Sunday 4 July 2021

मोर प्राथमिक शाला के सुरता -सरला शर्मा

 मोर प्राथमिक शाला के सुरता  -सरला शर्मा

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    मोर जनम भूमि जांजगीर के भीमा तलाव के पार मं जुन्ना विष्णु मंदिर के तीर मं खपरा छवाये , भुइयां मं पथरा बिछे मोर प्राथमिक शाला रहिस । हमर घर रहिस जुन्ना बस्ती बाम्हन पारा मं उहां ले स्कूल बने दुरिहा रहिस ते पाय के पारा भर के नोनी लइका मन किलबिल किलबिल करत एक्के संग स्कूल जावन । 

   एसनहे असाढ़ के महिना रहिस बादर छाए रहिस के  परछी मेरन छोटे दाई के आरो आइस  " सेसू बाबू ! बड़े नोनी ( सरला ) ल बा  (  सुशीला चौबे ) संग स्कूल जाए देवव ...ओकर नवा नवा मास्टरी लगे हे , दुरमतिहा दमाद के का भरोसा रस्ता बाट  मं  कुछु कहि सुन झन देवय । " 

    सुन के भारी मजा आइस फेर मां चेताइस बड़े नोनी के उम्मर तो पांच साल के होए नइये ...त  स्कूल मं नांव कइसे लिखाही ? सबो सियान मन तय करिन के अपन बा फूफू ल संग देहे बर बड़े नोनी स्कूल जाही फेर लइका खेलवारी एक ठन सिलेट ले देवव । ए तरह  जनपद प्राथमिक कन्या शाला जांजगीर ल देखे बर मिल गे .।..पहिली कक्षा ल पढ़ावयं विमला नथानियल बहिन जी ऊंच पूर हांसत बदन के बहिन जी उपद्रो करन त कान पकड़ के उठक बैठक करे बर कहय ..। 

 इमला लिखे मं मात्रा के ग़लती होवय त , अउ उल्टी गिनती लिखे मं ग़लती होवय तभो मारय । 

   पन्द्रही पुरत आइस के एक दिन  सांझ के स्कूल ले घर आके  बड़े फूफू ल कहेंव ...काल ले मैं स्कूल नइ जांव फूफू ..। बड़े फूफू च तीर तो सबके नालिस फरियाद करे  सकन आने मन तो हम लइकन के बात ल सुनबे नइ करयं त बड़े फूफू पूछिस " काबर नइ जाबे कोनो संग लड़ाई झगड़ा होए हे के कोनो मारिन , खिसियाइन हें बता । " 

जतका अपमान छोटकन मन मं भरे रहिस सबो हर आंखी ले अहोधार बोहाये लागिस ...हिचकी , सुसकी मं गला बोजा गे ....।  फूफू हर मोला थोरकुन रोये दिस फेर कोरा मं बइठार लिस ...लटपट बताएं " बड़े फूफू ! नथानियल बहिन जी हर सबो झन के नांव लेके हाजिरी लेथे फेर मोर नावे नइ लेवय ...सिलेट मं लिख के दिखाए जाथंव त बने ढंग ले देखबे नइ करय ...ठीक हे ..ठीक हे .तोला दिखाए आए के जरूरत नइये कहि देथे । 

   बड़े फूफू बा फूफू मं का गोठ बात होइस तेला तो नइ जाने पाएवं फेर दूसर दिन ले स्कूल मं नथानियल बहिन जी मोरो  डहर धियान देहे लगीन तभो द दवात के ल सीधा लिखे तो जानबे नइ करेवं । उही समय बहिन जी बताये रहिन के मिस फंक के मेहनत से जांजगीर मं कन्या शाला खुले रहिस ..नहीं त बाबू लइका मन संग पढ़े बर परतिस ..ओ सब तो समझ मं आबे नइ करीस ...परीक्षा के दिन आइस त फेर रोआसी लागिस काबर के मोला तो परीक्षा मं बइठे च बर नइ मिलिस ...मोर रोवाई ल देख के बड़े बहिन जी कान छुए बर कहिस ..बा फूफू सिखा देहे रहिस मुड़ी ल एक डहर नवा के कान ल छू लेबे ..अउ झट के हाथ ल गिरा लेबे ..। बड़े बहिन जी के आघू मं खड़े होए पाये रहेवं कान ल छुए पाये हंव के नहीं तेला बने असन देखतिन के दू झन नोनी लइका मन ल धर के तीसरी कक्षा के बहिन जी आगे ..बड़े बहिन जी उनमन कती देखिन अउ मोला जाए बर कहि दिहिंन ....फेर का मोर गोड़ भुइयां मं कइसे परतिस ? 

बा फूफू नथानियल बहिन जी तीर गोठ बात करिन अउ मैं पहिली कक्षा ले दूसरी मं पहुंच गयेंव। 

     बहुत दिन के गए ले जाने पाएवं के सन 1907 मं ओ समय के मध्यप्रदेश आज के छत्तीसगढ़ के जांजगीर मं अमेरिका ले आए मिशनरी मिस एनी क्लेमर फंक हर बालिका विद्यालय के स्थापना करे रहिन जेमा 17 झन नोनी लइका मन पढ़त रहिन फेर उनमन के रहे , खाये के बेवस्था भी रहिस जेला हमन बालिका छात्रावास कहि सकत हन । गुनव तो 114 साल पहिली जांजगीर मं कन्या शाला रहिस लोगन नोनी लइका मन ल पढ़ावत रहिन । मिस फंक के मृत्यु टाइटैनिक जहाज हादसा मं होए रहिस माने आज ले 109 साल पहिली मिस फंक हमन ल छोड़ के चल देहे रहिन । उंकर खोले बालिका विद्यालय हर थोरकिन दिन के गए ले बन्द हो गए रहिस तभो ये बात ल तो माने च बर परही के जांजगीर मं तइहा दिन मं भी नोनी लइका मन ल पढ़ावत लिखावत रहिन । 

    पौर साल जांजगीर गए रहेंव त  देखें  टूट फूट गए हे स्कूल हर ...खपरा के छत कहां गे , दीवाल बस खड़े हे ...हां भीमा तलाव के रख रखाव देख के बने लागिस । मोर प्राथमिक कन्या शाला अब खंडहर बन गए हे । 

   सरला शर्मा 

     दुर्ग

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