Saturday 24 July 2021

होम करत हाथ जरे-चोवाराम वर्मा बादल -------------------------------

 होम करत हाथ जरे-चोवाराम वर्मा बादल

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बिहनिया- बिहनिया  पेपर पढ़त , अंग्रेजी अमृत ,चाय के चुस्की के आनंद के का कहना ? एक दिन अइसने मनभावन-पावन बिहनिया जुवर मैं चाय पियत आनंद के डबरा म बूड़े रहेंव ओतके बेर  पड़ोसी जी हा अंगना मा अराम फरमावत मोर मोटर साइकिल ल प्यार से कन्नेखी देखत मदमस्त चाल से आइस अउ बिना कोनो लाग लपेट के सीधा मुद्दा के बात म आवत पूछिस-- भैया जी गाड़ी खाली हे का? मैं समझगेंव, आगू म साक्षात वामन अवतार खड़े हे। ओकर गोठ ल सुनके मोर माथा ठनकगे। अचानक वो घटना, सुरता के झरोखा ले मूँड़ निकालके बिजरावत झाँके ल धरलिस जब मोहल्ला के एक झन भतीजा ह मोर असन ये अकल के दुश्मन अंकल ले बड़ शिष्टाचार देखावत , पंद्रा मिनट बर गाड़ी ल मांँग के लेगे रहिसे। कई घंटा पाछू पता चले रहिसे के भतीजा  ह अस्पताल म कल्हरत भर्ती हे अउ मोर दुलरवा गाड़ी ह थाना म धँधाये हे। अबड़ेच अनुनय बिनय करे अउ बिसेस   दान-दक्षिणा देके पाछू मोर दगदग ले नवा मोटर साइकिल ह फूटे मूँड़ अउ टूटे हाथ गोड़ के संग खोरावत वो थाना रूपी नरक ले निकल के घर आए रहिस।

     खैर हमर बिगड़े आदत कहाँ छुटही। लोगन हमला फोकट के बुद्धिजीवी थोरे कहिथें?  वो खराब अनुभव ले आज तक हम एको अक्षर नइ सीखेंन। पड़ोसी जी बर चाय मंँगाके पूछेंव-- कहूँ जाबे का ? अँधवा ल का चाही दू आँखी। वोहा चहक के,मुस्कावत कहिस-- दमाँद ह मोबाइल करे हे के  मोर बिटिया के तबीयत खराब हे । उही ल देखके आधा घंटा म आ जतेंव , तेकेरे सेती गाड़ी ल माँगे बर आए हँव।

   अब आप एला मोर संस्कार समझव चाहे कुसंस्कार। अइसने बखत होम करे के भावना मोर हिरदे म मेंचका कस टिंग-टिंग कूदे ल धर लेथे।कभू- कभू तो समुंदर कस लहरा तको उफान मारे ल धर लेथे। मैं सोचेंव-- एक तो राम राम के बेरा, दूसर म परोपकार करे के अवसर --पुण्य कमा लेनेच चाही। अति प्रसन्न होके गाड़ी के चाबी ल देवत, हाथ जोड़के विनती करत कहेंव-- अभी छै बजे हे।दस बजे तक खच्चित सकुशल लहुट जबे ।मोला ड्यूटी जाना हे। वोहा कहिस--आदरणीय आप  थोरको चिंता झन करव। वोकर नेक सलाह बड़ अच्छा लागिस। वोहा गाड़ी ल निकालिस अउ देखते-देखत फुर्र ले उड़ागे।

         फेर उही होना हे जेन होना रहिसे। अगोरा--अगोरा बस अगोरा। जइसने दस बजे लकठियाइस  मोर तन लेओगरा खेत के पानी कस पछीना ओगरे ल धरलिस।   ग्यारा बजत-बजत मोर तबियत के बारा बजगे।मोर ब्लड प्रेशर अतका डाउन होगे के डाक्टर  बलाये ल परगे।घर म रोना-गाना मातगे। वो तो डाक्टर नइ आये रइतिस त ए दुनिया ले मोर टिकिट कटगे रइतिस।

     पड़ोसी जी संझाकुन गोधूलि बेला म प्रगट होइस अउ चाबी ल झपले मोर हाथ म धरावत, एक्के साँस म कई पइत ,एक्के लय म कारज सिद्धि मंत्र असन रटत- देरी बर छिमा करबे आदरणीय  काहत पल्ला होगे। हम तो बोकवाय देखत रहिगेन।

      सतयुग ,त्रेता अउ द्वापर युग म होम करे के फल भले देरी ले सरग म मिलत रहिस होही फेर ये  कलयुग के घोर पुण्य-प्रताप हे के अब झोफ्फा-झोफ्फा फर तुरंत मिल जथे।कलजुग के घर अंधेर हे फेर देर बिल्कुल नइये।

   थोकुन पाछू बाई जी ह साग-भाजी ला लेबे तब कहूँ जाबे कहिके आडर फरमाइस त हम डरत-डरत फटफटी कोती ओधेन तहाँ ले बड़ बाय होगे। टंकी म एको बूँद पेट्रोल नइ रहिसे।

    दूसर दिन आफिस ,ड्यूटी म गेंव त पता चलिस --मोर दूनो हाथ जरगे राहय। चेहरा म केंरवछ कस दाग अउ छाती म फोरा परगे राहय।पता चलिस के  कलेक्टर महोदय ह औचक निरीक्षण म आये रहिसे। वोहा मोला बिना आवेदन के अनुपस्थित पाके निलंबित कर दे रहिस।

     मोर तो होम करत हाथ के संगे संग सरी अंग जरगे।


चोवा राम वर्मा 'बादल'

हथबंद, छत्तीसगढ़

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