Saturday 10 July 2021

मोर ममा गाँव -केंवरा यदु मीरा

 मोर ममा गाँव -केंवरा यदु मीरा


जन्म स्थान पोखरा हरे राजिम ले तेरह कि॰मी दूरिहा पश्चिम दिशा कोती ।

ममा गाँव हरे भैरा, उही तीर नवापारा हे,मुड़ागाँव हे ।

गर्मी छुट्टी में कभू ममा गाँव गेच नइ हँव।


माँ बाप एके झन बेटी बाबूजी भेजे नहीं ।

ममा मन लेगे बर आय नहीं ।

जाय के साधन बइला गाड़ी राहय फेर दादा ला बाबूजी कका मन बहुत डर्रावय पूछे बिना कहूँ नइ जावय दादा ह बाबूजी के कका हरे।

मोर दादा बड़ सीधा ल रहिस।

छय कोरी गाय दू जोड़ी बइला बड़े बड़े बाबूजी कका मन

छय  झिन होवय छय ठी नांगर फंदाय 32एकड़ के बोवाई चले।


ता मोर ममा घर जवई तीजा में  होवय बड़ दुखदाई राहय मोर बर पोखरा 30कि  मी पैदल जवई बीच में सूखा नदी परे।

एक ठी गाँव के बाद मा परे बाबूजी उँहा तक ले छोड़े बर जावय छाती भर पानी बोहात राहय।

खांद में बैठार के पार करावय ।

जब तक दिखत राहंव बाबूजी नइ लहुटे जब ओछल होवन तब जावय कभू कभू ड़ोगा में  जावन।

ममा गाँव तीर में  एक ठी नरवा घलो परे ओला ममा हा नहकावय।


उहाँ जावन ता नानी हा अगोरा में बइठे राहय भात साग रांध के बिहना के निकले राहन ते पैदल जवई में  पाच छै बजे पहुँचन।


गाँव के मामी ममा मन पाँव परे बर लाइन लगा दंय।

मोर सग ममा एके झिन रिहिस किसुन नाम के गुरूजी रिहिस सोरिद नाम के गाँव में  पढ़ाय बर जावय ।


एक झन ममा बीमार परिस मलेरिया ताहन मोती झिरा मैं छोटे रहेंव नइ जानवँ एक झिन बेटी रिहिस कथे।

गाँव खरा दवई करिन नइ माड़िस तब नवापारा लानत रहिस रसता में प्राण छूट गे।


नाना घलो स्वर्ग सिधार गे मँय नानाजी ला देखेच नइ हँव।

बहुत धार्मिक विचार के रिहिस मोर  माँ  ल घर मा पढ़ाय रिहिस माँ  सबो ला पढ़ लेवय रामायण ला बीस बार पूरा करिस ओकरे संस्कार मोर मा पड़े हे।

सुते के बेरा श्लोक सुनावय भगवान मन के  कहानी सुनावय।

जौन हा आज ले सुरता हाबे।

माँ हा कमर छट में हर साल कहानी सुनावय अऊ रो ड़रय भाऊक होके।

मंय काहंव झन सुनाय कर रोथस ता गाँव भर ओला अगोरत राहय।

पंदरा अगस्त 26जनवरी में  आँगन बाडी अऊ महिला भवन में  माँ झंडा फहरावय बुला बर आवय सब।



अब छोटे ममा भर बाँचिस उही हा तीजा लेगे मामी हा छटेलहिन रिहिस बने मया नइ करे।


ओकर लइका नइ रिहिस तभो ले।

ममा अबड़ मया करे अऊ नानी हा करे।

सिदार मन के पारा राहय वहू मामी ममा मन बहुत मया करे।

कोनो चार लाने कोनो सुखड़ी तेंदू लाने।


ममा रोज फल्ली लाने अऊ भुंजावय कच्चा चना ल भुंजावय।

पानी गिरत राहय बइठ के खावन।ममा मोर संग तिरी पासा खेले ।

तीर तार में मोर जोड़ के लइका नइ राहय खेले बर घरे में बीते चार पाँच दिन ताहन बाबूजी लेगे बर आ जावय।


कुछु मजा नइ आवय ममा गाँव में तीरे तीर मा बहुत जंगल राहय बने लागय बघवा आथे काहय त डर घलो लागय।

ममा  करा चौसर पासा घलो राहय साथी मन संग खेले मंय देखवँ बने लागे मोला।



बीते समय में चौथी पढ़त रेहे होहूं  ममा घर ले बताय बर आदमी आइस छोटे ममा घलो दुनिया छोड़ दिस ।

माँ ल नइ बताइस बाबूजी संग ममा गाँव गेन पता चलिस ममा ला मिर्गी आवय अषाढ़ के महीना मेड़ बाँधे बर गे रिहिस पानी में  मुंह के बल गिरे परे रिहिस ।

जे करा बांधत रिहिस उही मा।

मामी खोजे बर गिस स्कुल बर देरी होवत हे कइसे नइ आवत हे 

ममा के प्राण छूट गे राहय।


दुनो ममा अऊ नाना के  बाहिरे में प्राण छूटे हे कायह मोर  माँ  हा।

अब एके झिन होगे ममा ल सुरता करके बहुत रोवय बाप दूनो भाई के जवई माँ के छोटे उमर में ।

बाँच गे मामी मन बड़े मामी मइके में आगे।


छोटे मामी नई भावय बड़े मामी ला

छोटे मामी के राज होगे नानी ला झगरा करके छोड़  दिस।



नानी अपन भाई घर सेमरा में  आगे उँहा उकरे घर काम करे अलग रांध के खावय।


जिनगी भर सुख नइ पाइस नानी हा।

नदिया ओ पार नानी राहय ये पार हमन राहन दू चार महीना में  आवत राहय।


ममा घर जवई छूट गे बने सुरता करे लाइक कुछु नइये।

ओकर ले बने सेमरा गाँव बने लागे।

मोर जोड़ के संगवारी राहय जावन त संगे खेलन।


बीच में इहों नदिया महानदी हा आट पाट पूरा।


ड़ोगा में बइठे राहन  जी पोट पोट करत राहय अऊ तिजहारिन राहंय सुरता हे आज ले ओ पार बजरंग बली हावय सबो झन उही ला सुमरत राहयँ।

बाबूजी ओ खंड़ के जावत ले खड़े  राहय जब उतर जावन तब लहुटे।


याहा का तीजा जवई रिहिस अब सोंचथंव अपन बेटी मन ला बताथंव अब मैं नइ जातेंव बेटी हो।

लइका जात में गाँव जाय के खुसी राहय।


सुखा दिन में  बइला गाड़ी में जावन।


अब भैरा जाना बंद होगे माँ के कका के बेटा मन पूछे ल छोड़ दिन।

मोर  बिहाव के बाद नानी घलो स्वर्ग सिधार गे।।


सेमरा जावत रहिथंव एक ममा हावय दू झिन इहों  स्वर्ग सिधार गे।

लखन ममा गुरूजी रिहिस लोहझर में ।

अबड़ मया करे मोर पाँव परे मैं हाथ धर लेवंव अब सियान होगे हस झन परे कर ता काहन तँय हमर दुनो कुल ला तार देस गुनवंती बेटी हरस अतका कन पुस्तक लिखे हस जिंयत ले पाँव परहूं काहय सबो पुस्तक सातो ठी ल संभाल के राखे रिहिस।


एक साल पहिली वहू छोड़ के चल दिस।

एक ममा बंशीलाल चार साल पहिली चल देहे।

एक ममा अऊ चले गे।

एक झन ममा बांचे हे नान्हे राम गुरूजी।


वहू हा 90साल के होगे हे ।


उँहे मोर जाना होथे।


केवरा यदु "मीरा "

राजिम

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