Sunday 4 July 2021

राखही राम त लेगही कोन , लेगही राम त राखही कोन -हरिशंकर गजानंद देवांगन

 राखही राम त लेगही कोन , लेगही राम त राखही कोन -हरिशंकर गजानंद देवांगन


               एक गांव म दू झिन भाई परिवार समेत एके संग रहय । दुनों के बीच राम अऊ भरत जइसे परेम रहय । काम बूता जरूर अलग अलग करय फेर एक दूसर ला अगोरे बिगन , न बिहिनिया के बासी खाये , न मंझनिया के पेज , न सनझाती के बोरे , न रात के भात ...... । कहाँचो बाहिर जाना होतिस त एके संघरा ...... । राम रमायन नाटक लिल्ला बर बिहाव तको म एके संघरा दिख जाय । एक दिन खेत म काम करत उदुपले छोटे भाई के छाती म पीरा उचिस । अपन दुकान बंद करके बड़े भाई के आवत ले छोटे भाई नइ अगोरिस । दुनों के जनम जनम के संग साथ छुटगे । घर म रोवा राही के ठिक्काना निही ...... । गांव भर सोक मातगे । बड़े भाई न रो सकय , न बोल सकय । 

               दसकरम निपटगे फेर घर के माहोल ले सोक जाबे नइ करिस । कन्हो सपना म नइ सोंचे रिहीन के जवानी म छोटे भाई ला भगवान लेग जही ...... । छोटे भाई के लोग लइका ला देखय तहन , बड़े भाई हा डेंहेक डेहेंक के रोवय । न पेट भर खाये न नींद भर सुतय । धंधा घला चौपट होय लगिस । घर म अव्यवस्था बगरे लगिस । मई लोगिन मनला फिकर हमागे । अइसे तइसे करत तीन मस्सी के हुम डारे के समे आगे । तीन मस्सी हुम म प्रसाद खाये बर , बड़की हा एक झिन महराज ला निमंत्रण दिस । घर के गमगीन माहोल देख के महराज रात रुकगे । घर के सबो झिन अंगना म ला बइठार के महराज हा शिक्षा दे बर लगिस । बड़े भाई के आकुल बियाकुल हिरदे हा , जवान भाई के मृत्यु के परम सत्य ला स्वीकार नइ कर पावत रिहीस । ओकर कहना रिहीस के , मेहा भाई ला बचाये के कोई उदिम नइ कर सकेंव । मोर भाई जाये के लइक नइ रिहीस । न देंहे से कमजोर रिहीस ..... न इमारी बिमारी रिहीस ....... न बुढ़हापा आये रिहीस । 

               महराज हा पूछिस – सही टेम म पहुंच जतेस त अपन भाई ला बचा डरतेस गा ... ? बड़े भाई किथे – जरूर ..... । डाक्टर तिर लेगतेंव ...... महंगा ले महंगा उपचार करवातेंव ...... कइसे नइ बांचतिस मोर भाई हा ? महराज किथे – जेकर जतका दिन के अन्न जल लिखाहे ... तेकर ले उपरहा एक मिनट जिये ला नइ मिलय ओला । जतका सांस ततका आस । भगवान के नियम ला कन्हो काट नइ सकय । मृत्यु अकाट्य सत्य हे । 

               ओकर संखा दूर करे बर महराज हा एक ठिन कहिनी सुनाये लगिस - एक बेर के बात आय । भगवान बिष्णु हा गरूड म बइठके अगास मार्ग़ ले भगवान शिव से मिलके स्वर्ग वापिस जावत रिहीस । तभे गरूड के नजर हा पहाड़ म छटपटावत एक ठिन नानुक चिरई उपर पर गिस । गरूड पूछथे – भगवान ! ये चिरई काबर छटपटावत हे । पहाड़ उपर न अन्न के कमी हे न पानी के । बिमार हाबे का ..... ? भगवान किथे – हव । येहा बहुत बिमार हे । ओकर जोड़ी छुटे के समे बहुत नजदीक हे गरूड ..... । तेकर सेती तहल बितल करत हे । गरूड किथे – जोड़ी छूटे ले बचाये नइ जा सकय का भगवान ? भगवान किथे – बिधि के बिधान के आगू सब नतमस्तक हे गरूड । गरूड मन म सोंचिस के मय बचाहूं । काल के गति से जादा गरूड के गति रिहीस । ओहा कुछ नइ किहीस । अपन गति ला अऊ बढ़हा दिस । भगवान ला छोड़िस अऊ थोकिन आवत हंव कहिके फुर्र ले उड़ियागे । 

               बिमार चिरई के आखिरी सांस चलत रहय । गरूड़ हा बिमार चिरई अऊ ओकर जोड़ी ला धरके बहुत दूर एक ठिन पहाड़ के खोलखा म राख दिस । जिंहा तक काकरो पहुंच सकना संभव नइ रिहीस । वापिस भगवान तिर आगे । भगवान पूछिस तब गरूड़ अपन आये जाये के बारे म कुछ नइ बतइस । भगवान सब देखत रहय । ओहा किथे – तैंहा जोड़ी ला बचा नइ सके गरूड । गरूड ला बिस्वास नइ होइस । ओहा सहीच म जाके देखिस । बिमार चिरई ला जियत देख वापिस होगे अऊ भगवान ला किथे – मोर गति के आगू काल काहे भगवान । फेर अइसे जगा म मेंहा चिरई ला लुका के आये रेहेंव के उहां तक काल के पहुंचना समभव निये । बिमार चिरई हा न केवल जियत हे बलकी एकदमेच स्वस्थ होगे हे । मोला देख के ओकर आंसू हा कृतज्ञता जाहिर करत बाहिर निकल अइस । भगवान किथे – बने देखे हस गरूड ? गरूड किथे – हव बने देखे हंव भगवान । भगवान किथे – एक बेर अऊ देख के आ । चिरई हा खोलखा म काकर दाह संस्कार के तियारी करत हे ?

                गरूड फेर गिस । उहां बिमार चिरई हा खोरावत खोरावत लकड़ी छेना सकेल के अपन जोड़ी के दाह संस्कार के तियारी करत रहय । गरूड ओला पूछिस – काकर अंतिम संस्कार के तियारी करत हस जी , कोन मरगे तेमा ? बिमार चिरई किथे – मोर जोड़ी छुटगे गरूड जी ......  गरूड ला पोटार के दंड पुकार के रोय लगिस । गरूड वापिस आगे अऊ किथे – बिमार चिरई ला बंचा डरेंव भगवान , तैं कइसे किथस । भगवान किथे – बिमार चिरई के काल थोरेन आय रिहीस गरूड ? जेला बचाना हे तेला कहां बचा सके ? मेहा तोला उंकर जोड़ी छुटही केहे रेहेंव । बिमार चिरई मरही थोरेन केहे रेहेंव । स्वस्थ चिरई के मौत पहाड़ी के खोलखा म लिखाये रिहीस । ओहा अपन से चलके अतका धूर अऊ अतेक जलदी जा नइ सकत रिहीस ......। तैं काल के माध्यम बनगे । होनी ला कन्हो टाल नइ सकय । गरूड पूछथे – खोलखा म काल नइ पहुंच सकय भगवान । फेर अइसे कइसे होगे ? भगवान किथे – खोलखा म काल पहिली ले अगोरत रिहीस हे गरूड । सब बिधि के बिधान आय जी । जेला जाना हे ते कइसनो जतन कर ....... जाबेच करही । तभे तो स्वस्थ चिरई मरगे अऊ बिमार हा जियत हे ...।   

               भगवान के बात गरूड़ समझगे । चाहे कतको प्रयास कर ....... बिधि के बिधान  टारे नइ टरय । गरूड जान डरिस के अबक तबक मरइया जीव हा , राम के बिधान के अनुसार बांच जथे अऊ एकदमेच स्वस्थ जीव हा राम के बिधान म , राम म सामिल हो जथे । महराज के बात बड़े भाई समझगे । घर के बेवस्था हा कुछ दिन म पटरी म लहुंटगे । अभू घला जे नइ जाने ...... नइ समझे तेहा ...... मरइया के सोक म बुड़े रहिथे अऊ जे बिधि के बिधान ला स्वीकार कर लेथे तेहा , सोकमुक्त रहिथे अऊ इही म संतोस कर लेथे - राखही राम त लेगही कोन अऊ लेगही राम त राखही कोन ..... ।  

  

                                          हरिशंकर गजानंद देवांगन , छुरा .

1 comment:

  1. सुग्घर रचना बर बधाई देवांगन जी

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