Sunday 4 July 2021

मोर प्राथमिक शाला के सुरता*-मोहन निषाद

 *मोर प्राथमिक शाला के सुरता*-मोहन निषाद


मोर प्राथमिक शाला मोर जनम भूमि गाँव लमती मा ही सुरू होइस , जउन समे मोर ददा हा मोला स्कुल मा भरती करिस । ओ समे हमर स्कुल मा एके झन मैड़म जी मन रिहिन , जेखर नाम जयंती बघेल रिहिस बघेल मैड़म जी भाटापारा ले आवत रिहिस ।  जयंती बघेल मैड़म जी मन मोर नाव लिख के मोला स्कुल मा भरती लीन , मँय रोज स्कुल जावँव अउ अपन पीछू के छोटे भाई ला घलाव स्कुल मा खेलाय बर लेके जावँव । तव मैड़म जी मन मोला टोकय येला झीन लाय कर स्कुल मा रोथे कहिके , तव मँय मैड़म जी मन ला बतावँव घर मा कोन्हों नइये मैड़म जी लइका रखवार तेखर सेती धर के लाथँव कहिके । महूँ पढ़इ लिखइ मा ननपन ले थोरिक कमजोर अउ थोरिक हुसियार रहेंव , पहिली दूसरी कक्षा मा मैड़म जी हमन ला अपन नाव लिखे बर सिखावत रिहिस , 


तव पहिली बेर मँय अपन नाम ला सिलहेट मा महान लिख के लेगे राहँव । मैड़म जी सिलहेट मा लिखाय नाव ला देख के पहिली तो पोठ हाँसीस फेर मोर कान ला पकड़ के किहिस बेटा महान , महान नइ लिखना हे : - म लिखे हस ओमा ओ के मात्रा लगाके मो करबे तेखर बाद ह अउ न लिखबे तब तोर नाव मोहन होही । मैड़म कान पकड़ के बताइस मोला समझ आगीस । जब तीसरी कक्षा मा गेय हवन तब हमर स्कुल मा दू झीन अउ नवा सर अउ मैड़म आइस , गुरूजी के नाव ललित यदु सर रिहिस जउन मन पास के गाँव कोदवा ले सायकल मा आवत रिहिन अउ मैड़म जी के नाव मनीषा वर्मा रिहिस जउन मन पास के गाँव सिंगारपुर मा किराया मा राहत रिहिन अउ उनला उनकर इहाँ सर जी मन रोज स्कुल छोड़े बर आवत रिहिन । ललित यदु गुरूजी मन हमर स्कुल मा परधान पाठक बनके आय रिहिन तीसरी कक्षा के बात आय , हमर पुराना मैड़म जयंती बघेल जी मन ले उनकर स्कुल के कोनो बात ला लेके अइसने झगड़ा होगीस 


अउ जयंती मैड़म जी मन अपन ट्रान्सफर दूसर स्कुल मा करा लीन हे । ललित यदु गुरूजी मन के चेहरा बिल्कुल फिल्मी गुंडा मुकेश ऋषि मन ले मिलत राहय डिकटो ओइसनेच , ओ समे गुंडा मुकेश ऋषि के एक ठन फिलिम मा बुल्ला नाव के निभाय किरदार ले , पूरा स्कुल के संगे संग गाँव भर मा ललित यदु गुरूजी मन के नाव बुल्ला गुरूजी परगे रिहिस । हमन सब उनला बुल्ला गुरुजी कहिके आज ले घलाव सुरता करथँन । यदु गुरूजी मन तीसरी कक्षा ले हमन ला गणित पढ़ावत रिहिन हे , अउ मँय गणित विषय मा बहुते कमजोर रहे हँव । मोला गणित मा गुरूजी हा पोठ मारय , तब मार के डर मा मँय हा तीसरी कक्षा मा भागे भागे फिरँव , घर ले मस्त खा पीके स्कुल जाय बर बसता धर के निकल जाँव अउ बसता ला एक ठन घर के कोलकी मा लुका दँव तेखर बाद घुमत राहँव , अउ खाना छुट्टी होतिस तव घर मा फेर खाना खाय बर आ जाँव । अइसने कुछ दिन चलीस , ओखर बाद एक दिन गुरूजी हा मोर बड़े बाबू


 ला किहिस फलाना कहाँ हे जी कइसे स्कुल नइ आवत हे । तव बड़े बाबू हा किहिस ओ तो रोज स्कुल जाथे गुरूजी बसता धरके फेर कइसे स्कुल नइ आवय कहिथँव आप कहिके । गुरूजी बताइस ओ तो स्कुल आबे नइ करत हे , तव दुसरा दिन बड़े बाबू हा मोला पीटत स्कुल लेगे राहय । अब स्कुल मा मार के डर मा गुरूजी के चेहरा देख के डर लागय , मँय तो सोच ले राहँव अब कहूँ मारही ना तव सीधा स्कुल ला छोड़ के भागहूँ अउ दुसरईया आबेच नइ करँव कहिके । बड़े बाबू घर आगीस , ओ दिन गुरूजी एको कन नइ मारिस अउ समझावत किहिस बेटा रोज स्कुल आय कर कहिके । अब मँय रोज स्कुल जाय बर धर लेव , घर मा मोर बड़का बड़े बाबू जी हा हम सबो लइका मन ला घर मा पढ़ावत रिहिन । मोर बड़े बाबू जी हा मोला घर मा गणित के जोड़ना घटाना अउ गुना भाग संग गिनती बारह खाड़ी सब ला मार मार के पढ़ावत रिहिन । तब मार के डर मा मँय हा बने चेत लगाके अउ धियान देके पढ़इ करे बर धरे हँव । ओ समे स्कुल मा गुरूजी मैड़म मन हमन ला पहाड़ा के गिनती


 बारहखड़ी सब ला याद करके आय के संगे संग नकल कॉपी लिख के घलाव मंगावत रिहिन हे । मँय नकल कॉपी के लिखे के नाव मा घलाव पोठ मार खाय हँव , अउ मुरगा बने के संग बड़ घुटना घलाव टेके हँव।  स्कुल मा इमला बोल के  लिखवावँय उहूँच मा मार खाय हँव । ओ समे गुरूजी हा हमन ला चौथी पाँचवी कक्षा वाले मन ला संघरा बइठार के गणित अउ पुस्तक ला पढ़ावत रिहिन । ओ समे भलुक हमला पोठ मार परत रिहिस अउ हम मार घलाव खाय रेहेन , फेर हमर बड़े बाबू काहय मार खाय ले ज्ञान आथे कहिके , तव मार खाय के बाद इही सोच के हमर मन ला संतुष्टी मिल जावत रिहिस । तीसरी ले चौथी अउ चौथी ले पाँचवी कक्षा तक पोठ धियान देके पढ़इ लिखइ करे के बाद ,  घलाव ओ समे मन मा डर लगे राहय पाँचवी हा बोर्ड परीक्षा आय भगवान पास होहूँ की नही कहिके । ओ समे बोर्ड परीक्षा हा अब्बड़ कठिन परीक्षा लागय हमन नाव सुनके ही डररा जावत रहेन हमन , पाँचवी कक्षा मा हमर परीक्षा केंद्र सिंगारपुर मा रिहिस । परीक्षा सूबे 10 साढ़े दस बजे ले सुरू होना राहय , हमन सबो संगवारी अपन गाँव ले 4 - 5


 किमी दुरिहा सिंगारपुर नहा धोके भात बासी खाके रेंगत रेंगत परीक्षा देवाय बर पुट्ठा धरके जावत रहेन । पेपर देवायेन रिजल्ट आइस , टीसी अउ रिजल्ट ला बाटे के दिन हम सब के ददा मन ला घलाव स्कुल मा बलाइस अउ मास्टर जी आखिर मा रिजल्ट देखावत देखावत हम सबो झीन ला फेर कुहँराइस । फलाना पास होगेस रे अतका नम्बर आय हे बेटा फलाना विषय मा कहि कहि के ददा मन के आघू मा पिटिस । जब पास होगे मोहन हा कहिके गुरूजी हा मोर ददा ला बताइस अउ किहिस जवाहिर मिठई नइ खवावस जी कहिके तब मोर ददा हा खुशी खुशी स्कुल मा पारले जी बिस्कुट बाटे रिहिस । हमन सबो संगवारी गुरूजी ले रिजल्ट अउ टीसी लेके गुरूजी ला नरियर भेंट करके गुरूजी के आशीर्वाद लेके आघू कक्षा मा बाढ़ेन । आज भले समे हा कतको आघू आगे हावय फेर हमर ओ प्राथमिक स्कुल के गुरूजी के मार ले भरे जम्मो सोनहा सुरता मन हा हमर अन्तस् भीतरी आज ले समाय हावय । जउन ला हम अपन जिनगी भर नइ भुला सकन , हमर गुरूजी ला हमन आज ले घलव बुल्ला गुरूजी कहिके सुरता करत हासथँन ।    


              *मोहन कुमार निषाद* 

          *गाँव - लमती , भाटापारा ,* 

          *छंद साधक सत्र कक्षा - 4*

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