Sunday 4 July 2021

मिटत न हिय को सूल"* - *लक्ष्मण मस्तुरिया*

 *"मिटत न हिय को सूल"* - *लक्ष्मण मस्तुरिया*


संसार भर मे बुनियादी सुरुआती पढ़ाई पहली पांत (कक्षा) ले सुरु होथे। पहली कक्षा के पढ़ाई अपन माइभासा ले पढ़ाये के हमर देस म नियम हे। अपन माइभासा म प्राथमिक शिक्षा पाए के हर लइका-बाला मन के मूल अधिकार हे। जेमन ल अपन माइभासा म पढ़े-लिखे के अवसर नइ मिलै, वो मन के अकल-बुध प्रतिभा ज्ञान कला कमजोर होथे। अपन जनम भूमि म, अपन माइभासा म शिक्षा पाए के हक ले वंचित करना, भारी अपराध माने जाथे।


छत्तीसगढ़ नवा राज के पहिचान छत्तीसगढ़ी भासा ले हे। भासा के बिना मनखे के पहिचान नइ बनै। भासा संग संस्कृति जुड़े रहिथे। संस्कार, बेवहार, करम, कमाई नीत-नियाय, दया-मया संग ज्ञान-गौरव अपन भासा म पढ़े-लिखे बिना हिरदे म नइ संचरे। आन के भासा म जानकारी के डबरा ल भरे जा सकथे फेर आत्मज्ञान के ओगरा के कुँआ अपन माइभासा ले भरे जाथे। सकेले हर सुखा जाथे, स्त्रोत (ओगरे) हर मनखे मन ल सरस बनाथे। छत्तीसगढ़ राज म छत्तीसगढ़ी मनखे संग भारी दगाबाजी होवत हे। मूल निवासी ऊपर बाहरी चढ़े जात हे। किसान मजदूर भटकत हें, उजोगी बयपारी बढ़त जात हें। वोसने छत्तीसगढ़ी भासा ल दबाए जात हे। छत्तीसगढ़ी ल राजभासा बनाके घलो दू नम्बरी दर्जा म खड़े करत हें। छत्तीसगढ़ राज के पहिली राजभासा हिन्दी अउ दूसर छत्तीसगढ़ी कहत हें। छत्तीसगढ़ी के विकास बर अकादमी नइ हे। पढ़ाई-लिखाई बर पहली कक्षा ले गोल-माल चलत हे। 


जब छत्तीसगढ़ी ल पहली कक्षा ले बुनियादी ढंग ले नइ पढ़ाये जाही, तब ऊपर कक्षा ले एक-दू पाठ जोड़ के पढ़ाये के ढोंग करे म फायदा का मिलही? देस के कानून ल छत्तीसगढ़ के सरकार नइ मानत हे। वो छत्तीसगढ़ ले छत्तीसगढ़ी ल मेटाय बर छल-परपंच करत हे। छत्तीसगढ़ी भासा संग दोगलाई करके इहाँ के मनखे के संग साहित, संस्कृति, प्रकृति अउ पुरखा मन के मान घटाना चाहत हे। 


हमर छत्तीसगढ़ राज्य निर्माता कवि हृदय माननीय अटल बिहारी बाजपेयी के उदारता अउ दूरदृष्टि ले हमर छत्तीसगढ़ के सरकार मन कुछू सीखत काबर नइ हे? उन आदिवासी, हरिजन, पिछड़े मन के उद्धार करे बर छत्तीसगढ़ राज बना दिन अउ ए मन ल राज भोगे के अवसर मिलगे। आज छत्तीसगढ़ के ए सरकार छत्तीसगढ़ी के जीभ काटे के उपाय करत हे। छत्तीसगढ़ के लइका-बाला मन के मूल अधिकार के हतया करत हे। छत्तीसगढ़िया मन के मातृभासा ल बदल के हिन्दी ल छत्तीसगढ़ में के उद्गार माइभासा छत्तीसगढ़ी संग हमर छत्तीसगढ़ के सरकार छल-परपंच काबर करत हे? का वोमन ल अतको जानकारी नइ हे के -


निज भासा उन्नति अहै, सब उन्नति के मूल।

बिन निज भासा ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।


*लेखक - श्री लक्ष्मण मस्तुरिया*


*(वैभव प्रकाशन, रायपुर द्वारा सन् 2015 म प्रकाशित लक्ष्मण मस्तुरिया जी के पुस्तक "छत्तीसगढ़ी गुनान गोठ" ले साभार)*

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