Saturday 24 July 2021

हिम्मत के पुन्नी-चोवाराम वर्मा बादल ------------------

 हिम्मत के पुन्नी-चोवाराम वर्मा बादल

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चंदा------सच मा जइसन नाम तइसन रूप के खजाना।कोनो राजकुमारी कस चमकत गोल चेहरा के चुकचुक ले गोरी-नारी।धनुष कस भौंह, हिरनी कस आँखी, सुवा चोंच कस नाक अउ सुराही कस घेंच। कनिहा ले ओरमे कारी रेशम डोरी कस चमकत घन बेनी। बिन सिंगार करे तको डिकटो कोनो अप्सरा कस। खलखला के हाँसय त अइसे लागय के फूल झरत हे। आदत-सुभाव ले एकदम निश्छल अउ निर्मल।पढ़ई लिखई म बड़ हुशियार ,गुनवंतीन बेटी।काम-बुता म बिजुरी कस चंचल। 

   ये चंदा म दाग अउ नइ दाग अतकेच हे के वो हा दू काठा के बनिहार सुखराम घर जनम लेये हे।  भगवानों के लीला बड़ विचित्र होथे, तभे तो वो चिखला म कमल फूलो देथे।पथरा म रतन भर देथे, कतको काँदी कचरा ल संजीवन बूटी बना देथे।

      सुखराम ह कइसनो करके अपन दुलौरिन बेटी ला 12वीं तक पढ़ईच तहाँ ले आगू पढ़ाये बर हिम्मत हारगे।चंदा ह सज्ञान तो होगेच रहिस।  मां-बाप ल वोकर हाड़ म हरदी रचाये के चिंता खाये ल धरलिस।

       सगा बिरादरी म बात फइलत देरी नइ लगिस के सुखराम ह अपन बेटी के बिहाव करइया हे। रोज सगा उतरे ल धरलिन। गरीब ले लेके अमीर, नौकरी वाले ले लेके धंधा पानी वाले तको मन चंदा ल एके नजर म पास कर देवयँ। सुखराम ल तको एक-दू  लइका पसंद आइस फेर पता करे म ऊँखर बिगड़े आदत अउ दारु पानी के चश्का ल जान के बात आगू नइ बाढ़िस।

        पिछू पंद्रा दिन म परोसी गाँव के पचास एकड़ के जोंतनदार गौंटिया ह अपन सरकारी ऑफिस म क्लर्क के नौकरी करत बेटा रत्नेश बर चंदा के हाथ माँगे बर तीन  पइत आगे हे। सुखराम ह गौंटिया ल हाथ जोड़के  कइ डरे हे के  दाऊजी मैं तो तोर कटकरा-बदरा  के पूर्ति नइ अँव। तोर पाँव ल पखारे के  तको मोर हैसियत नइये। जमीन अउ आसमान के फरक हे---।  तभो ले आज  गौंटिया ह,जात बिरादरी के मुखिया संग चँवथा पइत आये हे।

    गौंटिया ह सुखराम ल समझावत कहिस-- देख सगा   तैं ह अपन नोनी ल हमर घर हारे बर संकोच झन कर। हम ले बर तइयार हन त तैंहा काबर  आनाकानी करत हस। तोर बेटी ह हमर घर रानी बरोबर सुख पाही ।मोर बेटा तको  नौकरी मा हे । उहू चंदा ला पसंद कर डरे हे। वोकर कोती  ले हाँ हे। हम तो एक ठन लुगरा म बहू बिहाये बर तइयार हन।हम खुद अपन बराती के भोजन-पानी के इंतजाम कर देबो। हमर कोती कुछु कमी होही त बता भला?

       नहीं दाऊ जी अइसे कोनो बात नइये--सुखराम ह कहिस। गौंटिया के संग आये  बिरादरी के मुखिया ह सुखराम ल समझाय के आड़ म धमकावत कहिस-- तैं कइसे मुरुखपना करथस जी सुखराम। अतेक बड़ नामी गौंटिया ह तोला घेरी-बेरी  गोहरावत हे।अरे तोर बेटी के भाग सँवर जही। जादा सोच झन अउ हाँ काह।

     ठीक हे मुखिया जी मोला आज भर के अउ समे दे दव। नोनी अउ वोकर महतारी ल पूछके काली बर हाँ -नहीं ल बता देहूँ-- सुखराम ह कहिस।

      ले का होही ।काली बर जरूर बता देबे कहिके, गौंटिया ह  अपन घर लहुटगे।

   रतिहा कुन भोजन होये के बाद  सुखराम ह अपन सियान मितनहा ददा ल बलाके ले आइस अउ सबो झन बइठके विचार करे ल धरलिन।  सुखराम के मितनहा ददा ह कहिस-- देख बाबू रिश्ता तो बने हे। हमर चंदा बेटी ल उहाँ कुछु चीज के कमी नइ राहय फेर वोमन गौंटिया अउ हमन निच्चट गरीब ।समधी सजन बरोबरी म बनाना चाही तभे मान गउन होथे। कहूँ ऊँच-नीच बात होगे त?

     वोमन रिश्ता जोड़े बर तइयार हें। लड़का ह तको  हमर बेटी संग फभित म हे ।सरकारी नौकरी तको हे तेकर सेती मोर विचार ले रिश्ता जोड़े में बने होतिस तइसे लागते हो --चंदा के महतारी ह कहिस।

      हाँ-- तोरो कहना ठीक हे बहू ।चंदा के का मन हे तेनो ल जानना जरूरी हे। ले बेटी चंदा तोर का मन हे तेला बता डर ।

      चंदा ह मूँड़ नँवा के लजावत कहिस-- तुमन जेन कइहू वो मोला मंजूर हे बबा।

   ले बने कहे बेटी। तोर भाग म गौंटिया घर सुख पाये के लिखाये होही, तेला भला कोन टार सकथे--सियान ह कहिस। सुखराम तको हामी भर दिस।

         बिहान दिन गौंटिया ल खबर होगे के रिश्ता मंजूर हे। वोमन दू दिन पाछू चार झन आके , नेवता-हिकारी खाके अउ चंदा ल पइसा धराके रिश्ता पक्का कर देइन। अक्ति के दिन भाँवर परे के लगिन धरागे।

      गौंटिया घर बेटी के रिश्ता जुड़े हे सोच के सुखराम ह अपन पुरखौती आधा एकड़ खेत ल बेंच के, डरे-डर म अपन हैसियत ले कई गुना जादा दाइज-डोर के बर्तन- भाड़ा अउ समान ले डरिस। भाँवर के दिन सौ ले आगर आये बरतिया मन के खाना-पीना अउर स्वागत म कोनो कमी नइ करिस। बने उच्छल-मंगल ले भाँवर परिस  अउ वोकर करेजा के चानी दुलौरिन बेटी चंदा के बिदा होइस।

      सुख के दिन चिरई कस कब फुर्र ले उड़ा जथे पतेच नइ चलय अउ दुख के एक दिन तको  जुग बरोबर हो जथे। सास-ससुर, देवर ,नँनद के मोहलो-मोहलो अउ रूप के भँवरा रत्नेश के मया म बहुरिया चंदा ह दिन-दुनिया ल भुलाके ,सरग कस सुख के सपना देखत ससुराल म खोगे। अइसे लगिस के अब तो वोकर जिनगी म बस अंँजोरी पाख हे। फेर अँधियारी पाख तको होथे, वो कर पता तो वोला तब चलिस जब वोकर बाबू सुखराम ह तीजा पोरा म लिह के लेगे बर आइस त वोकर ससुर गौंटिया   ह ये कहिके नइ भेजिस के-- दू-चार सौ के लुगरा बर का मइके जाही। हम इहें चार हजार के लुगरा ले देबो। सुखराम ह  केलौली करत कहिस- एक दिन बर भेज देते समधी महराज। वोकर महतारी के मन माढ़ जतिस।

     नइ जाय कहि देंव न---समझ नइ आवत ये का ? गौंटिया के कर्कश अवाज, सुखराम के कान म परिस त वोकर आतमा काँप गे। अपन सुसकत खड़े बेटी चंदा ल आँसू भरे आँखी ले निहार के सुखराम भारी मन ले लहुट गे।

       रतिहा चंदा ह रत्नेश ल  प्रेम से कहिस --मोला एक दिन बर---, बस एक दिन बर मइके अमरा देते। दाई ल देख के आ जतेंव।

      मैं  पिताजी के बात ल नइ काट सकवँ।नइ जाना हे मतलब नइ जाना हे।तोला पता नइये का? हम खानदानी  गौंटिया आन , जेन एक पइत कइ देथन वो पथरा म खींचे लकीर बरोबर हो जथे। हाँ-- तोला कइसे पता रइही ।तैं तो बनिहार घर के बेटी अस न । निर्दयी रत्नेश ह  उल्टा ताना मारत कहिस।रूप के भँवरा ल भला का पता के फूल के हिरदे ल तको चोट पहुँचथे।          वोकर गोठ ल सुनके पढ़े-लिखे चंदा समझगे के वोकर जिनगी ह सोन के पिंजरा म कैद चिरई कस होगे हे। वो समझगे के साँप के पिलवा तको साँप होथे। वो जान डरिस के ये मन सिरिफ रूप ल देखके बिहाव करे हें। बेचारी  ह रो -गाके मन मसोस के रइगे। 

          देवारी तिहार म तको सुखराम ह लेगे बर आइस फेर इहू दरी गौंटिया ह चंदा ल नइ भेजिस, उल्टा दू-चार ठन अइली-सुधी सुनादिस। बपुरा सुखराम ह का करय अउ का कहय।  साले भर म ग्रहण धरे कस अइलाय, दुबराके काँटा होये अपन बेटी चंदा ल धीर धराके, आंँसू ढारत, बिना खाए पिए उल्टा पाँव लुटगे।

      तब तो चंदा के अंतस के खउलत लावा फूटगे।वो अपन बेग ल धरके कुरिया ले निकलिस अउ कहिस मैं अपन मइके जावत हँव ।कोनो पहुँचाहू त पहुँचा दव नहीं ते रेंगत चल देहूँ।

     वोतका ल सुनके वोकर सास गौंटनिन ह नागिन कस फोसरत कहिस-- जा जा तोला जाये के सउँख हे त फेर  दुबारा लहुट के इहाँ सुरत झन देखाबे---भिखमंगिन घर के----

गौंटिया ह भन्नावत कहिस--जा जा तोला नइ रोंकन। पाँव हे त हमर बर पनही के दुकाल नइये।

रत्नेश ह तो मारे बर हाथ उठावत कहिस-- तोर अतका हिम्मत --जबान लड़ाथस---

 चंदा ह शेरनी कस दहाड़त कहिस- हाथ उठाबे त अच्छा नइ होगी। महूँ हा पढ़े लिखे हँव। सीधा थाना जाहूँ अउ दहेज प्रताड़ना के रिपोर्ट लिखवा के सब झन ला अंदर करवा देहूँ। अइसे भी घरेलू हिंसा के रिपोट तो करबे करहूँ।

      वोतका ल सुनके सब झन सन्न होगें अउ चंदा ह ससुराल के देहरी लाँघ के संझौती बेरा मइके पहुँचगे।           

    छै महिना के भीतर चंदा ल मइके गांँव म आंँगनबाड़ी सहायिका के नौकरी मिलगे। रूप के भंँवरा रत्नेश ह दू-चार पइत लुहुर-टुपुर करिस फेर चंदा ह दुत्कार के खेद दिस।

चार पइत थाना रेंगिस त गौंटिया के हेकड़ी निकलगे।

   धीरे-धीरे चंदा के जिनगी म अंँजोरी पाख आये ल धरलिस।अँजोरी पाख हे त पुन्नी तो आबे करही।फेर ये हा हिम्मत के पुन्नी होही जेमा अत्याचार ले लड़े के छक-छक ले अँजोर होही जेकर पाछू अँधियारी पाख  होबे नइ करही।



चोवा राम वर्मा 'बादल'

हथबंद, छत्तीसगढ़

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