Saturday 17 July 2021

गोदी के महिमा-हरिशंकर गजानन्द देवांगन

 गोदी के महिमा-हरिशंकर गजानन्द देवांगन

                        अपन करनी के माफी मांगे बर अऊ जनता के आशीर्वाद झोंके बर , गाँव गाँव म नेता मनके रेम लगे रहय । नेता मन के चमचा मन , काकरो घर के छ्ट्ठी बरही , मरनी हरनी , बर बिहाव , मकान दुकान के पूजा पाठ ला ताकत रहय । जतका डाक्टर नइ जानय तेकर ले पहिली अऊ ओकर ले जादा , येमन ला पता रहय के , फलाना घर नावा सगा अवइया हे या फलाना के डोकरी दई मरइया हे ........। जइसे कुछू होवय तुरते बधई दे बर या संतावना दे बर , अपन नेता ला बलवा डरे । जनता के तिर म जाके , ओकर आशीर्वाद पाये के एकर ले अऊ काये अच्छा मौका दिही भगवान घला ........। 

                         एक ठिन गाँव म , एक झिन सियान के बहू खोसकिस खोसकिस करत रहय । ओकर घर समे म नवा सगा आगे । नावा सगा हा आये के पहिली , जानो मानो फोन करके चमचा मन ला बता दिस के .. मेहा आवत हंव , तूमन पहुँचव , तइसे चमचा मन हाजिर होगे । छट्ठी के दिन तिथि तै होगे । ओकर नेता तक बात पहुंचगे । सियान हा , अतेक बड़ नेता , ओकर नाती के छट्ठी म आवत हे कहिके , बिकट खुस रहय । जगा जगा उहीच गोठ गोठियावय । बड़ उमेंद म तैयारी करत रहय । 

                         सियान के उछाह ला देख , ओकर बेटा किथे – नेता के स्वागत सत्कार तो ठीक हे बाबू  , फेर नानुक बाबू ला नेता के गोदी म झिन धराबे । सियान पूछथे – काबर ? बेटा किथे – ओकर गोदी अच्छा निये बाबू , शापित हे कस लागथे । जेला गोदी लेथे तेहा कतको बछर ले गोदी के लइक रहि जथे , ओकर बिकास रूक जथे । अऊ तो अऊ बाबू , ओकर हाथ गोड़ मुड़ी कान अपने अपन , खियाये बर धर लेथे , ओहा अपंग विकलांग हो जथे । सियान पचारथे – कइसे गोठियाथस बेटा , काकरो गोदी ले म , काकरो बिकास रूके हे का ? कन्हो बिकलांग कइसे हो सकत हे ? बेटा किथे – हमर गाँव ला इही नेता हा चार बछर पहिली गोदी ले रिहीस हे । आज ओकर का हाल हे तेला तैं खुदे जानत हस । तरिया खनइस डिपरा म , पानी नइ भरय । स्कूल खोलइस बिगन मास्टर के । स्कूल बर नावा बिल्डिंग बने के पाछू ..... उदघाटन के पहिली , तीन बेर रिपेरिंग हो चुके हे , तभो ले छत चुचुवावत रहिथे । जबले सड़क बनिस तबले गिट्टी पखना के मारे , शहर जाना मुश्किल होगे , ओकर पहिली पैडगरी ले शहर पहुंचना कतेक आसान रिहीस हे । घर घर म जे शौचालय बनिस तेमा , एक घर सीट गड़े हे , दूसर घर दिवाल खड़े हे , काकरो शौचालय म टांकी निये , काकरो घर केवल टांकी बने हे । एकर पहिली लोटा धरके दिशा मैदान जावत रेहे हन , कन्हो तकलीफ नइ रिहीस , ओ समे गंदगी दूरिहा म रहय ... अभू घरों घर गंदगी पसरगे ..... । गाँव कती करा बढ़िस बाबू , बल्कि ओहा बिकलांग होगे । सियान किथे – ओला नेता का करही बेटा , ओहा तो गाँव ला इही पायके गोदी ले रिहीस के , येकर बिकास करना हे । गाँव के मनखे मनला फोकट म गैस देवइस , रासन कार्ड दिस , इलाज बर स्मार्ट कार्ड बनवा दिस , फोकट म चऊँर दार देवत हे अऊ का चाही ......... ? बेटा किथे – गाँव के मनखे ला फोकट म देवत हन कहिके .. कोढ़िया बनाके , देश ला कमजोर करे के काम के नाव , इँकर नजर म बिकास आय बाबू । गाँव म राजनीति के भुसड़ी बगराके , गाँव के हरेक मनखे ला चबवा दिस । देख ओकर असर , परोसी हा परोसी संग नइ बनय , भई भई के बीच झगरा मातगे । हमर कका संग तोला कोन लड़इस , तिंही बता भलुक ...........। तैं झिन फँसबे ओकर बात म ये दारी ........... अऊ नानुक लइका ला ओकर गोदी म झिन दे देबे , निही ते मोरो लइका हा , हमर गाँव कस , जिनगी भर सिर्फ गोदी म रेहे लइक रहि जहि । सियान घबरागे अऊ सोंचत बइठगे , अतेक बड़ मनखे ......... यदि नाती ला गोदी दे कहिके माँग पारिस त ............., कइसे करहूँ भगवान ? 

                           छट्ठी के दिन बिहाने ले , रझरझ रझरझ अस पानी पिटीस के , गाँव के खुसरती म , नेता के बनवाये नावा पुलिया टूटगे , कन्हो नइ अइन , ओकर नाती हा गोदी के महिमा ले बाँचगे । 

    हरिशंकर गजानंद देवांगन , छुरा .

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