Sunday 4 July 2021

ऐतिहासिक महत्व के बैथर्स्ट प्राथमिक शाला*-अरुणकुमार निगम

 *ऐतिहासिक महत्व के बैथर्स्ट प्राथमिक शाला*-अरुणकुमार निगम


तारीख 22 नवम्बर 1933 के जिहाँ राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी पधारे रहिन तउन ऐतिहासिक प्राथमिक शाला मा मोर शिक्षा के शुरुआत होइस। मोर अध्ययन काल मा ये स्कूल के नाम "बैथर्स्ट प्राथमिक शाला, नं - 1" रहिस। 


ये शाला के स्थापना सन् 1903 मा होए रहिस। तब एखर नाम "पुरातन पाठशाला" रहिस। 1918 मा अंग्रेज कलेक्टर के नाम मा ये शाला के नाम "बैथर्स्ट चिल्ड्रन होम"रखे गिस। साठ के दशक के शुरुआत मा एखर नाम "बैथर्स्ट प्राथमिक शाला" रहिस। मोर अंक सूची मा इही नाम लिखाए हवय। स्कूल के नाम कठिन रहिस तेपाय के कई झन बैथर्ड, बैथड़ स्कूल तको कहँय। ये नगर पालिका दुर्ग द्वारा संचालित रहिस। जब ये शासकीय शाला बनिस तब एखर नाम "सरदार वल्लभ भाई पटेल प्राथमिक शाला" होगे। आजकाल ये शाला के नाम "सरदार वल्लभ भाई पटेल गवर्नमेंट इंग्लिश मीडियम प्रायमरी स्कूल" होगे।


 एखर सरकारी भवन शनीचरी बजार, दुर्ग मा स्थित हवय। जब मँय पढ़त रहेंव तब एखर छानी अंगरेजी खपरा के रहिस। अब ढलाई वाला पक्का छत बन गेहे। छत ढलाई के पहिली ये पाठशाला के कद ऊँचा रहिस।


वो जमाना मा भर्ती के प्रक्रिया बहुत सरल रहिस। जेवनी हाथ ला मूड़ ऊपर ले लाके डेरी कान छुआगे माने लइका भर्ती करे के लाइक होगे। लइका अगर छै साल के होगे अउ स्कूल मा आये के पहिली वर्णमाला अउ गिनती के जानकारी रखय तो ओला सीधा दूसरी कक्षा मा भर्ती मिल जावत रहिस। 


महूँ सीधा दूसरी कक्षा मा भर्ती पाए रहेंव। कक्षा दूसरी में मोर शिक्षक रहिन श्री राजेन्द्र श्रीवास्तव "नयन" जी। उन मन तइहा जमाना के साहित्यकार तको रहिन। मोर बाबूजी हेडमास्टर रहिन। 


स्कूल के कमरा मा सिकोसा वाले फरर्स लगे रहिन अउ हमन टाटपट्टी मा बइठत रहेन। कक्षा शिक्षक बर एक टेबिल अउ एक कुर्सी रखे रहय। हर कक्षा के कमरा मा एक श्याम पट लगे रहय। गुरुजी के टेबिल ऊपर एक डस्टर, सफेद चाक के कुछ टुकड़ा अउ लइका मन ला चमकाए बर एक सूँटी रहय। स्कूल के बरामदा मा लकड़ी के बत्ता अउ स्कूल भवन के आगू मा चारदीवारी रहय। 


कपड़ा के झोला, हमर बस्ता रहिस। बस्ता मा एक पट्टी (स्लेट), कलम, पट्टी पोंछे बर नानकुन फरिया अउ एक दू ठन किताब रहँय। स्कूल के सामने मा पाँच कंडील ले गंजपारा जाए के पक्का सड़क, सड़क ऊपर पिपरमेंट, बिस्कुट अउ आनीबानी खाए के जिनिस के पसरा लगे रहँय। सड़क के ओ पर पुलिस लाइन। स्कूल के उत्तर दिशा मा नरेरा कन्या प्राथमिक शाला रहिस। 


गुरुजी मन पढ़ाए के संगेसंग नैतिक शिक्षा, हस्त कला जइसन अनेक विधा के जानकारी तको देवत रहँय। एक जुलाई के नवा सत्र चालू होवय। एक अगस्त के तिलक पुण्यतिथि मनाए जात रहिस। नागपंचमी के दिन अपन अपन पट्टी मा नाग देवता के फोटू बनाके फूल, प्रसाद धरके स्कूल जावत रहेन। गणेश उत्सव के बेरा मा स्कूले मा मूर्ति रखत रहिन अउ जम्मो ग्यारा दिन लइका मन के सांस्कृतिक कार्यक्रम होवत रहिस।15 अगस्त, 26 जनवरी अउ 2 अक्टूबर के राष्ट्रीय परब घलो धूमधाम ले मनाए जाय।


 हेडमास्टर के कमरा के आगू एक कोंटा मा पीतल के बड़े घंटा लटके रहय। स्कूल खुलत समय अउ छुट्टी के समय स्कूल के फर्रास, लोहा के एक डंडी घरके बजावत रहिस। छुट्टी के घंटा जहाँ बजिस, लइका मन चिल्लावत अपन अपन बस्ता धरके दोरदिर दोरदिर घर जाए बर दउड़त निकलँय। कक्षा मा गुरुजी जब पहाड़ा रटवाँय तब पुराय कक्षा के लइका मन एक सुर मा जोर जोर से दोहरावँय। अइसे लागय जइसे कोनो कोरस गाना गावत हें।


 प्राथमिक स्कूल के कविता मन ला अइसे रट डारे रहेन कि आज तक नइ भुलाए हन। पहाड़ा दिमाग मा अइसे बइठिस हे कि जिनगी मा कभू कैलकुलेटर के जरूरत नइ पड़िस। पहिली ले पाँचवी कक्षा तक के कुछ कविता के सुरता देवावत हँव -


आजा आ राजा। 

मामा ला बाजा।

कर मामा ढम ढम।

नाच राजा छम छम।


किसी मित्र ने पत्र लिखा था।

एक चित्र भी साथ रखा था।


झिलमिल झिलमिल तारे चमके

चन्दा चमके चम चम।


बड़ी भली है अम्मा मेरी

ताजा दूध पिलाती है।

मीठे मीठे फल ला लाकर

मुझको रोज खिलाती है।


माँ खादी की चादर ले दे

मैं गाँधी बन जाऊँ।

सब मित्रों के बीच बैठकर

रघुपति राघव गाऊँ।


यह कदम्ब का पेड़ अगर माँ

होता यमुना तीरे।

मैं भी उस पर बैठ कन्हैया

बनता धीरे धीरे।


उतरेंगे आज अखाड़े में

चंदन चाचा के बाड़े में।


प्राथमिक शाला के जिनगी के सुरता अनेक हवँय। फेर अब इही मेर विराम देना उचित रही। प्राथमिक शाला के शिक्षा सबके जिनगी के नेंव होथे। जेकरो नेंव मजबूत रहिस वोकर जिनगी के इमारत बुलंद होगे। 


*अरुण कुमार निगम*

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