Saturday 10 July 2021

ममा गाँव अउ मोर गरमी के छुट्टी*-बोधन निषाद

 *ममा गाँव अउ मोर गरमी के छुट्टी*-बोधन निषाद


          मोर गाँव थान खम्हरिया, जिला- बेमेतरा आय (पहिली दुर्ग रहिस हे) । प्राथमिक शाला के पढ़ई मँय इहें करेंव । अउ जब-जब गरमी अउ शीतकालीन छुट्टी होवय तब-तब मँय ममा गाँव आ जावँव । इहाँ ममा मन के लइका मन संग खेलँव,पढ़हँव अउ बहुत मजा करँव । ममा अउ ममा दाऊ के मया गजब राहय । मँय ऊँखर मया मा अपन दाई - ददा ला भूल जावँव । गरमी के छुट्ट खतम होवय तब मजबूरी मा मोला अपन गाँव थान खम्हरिया जाय बर लगै । अइसे तइसे मँय 7 वी कक्षा तक पढ़ेंव ।  थान खम्हरिया मा तो मोर जिनगी के बहुत ही कम तक समय बीतिस । गरीबी के कारन सन् 1986 मा मोर दाई-ददा खाय-कमाये बर जब परदेश (लखनऊ) चल दिस तब मोर ममा हा मोला अपन गाँव सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम (पहिली राजनांदगाँव रहिस हे) इहाँ ले आइस । सहसपुर लोहारा एक राजवाड़ा गाँव आय जउन एक जंगल के तीर मा बसे हे । इहाँ के जंगल मा कतको ऐतिहासिक जगह हावै जउन देखे के लाइक हे । जइसे सहसपुर बाँध, सुतियापाठ बाँध, कार्रानाला बाँध, बिरखा बाँध, लोहारा के बावली आदि । 

     फेर सन् 1987 मा मँय इहाँ 8 वी पढ़ेंव । मोर जम्मों पढ़ई लिखई ममा गाँव मा होइस । कतको मनखे कहिथे कि लइका मन हा ममा गाँव मा आ के बिगड़ जथे । फेर मोर संग अइसन नइ होइस । एक तो गरीबी अउ विकलांग दुनों स्थिति राहय । तभो मँय हार नइ मानेंव । अपन पूरा ध्यान पढई लिखई मा लगा देंव। मोर पढ़े के लगन ला देख के ममा-मामी अउ जम्मों पारा बस्ती के मनखे खुश होगे । जब मँय 8 वी मा अपन स्कूल मा प्रथम आयेंव तब मोर मिडिल स्कूल के गुरूजी । मोला अपन मुहल्ला के बादशाह कहिके मोर सम्मान करै । 

      थान खम्हरिया ले सहसपुर लोहारा आये के बाद फिर मोर पूरा पढ़ई लिखई  इहें होइस अउ कालेज के पढ़ई लिखई ला स्वाध्यायी रूप मा करेंव । सन् 1994 मा  दिग्विजय सरकार म.प्र. के समय मँय पहिली बार शिक्षा कर्मी-3 के रूप मा 500 रु. मा नौकरी पायेंव । अउ सन् 1998 मा सहायक शिक्षक पंचायत के रूप मा नियमित भर्ती शास.बालक प्राथ.शाला सहसपुर लोहारा मा ही होइस । अप्रैल सन् 2000 मा शांति देवी निषाद हा मोर जीवन संगिनी बनिस । अभी मोर दूझन लइका एक कु.लतारानी अउ दूसर कुलेश्वर निषाद हे। दुनोंझन बने पढ़त लिखत हे। 

    महूँ आगू अउ पढ़ई करेंव । भगवान हा मोर साथ देइस, आज मँय शास.उच्च.मा वि.सिंघनगढ़ मा व्याख्याता वाणिज्य मा काम करत हँव।

      अब तो मोर पूरा जिनगी ममा गाँव मा ही बीतत हे । अउ आगू के जिनगी घलो ममा गाँव मा ही बितही अइसे लगत हे । 



बोधन राम निषादराज

सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)

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