Saturday 10 July 2021

ममा गॉंव अउ मोर गरमी के छुट्टी*-मनोज वर्मा

 *ममा गॉंव अउ मोर गरमी के छुट्टी*-मनोज वर्मा


ममा गॉंव सुनके मन मा एक अलग खशी के भाव आथे। मोर गॉंव बरदा अउ ममा गॉंव कोहरौद मोर गॉंव ले सिरिफ 5 किलोमीटर मा त हमला ममा गॉंव जाय बर गरमी ला अगोरे बर नइ लागय उहें ले स्कूल आ जावन, ममा गॉंव आय-जाय के रद्दा बड़ सुग्घर पइडगरी खेते खेत बोइर बुंदेला खात जान। ममा घर मतलब सरग बरोबर उहॉं देवता सही मान सनमान मोर तो ममा घर मा बहुते अकन नॉंव रहय ममा घर मेर के साहू ममा मामी मन जोक्कड़ भॉंचा कहय अउ अपन घर बलावय त मोर शरत रहय चिला बनाबे त आहूॅं मामी कहिके, जोक्कड़ नॉंव धराय के कारन ये रहिस हे कि मोर नाक मा बड़े जान के होवत ले नथली अउ गोड़ मा घुॅंघरू बॅंधाय रहिस हे, ममा घर मा सबो ममा मन मोर जहुरिया, ममा मन पाहड़ा वाला भॉंचा कहय त कोनो बरदीहा भॉंचा कहय। ममा घर जावन त सबले मजा के सुरता उहॉं के बड़े-बड़े पथरा खदान जिहॉं नहाय जावन त डुबकत-डुबकत, ऊपर ले कूदत, छू-छवउला खेलत घण्टों बित जाय अउ घर के मन कभू-कभू खिसिया के खोजे चल दय। मोला अब बड़े होके सबले जादा खदान के सुरता आथे। कभू कभू ममा मन करा झगरा मात जाय, त दूं झन ममा मन मिलके मोर करा नइ सकय पित दॅंवा त ओमन कहय भॉंचा हरच कहिके नइ मारन, में नइ सकॅंव त कहां अब तुॅंहर घर नइ आवॅंव अइसे कुकरी कस झगरा चलत रहय, दिन भर कहूॅं मेर बितय फेर रातकन मेहर तीसरा वाला ममाददा जगा हि सुतहॅंव ये परन रहय। आज अब ममा घर जवई बहुत कम होथे अउ जब जांथा तब सब घर जरूर बइठॅंव जतके मान मोर ममा घर मिलथे ओतके मान साहू, यादव ममा घर घलो मिलथे, मोर ममाददा जगा के संबंध ला में लिखे नइ सकॅंव ओला देखते हि मन परमानंद हो जाथे।


मनोज कुमार वर्मा

बरदा लवन बलौदा बाजार

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