पढ़ाई करे हवँ फेर अउ साथी मन के गरमी के छुट्टी म अपन ममा गाँव जाये के उँखर बेकरारी के अनुभव हे।ममा गाँव के उँकर बताये किस्सा मन के सुरता हे।

      ममा -मामी ह जिंकर एको झन औलाद नइ रहिस।(बाद में छोटे मामी के तीन झन लइका होइस) मोला अपन  आँखी के पुतरी कस राखयँ अउ भगवान बरोबर मान के सेवा करयँ ।अइसे भी हम छत्तीसगढ़िया मन भाँचा ल भगवानेच मानथन।

         अब तो ममा सरग सिधार गे हे फेर दूनो मामी अउ भाई ले रिश्ता अभो प्रगाढ़ हे। नौकरी-चाकरी म बाहिर रहे के बाद भी मैं अधिकांश लम्बा छुट्टी म अपन लोग लइका संग ममा घर दू -चार दिन रहिके आथँव।

         हमर छत्तीसगढ़ म अइसे मान्यता हे के लइका ह ममा घर रहे मा या ममा गाँव मा बिगड़ जथे अउ कका घर रहे मा बनथे। सोच अइसे हे के ममा घर या ममा गाँव मा कोनो रोकइया टोकइया नइ राहय। ममा मामी ह तो  गलती ल देख के तको डाँटबे नइ करय अउ कका -काकी ह नकेल कसे रहिथें।फेर एमा सिरिफ दू-चार आना सच्चाई हो सकथे ,सोला आना नइ होवय। हमर तो ये मान्यता हे के ममा गाँव मा बच्चा ल सहकारिता, भाईचारा, निश्छल प्रेम,दोस्ती के शिक्षा के संग लड़कपन के आनंद मिलथे त कका घर जादा अनुशासन मा विद्रोह के भावना बचपना ले पनपे ल धर लेथे।

       मैं तो गरमी के छुट्टी म अपन सँगवारी मन संग फूल घूमवँ।गंगा अमली टोर के खावन अउ मामा-मामी बर तको लावन। तरिया मा मँझनिया तको डूबकँव फेर ममा हा हरदम ध्यान रखय के मुन्ना हा (मोर बचपन के नाम-मामी मन अउ गाँव -घर के मन आजो इही नाम लेथें) काकर संग कहाँ जावत हे।टाइम मा नँहाय खाय ला काहय। टाइम मा पढ़े ला बइठारय। बदमाश झगराहा लइका मन संग खेले बर मना करय। गलती करें मा डाँट के कान ल अँइठ दय।

      मोर ममा गाँव अउ गरमी के छुट्टी कभू नइ भुलावय।


चोवा राम वर्मा 'बादल'

हथबंद, छत्तीसगढ़

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