Sunday 4 July 2021

मोर प्राथमिक शाला के सुरता*_एकलव्य कुमार साहू

 *मोर प्राथमिक शाला के सुरता*_एकलव्य कुमार साहू



मोर प्राथमिक शाला के पढ़ई मोर जनमभूमि *आरी* मा होइस हे जेन संस्कारधानी *राजनांदगांव* ले 25 किलोमीटर दूर *डोंगरगांव* के तीर मा बसे हे, जेन शिवनाथ नदी के आशीर्वाद ला पाके खेती किसानी  अउ साग भाजी के नाम ले अबड़   जाने जाथे।

     मोर दाई ददा मन बताथे के ननपन ले मँय हर कोनो होय बात ला एक घाँव मा अपन दिमाग मा बइठा लेवत रेहेव, जेन सोंच लेवँव तेला करे बिना मोर मन नहीं माडे़। जब मय हा अपन बड़े बहिनी मन ला बड़े स्कूल जावत देखव ता मोर मन मा बड़े स्कूल(प्राथमिक शाला) जाय के लालच आवय फेर उमर हा कमती होय के सेती स्कूल मा गुरुजी मन हा मोला भर्ती नइ लेवय। तभो ले मँय हर रोवत गावत रोज स्कूल पहुंँच जाँव जेला देख के गुरुजी मन हा मोर बड़े बहिनी मन बर भड़क जाय। जब मय हा आंँगन बड़ी ला छोड़ छोड़ के बड़े स्कूल मा पहुंच जाँव ता एक दिन प्राथमिक शाला के बड़े गुरुजी *श्री जी एल रामटेके* जी हा मोर बाबू जी ला बुला के कथे कि तोर टुरा हा आंँगनबाड़ी ला छोड़ के रोज हमर स्कूल मा आ जाथे जी अउ सब लइका मन सन पढ़े बर भीड़ जाथे अब हम का करन? ता मोर बाबू जी हा बड़े सर ले अबड़ अरजी करिस कि मोर लइका ला आपके स्कूल मा आवन देव गुरुजी कहिके, मोर बाबू जी के अरजी ला सुन के बड़े गुरुजी मान गे अउ मोला 5 साल ले 6 महीना के कम उमर मा सन् 2000 मा पहली कक्षा मा भर्ती ले लिस।

   मँय रोज नहा धो के आघू ले स्कूल पहुंच जाँव अउ पढ़े मा भीड़ जाय राँहव तेकर सेती बड़े गुरुजी हर मोला बने काहय अउ अपन लुना गाड़ी मा बइठार के कहचों कहचों अपन सन घुमाए घलो, पहिली कक्षा ले लेके पांँचवीं कक्षा तक मोला बड़े गुरुजी हा कक्षा के मुखिया बनावय। सन् 2000 ले 2005 तक मँय हा बड़े गुरुजी सन अबड़ घुमेंव अउ उही बड़े गुरुजी हा अपन सग नाती बरोबर मया देके देवारी और कुछु कुछु तिहार बर नवांँ कपड़ा घलो लेवय संँगे संँग मोला अपन डाहर ले कापी कलम घलो देवय अउ हमेशा अपन आघू मा बइठार के पढा़वय। एकबार कुछु बीमारी के सेती जब मँय हा अस्पताल मा रेहेव अउ मोला खूँन के कमी होगे रीहिस ता बड़े गुरुजी हा अपन खून ला देके मोर परान घलो बचाइस हे। बड़े गुरुजी के मया के छांव मा मँय प्राथमिक शाला के पढ़ई पूरा करेँव, ये 5 साल मोर जिनगी के सब ले मयारू दिन हावय जेन ला सुरता करके आज घलो मोर मन गदगद हो जाथे। मोर आदर्श,मोला जिनगी के रद्दा मा रेंगे बर सिखईया बड़े गुरुजी भले आज हम ला छोड़ के देवता होगे हे फेर उकर बताए बात मन ला मँय हा अपन हिरदे मा संजों के रखे हव। 



 *एकलव्य कुमार साहू"विद्यार्थी* "

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