Sunday 4 July 2021

प्रायमरी स्कूल के सुरता* : पोखन लाल जायसवाल

 *प्रायमरी स्कूल के सुरता* : पोखन लाल जायसवाल

          १९८२ म स्कूल जाय बर शुरु करेंव। स्कूल म भर्ती होय बर पहिली माई (जेवनी) हाथ ले डेरी कान ल मुड़ ऊपर ले छुए के शर्त रहिस। जेन लइका कान ल छू लेतिस तेन स्कूल म भर्ती पा लय। अउ जेन लइका नइ छू सकय तेला कक्षा म भर्ती नइ करत रहिन हे। तरिया पार म बसे चार कोरी चूल्हा के गाँव म जादा पढ़े लिखे मनखे नइ रहिन। मनखे मन बनी भूती कर के पेट भरँय। कतको मनखे कुंवार म बाढ़ी खावँय अउ दू महीना के बीते ले बड़हर मनखे ल एक खाड़ी धान के डेढ़ खाड़ी लहुटावँय। तब गाँव म खेती आज सहीं चौकस नइ होत रहिस। बनिहार के जिनगी एक लाँघन एक फरहार कटत रहिन। नगदी करजा के बलदा खेत गहना धराय राहय अउ अपने खेत म साहूकार बर खेती करँय। रक्सेल अउ भंडार के दू ठन गाँव सिसदेवरी अउ कुसमी हवय। इही दूनो गाँव म मँजूरी कर के मनखे लोग लइका के जतन करँय। चारों मुड़ा ले गाँव बर कोनो पक्का रस्ता नइ रहिस। सड़क अउ बिजली का होथे तउन ल हमन नइ जानत रेहेंन। स्कूल म भर्ती होयेंव तउन साल एक झन नवा गुरुजी आइस। जेकर नाँव चँद्रिका प्रसाद चँद्राकर रहिन। गाँव वाले मन उन ल बहुत दिन ले ओला नवा गुरुजी काहत रहिन। उन मन पढ़ाय बर उत्ती मुड़ा के गाँव कौड़िया ले रेंगत आत रहिन। आठ दस ठन खेत ल पार करत गाँव के मेड़ों म आवँय अउ उही आठ दस ठन खेत ल पार कर स्कूल पहुँचँय। ए स्कूल ह दू कुरिया अउ परछी के संग एक ठन आफिस के लइक छोटेकुन कुरिया के रहिस जउन ह गाँव के रक्सेल म रहिस। तीसरी कक्षा के आवत ले ईंटा पथरा वाला दू कमरा अउ बनिस। 

       जेन साल मँय स्कूल गेंव तेने साल हमरे गाँव के गुरुजी स्कूल के प्रधानपाठक होइन। ओमन संजोग ले हमरे सगा (जात के)रहिन अउ मँय उँकर परोसी घलव। उँकर नाँव चोवाराम जायसवाल रहिस। 

         दूनो कुरिया म दूदी कक्षा बइठार के परछी म पाँचवी कक्षा ल बइठार के दूनो गुरुजी मन चेत लगा के पढ़ाँय। पहली दूसरी अउ तीसरी चौथी ल सँघरा बइठाँय। एक कक्षा ल काम दे के दूसर कक्षा म जावँय। गिनती पहाड़ा अउ बारह खड़ी ल जोर जोर से पढ़न। लड़का मन एक आखर पढ़न त लड़की मन दूसर आखर ल पढ़ँय। ईमला अउ गिनती पहाड़ा के नकल जरूरी राहय। इही तरा ले सबो विषय ल पढ़त गेन। लइका रखवार नइ रहे ले छोटे भाई बहिनी ल स्कूल लेके जावन। कभू कभू मना घलव करय। पास फेल सुनाय के दिन अच्छा बात ए राहय कि जब कोनो फेल हो जावँय त उन ल बड़े कक्षा पढ़ही काहँय। जइसे कोनो दूसरी फेल होगे त ओला बड़े दूसरी पढ़बे काहँय। अब तो फेल होय के बात नइ रहिगे।

         स्कूल जाय बर सबो मुड़ा के लइका तरिया पार म रेंगत जावँन। फेर स्कूल तिर दइहान रहिस , जिहाँ गाय गरवा मन ठोंकाय राहय अउ बरसात भर भारी चिखला मातय। ओला पार कर जावन। पानी गिरत म झोला म रखाय चुमड़ी टू इन वन काम आवय। छाता नइ रहे ले चुमड़ी ल बसदेवा मन के पहनावा सहीं मोड़ के ओढ़ लन। अउ स्कूल म बइठे बर बिछौना बना लेवँन। तब स्कूल म बरोबर टाटपट्टी नइ राहत रहिन। कोनो कोनो अपन घर के कमपापड़ ल ओढ़के स्कूल जावँय। त कोनो बरसात के बहाना कर छुट्टी मनावँय। चौथी पाँचवी पढ़इया लइका मन रोपा लगई म स्कूल के बेरा ले बिहनिया अउ  छुट्टी के पाछू संँझा रोपा लगा के पइसा कमावँय। बिस्कुट पीपरमेंट अउ गुड़ फल्ली खाय बर बेवस्था घलव हो जय। अइसने धान लुवई म सीला बीने बर जावन अउ मुर्रा खावन। इही लालच म कई कई दिन ले स्कूल नागा करन। तब पढ़ई के मरम ल नइ जानत रेहेंन। 

        खाना के छुट्टी होय चाहे लघुशंका के दइहान के गस्ती अउ पीकरी तरी छुट्टी मिलतेच अट्टक, बाँटी अउ गिल्ली के डाँड़ खिंचा जय। दाम नइ दे सकँय तेन ल चिरकावन।    झोला म स्लेट पट्टी अउ पेंसिल (छूही के) संग दू ठन किताब अउ कापी राहय। गुरुजी कक्षा म नइ राहय तहान स्लेट ल तिरछा टेंका के पेंसिल जीत घलव खेलन। हार जवन त रेंधई करत गुरुजी मेर शिकायत कर दन कि मोर पेंसिल ल  फलाना ह चोरा लिस। अउ जीतइया के नाँवले देवन।

          दूनो गुरुजी जइसने पढ़ावँय वइसने मारँय। जायसवाल गुरुजी कनिहा तिर ल धर के उठावय अउ छत म मुड़ ल टकरावय। नइ ते रूल म जोर से मारय। मार के डर म जेन लइका  मन चेत लगा के पढ़िन तउन मन बने बने रोजगार पागे हवँय। 

      नवा गुरुजी पेड़ पौधा के बड़ शौकीन रहिन। रकम रकम के फूल लावय अउ लगवावय। आठ दस ठन नीलगिरी अउ गुलमोहर के पेड़ तियार होगे रहिस। क्यारी बनवा के धनिया मेथी अउ फूल लगवावय अउ तीसरी कक्षा ले पाँचवी कक्षा तक ल पानी डारे बर पारी बाँध दे रहिन। देवारी अउ गरमी छुट्टी म घलव पारी बनाय रहिन।


पोखन लाल जायसवाल

पलारी (पठारीडीह)

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