Saturday 10 July 2021

गर्मी के छुट्टी अउ ममा के गाँव-- संस्मरण

 गर्मी के छुट्टी अउ ममा के गाँव-- संस्मरण

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हमन छोटे छोटे रहेन त ममा घर छुट्टी मनाये बर.जावन। हमर ममादाई तो हमर माँ छोटे रहिस हे तभे गुजर गे रहिस हे। बबा ह मोर पैदा होये के पहिली गुजर गे। हमर पाँच ममा अउ मामी रहिन हे। भिलाई तीन ले चार किलोमीटर भीतरी दक्षिण डाहर माहका ना् के गाँव हावय। ये ह पंहडोर के तीर म हावय। इही मोर ममा गाँव आये। तीर में ही भिलाई स्टील प्लांट हावय। 


ये स्टील प्लांट ह 1957 म बने बर शुरु होये रहिस हे। 1965 तक थोऋ बहुत बनगे रहिस हे। एक फर्नेश शुरु होगे रहिस हे। तब  भिलाई जंक्शन रहिस हे। लोहा के पत्थरा मन ल रेल ले लाये जाये।

 गाँव जाये बर एक बोगदा पार करके जाये ले परय। इंहा बारहो महिना पानी राहय अउ सुनसान राहय त हमन ओती ले नइ जावन। सीधा भिलाई तीन के थाना मेर उतर के रेल लाइन ल पार करन। बइला गाड़ी रेल पठरी के ओ पार म ढिलाये राहय। बस ले उतर के सीधा रेल पटरी डाहर आवन। बहुत आकन रेल मन खड़े राहय। हमन रेल के नीचे से झुक के निकलन। पहिली तो पेटी धर के सगा जावन म कमिया ह पेटी ल पार करावय। बढ़िया  छाकड़ा बइलागाड़ी  म बइठ के हमन अपन ममा गाँव आ जावन। बीच म एक तरिया परय उंहा उतर के हाथ गोड़ धो लेवन।

पाँच ममा के घर पाँच हवेली सरिख लागय। तीन ममा एक संग राहत रहिन हे।एक ममा हेडमास्टर रहिस हे झुमुकलाल वर्मा, एक ममा जेठूराम दुर्ग म रेवेन्यू इंस्पेक्टर रहिस हे। एक ममा दाऊ मिहीलाल अंग्रेज के जमाना के टेलर रहिस हे बाद म ओला खेती देखे बर गाँव म रहे ले परगे।

बड़े ममा दाऊ के दाऊ ठाठ रहिस हे फेर मोला ओखर सुरता नइये। ओखर बाद के ममा ह बहुत बढ़िया बढ़ई रहिस हे। लकड़ी के पट्टा मन म रामायण के दोहा लिख के सब ल भेंट करय।


ममा घर पहुंच के हमर मन के मस्ती शुरु हो जाये। ममा के बेटी ,बहिनी के बेटी मोर हम उम्र रहिन हे। हमन रात के ममा ले कहिनी सुनन। सबके बिस्तर ह अँगना म लगे राहय। बहुत झन रहेन त अपन अपन बर पानी ठंडा करन। एक लोटा म पानी भरके  ओखर मुँह म कपड़ा बांध के तुरंत उल्टा कर देवन अउ ओला छानही के बांस म बांध देवन। आधा घंटा म पानी बर्फ असन ठंडा हो जाये। खाना खाये के बेरा म उही पानी ल ले के  बइठन। ईमली के लाटा बनावन । येला एक बांस के कमचिल म लॉलीपॉप सरिख लगा के रखन। चूसत राहन। बोइर ल बाहना म कूट के  सुखे गुदा के मुठिया बनावन। येमा नमक अउ लाल मिरचा डार के अउ बने कूट के मुठिया बनावन। सब बहिनी मुठिया ल बराबर बराबर गिन के अलग अलग रखन।


गुठलु ल फोरे के काम मोर राहय। बियारा म एक बोईर के रुख रहिस हे उंहा ले गुठलु बीन के लानव। रोज कुछ न कुछ गुठलु मिल ही जाये। जब देख तब गुठलु ल फोर के चिरौंजी निकाल के रखत जांव। रोज शाम के नमक पानी म चिरौजी डार के शरबत बना के पीयन। चिरौंजी ल चबा के नमकीन पानी ल पीये के मजा ल बता नइ सकन। दिनभर के मेहनत शाम के रंग लावय। शरबत पी के पूरा थकान खतम हो जाये। ममा मन ल भी शरबत देवंव त मोर नवा खोज ले खुश हो गे पी लेवंय।


तेज गर्मी म हाथ पनखा ले काम चलय। ये पंखा बनाये के काम भी हमन मंझनिया करन। बढ़ई ममा ह बांस के कमचिल तैयार कर देवय। हमन भिलाई ले धागा मंगा लेवन। हर गर्मी म एक एक पंखा बना लेवन। मंझनिया ममा मामी मन सुत जायें त हमन पठऊंहा ले उतर के तरिया डाहर चल देवन। बरगद के जटा म झूला झूलन। मंदिर म बइठ के गोटा लेखन। तरिया के पानी म उतर के बहुत खेलन। माड़ी तक के पानी में बहुत मस्ती करके घर वापस आवन। जब तरिया भरे बर नहर ढिलाये राहय त नहर के पानी म खेले बर चल देवन। मैं तो पैर ले पानी ल खेलंव ये मन ल तऊरे बर आवय त बहुत तऊरंय। गीला कपड़ा ह घर आवत ले सूखा जाये। बारह बजे निकलन अउ डेढ़ बजे तक घर आ जन। फेर अपन खेल म लगे राहन या फेर मामी मन संग सुत जान। कभू घोड़सार म खेलन। उंहा चुल्हा जला के कुछु खाये बर बना लेवन।  तरह तरह के शरबत अउ मही ल उंहे बइठ के पीयन।


सांझ कन चीला खाये के मन लागय त मामी तुरंत चांऊर ल जांता म पीसे बर बाइठ जाये। एती चांऊर ह पीसावत जावय उ ओती चीला बनत जाये। बाटीहरोटी बनाये बर आटा गूंद के ओमा घी भरके गोरसी म सेकन। येला हमन तीनो बहिनी मिलके बनावन अउ सब झन खायें। गरम गरम मसल देवंय त धी सब डाहर लग जाये। 


1965 ले ही राशन कंट्रोल म मिलना शुरु होगे रहिस हे।कपड़ा भी कंट्रोल म मिलय। अंडी के  साड़ी ,धोती अउ मीटर हिसाब से कपड़ा मिलय।शक्कर भी मिलत रहिस हे। सब घर चाय कम बनय जिंहा बनय उंहा गुड़ के बनय। हमन ममा ह दीवार आलमारी  म शक्कर ल ताला लगा के रखय।मामी चाय बनाये बर मोला शक्कर मांगे बर भेजय। ममा मोर बर आये कहिके तीन चार चम्मच शक्कर दे देवय। ओमा घर के गाय के दूध के चार पांच कप चाय बनावय अउ मामी ह अपन भी पीयय। कांसा के माली म चाय पीयन। बहुत स्वादिष्ट लागय। हा हा हा।चुल्हा के तीन तरफ बइठे राहन। चाय घोड़सार में ही बनय।


घर के अँगना म कलमी आम के पेड़ रहिस हे। ये आज तक हावय। 1964-65 से ही फलना शुरु होये रहिस हे। छोटे से आम भी मीठा रायह त हमन येखर छोटे छोटे आम ल तोड़ के आ लेवन।मई के आखरी तक बड़े हो जाये त ममा हमन बोल दिस के "आमा के बटवारा कर देथंव जेन छोटे छोटे आम ल खाही ओला कुछु नइ मिलय।"सब ल पाँच पाँच आम  तो मिल ही जाये। जेन ल पके खाना हे ओमन पेड़ म पाकन देवव।  बाद म गाँव जाना बंद होगे त ममा आम पहुंचाये बर रायपुर आवय। मोर बिहाव के बाद भी आम मोला मिलत रहिस हे।


छत्तीसगढ़ म चावल होथे । धान ल कुटाये के बाद कनकी निकलथे। येखर उपयोग भी खाये बर करे जाथे। टूटे चावल अउ कनकी के पेज बना के पीयन। येला चक्की म पीसा के आटा बना लेवंय। ये चीला अउ अंगाकर रोटी बनाये के काम आवय। रोटी बेले बर परथन के भी काम आवय। बिहनिया नहा के बासी या पेज या फेर अंगाकर रोटी खवन। बारह बजे भात खावन। दोपहर के उठ के  तीन बजे बोरे या फेर अंगाकर ल घी या अरसी तेल म खावन।लहसुन मिरचा के चटनी तो रोज राहय। बोरे बासी म मसरी बटकर बने लागय। मखना, भाटा के खोइला बनावत रहिन हे। पटवा भाजी के चना भाजी के खोईला बनय।बहुत बढ़िया लागय।


एक महिना कइसे बीत जाये पता नइ चलय। लगते जून म या जल्दी ही ममा मोला पह़ुचाये के तैयारी करय। नवा फ्राक सिलवाये। सब ममा मन पइसा देवंय। हमन ल छोड़े बर छोटे नहर नाली तक आवंय। उही मेर.बियारा रहिस हे अउ एक बड़े से पीपर के पेड़ रहिस हे। ओखर छाया म सब झन खड़े राहंय।गाड़ी फंदावय अउ सब झन मोला कुछ न कुछ भेंट देवय। गाँव के बहुत झन सकलाये राहंय। पइसा बिंदी, नेल पॉलिश, बिस्कुट, बाल म लगाये के पिन, कपड़ा, साबुन, पाऊडर देवंय। सब ल झोला म रख के गाड़ी म बइठ के  भिलाई तीन आये बर निकल जावन। तरिया मेर जरुर उतरन। फेर बइठ के रेल लाइन तीर उतरन। तरिया, बर, पीपर , आमा बेल शरबत, बाटी रोटी मन ल सुरता करत करत रेल के नीचे से निकल के ओ पार चल देवन।गाड़ी ढिलाये राहय। कमिया ह हमन ल बस म बइठार के वापस आवय।


आलत आवत ओ लाल लाल गूह के सुरता आवत रहिस हे। सांझ के घूये बर निकलन या दिशा पानी बर जावन त ये लाल लाल गिरत दिखय। असल म ये ह शुद्ध लोहा निकाले के बाद के खराब पदार्थ आये।  जेखर गर्मी ह गाँव तक आवय। ममा रोज रात के कहिनी सुनावय। एक कहिनी दू तीन दिन तक चलय। 


कुछ बछर के बाद एक सप्ताह बर जावत रहेन। ओखर बाद हाई स्कूल म आ गेन त गाँव जाना बंद होगे। बर बिहाव में ही जाना होवय। गर्मी के छुट्टी के मजा तो बचपन में ही रहिस हे।

सुधा वर्मा, रायपुर ,छत्तीसगढ़

7/7/2021

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