Friday 3 December 2021

विषय--हमर राजभाषा छत्तीसगढ़ी सम्मान कइसे पाही*

 

*विषय--हमर राजभाषा छत्तीसगढ़ी सम्मान कइसे पाही*


कोनो भी दिवस ल जनजागरण लाये के उद्देश्य ले मनाये जाथे संगे संग वो दिन घटे कोनो विशेष घटना ल सुरता करके वोकर महत्व ल उजागर करे बर, लोगन तक पहुँचाये बर अनेक प्रकार के उदिम करे जाथे जेमा  साहित्यिक अउ सांस्कृतिक आयोजन शामिल होथे।

  आप सब जानत हव कि 28 नवम्बर के छत्तीसगढ़ राजभाषा दिवस धूमधाम ले मनाये जाथे। ए तिथि म हमर महतारी भाखा छत्तीसगढ़ी ल 28 नवम्बर 2007 के वैधानिक रूप ले छत्तीसगढ़ विधान सभा ह राजभाषा के दर्जा दे हावय।


*छत्तीसगढ़ राजभाषा बर संघर्ष*---

छत्तीसगढ़ ह राजभाषा सहजता ले नइ बने हे।वोकर रसता म बहुते काँटा बिछे रहिसे। अनेक रोड़ा रहिस हे जेन आज ले पूरा-पूरा नइ हटे ये।

  खैर! छत्तीसगढ़ी भाखा के जनभाषा ले राजभाषा बने के कहानी मुख्य रूप ले इहाँ के जागरूक साहित्यकार, कलाकार  मन के संघर्ष ले भरे हे। जेन मन छत्तीसगढ़ी ल राजभाषा बनाये बर लड़िन वोमा पं०श्याम लाल चतुर्वेदी जी, हरिठाकुर जी, केयूर भूषण जी,सुशील यदु जी ,नंदकिशोर शुक्ल जी ,गुरतुर गोठ के सम्पादक संजीव तिवारी जी अउ सन् 2000 ले 2008 तक के छत्तीसगढ़ी राजभाषा संघर्ष समिति के जम्मों जुझारू मन के बड़ योगदान हे। हमर पुरखा साहित्यकार मन तको नेंव धरे रहिन।

        छत्तीसगढ़ी ल राजभाषा बनाये के संघर्ष म आम जनता अउ राजनेता मन तको योगदान दे हावयँ जेमा पहिली बार छत्तीसगढ़ विधान सभा म छत्तीसगढ़ी ल राजभाषा बनाये बर 1नवम्बर 2000के विधानसभा म अशासकीय संकल्प प्रस्तुत करइया डोमेंद्र भेड़िया जी ,पूर्व मुख्यमंत्री डा० रमन सिंह जी,वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी, महामहिम राज्यपाल रमेश बैस जी,राज्यसभा सांसद छाया वर्मा जी आदि उल्लेखनीय हें।

    छत्तीसगढ़ महतारी भाखा के सम्मान बर छत्तीसगढ़ क्रांति सेना बहुत बढ़िया काम करत हे।


*राजभाषा के रूप म छत्तीसगढ़ी भाखा के दशा-दिशा*--

छत्तीसगढ़ी राजभाषा बन तो गे हे फेर जेन तीन प्रमुख उद्देश्य---संविधान के आठवीं अनुसूची म भाषा के दर्जा देवाना, राजकाज के भाषा बनाना, पाठ्यक्रम म शामिल करना। बड़ दुख के बात हे कि राजभाषा बने के 14 साल बाद तको एमा के एको ठन उद्देश्य पूरा नइ होय हे।

 राजनैतिक रूप ले सिरिफ भाषणबाजी होवत हे।आनी बानी के कारण बता-बता के ये मुद्दा ल लटकाये जावत हें। राजभाषा के असली दर्जा देवाये के संघर्ष संगोष्ठी, व्याख्यान ,कवि सम्मेलन अउ सांस्कृतिक कार्यक्रम तक सिमट के रहिगे हे।

    कभू-कभू तो अइसे तको लगथे कि कतको आम जनता जेमा पढ़े लिखे मन जादा हें, हीनभावना ले ग्रसित होके एला गोठियाये म हिचकिचाथे त एहा राजकाज के भाषा कइसे बनही। अपन लइका ल हमन पाश्चात्य संस्कृति के चकाचौंध म मोहाके अंग्रेजी बोले अउ पढ़े ल बाध्य करबो त  पाठ्यक्रम म कइसे शामिल होही। अइसे भी अंग्रेजी शिक्षा के आँधी तुफान म  हमर देशी भाखा मन पाना-पतेवा कस उड़ियावत हें। अंग्रेजी के गरेरा म उड़े धुर्रा ले शासन के आँखी तको मुँदागे हे तभे तो अँग्रेजी माध्यम स्कूल मन के बाढ़ आगे हे।

       एक अउ समस्या हे कि इहाँ अबड़ कस बोली हे।का ओमन छत्तीसगढ़ी ल स्वीकार करत हें? जेन समस्या ले हिंदी जूझत हे उही बाधा ले छत्तीसगढ़ी घेरावत हे। छत्तीसगढ़ी के एक ठन मानक रूप बनाके अउ वोला सब स्वीकार करके ये समस्या ले पार पाये जा सकथे।

*हमर राजभाषा छत्तीसगढ़ी ह सम्मान कइसे पाही*

एखर उत्तर एकदम सरल तको  हे अउ अब्बड़ कठिन तके हे। सबले प्रमुख बात तो ये हे ----हमन सम्मान देबो तभे पाही।

     छत्तीसगढ़ी ह हमर प्रदेश के एकमात्र सम्पर्क भाखा आय त ऐला सबझन मुक्त हृदय ले स्वीकार करन, सत्ता ह सहयोग करय, आठवीं अनुसूची म तुरंत शामिल होवय, पूरा राजकाज छत्तीसगढ़ी म होवय,  सरकारी कार्यालय मन म संवाद के भाषा अनिवार्य रूप ले छत्तीसगढ़ी होवय। शासन के कर्ताधर्ता  मंत्री,संत्री ,अधिकारी ,कर्मचारी मन छत्तीसगढ़ी जानय अउ बोलय। कम ले कम प्राथमिक शिक्षा के पूरा पाठ्यक्रम छत्तीसगढ़ी भाषा म राहय अउ पढाये-लिखाये के तको  छत्तीसगढ़ी भाषा  राहय। उच्चशिक्षा म एक विषय छत्तीसगढ़ी साहित्य के राहय। छत्तीसगढ़ी साहित्यकार मन ल  शासन ले प्रोत्साहन अउ सम्मान मिलय। गाँव गाँव ,स्कूल-स्कूल म छत्तीसगढ़ी साहित्य के पुस्तकालय खोले जाय। हमर पुरखा साहित्यकार मन के कृति मन ल आम जन तक पहुँचाये जाय।

      छत्तीसगढ़ी ह जब तक रोजगार देवइया मतलब सरकारी नौकरी अउ फेक्टरी मन म काम देवइया भाषा नइ बनही तब तक  राजभाषा के दर्जा पाके घलो पिछुवाये बरोबर रइही।

  छत्तीसगढ़ी ल उचित सम्मान देवाय बर अदालती निर्णय तको छत्तीसगढ़ी म दे जाय एखर बर छत्तीसगढ़ी के जानकार न्यायधीश मन के नियुक्ति करे जाय।वकील मन तको छत्तीसगढ़ी म जिरह करँय।

    छत्तीसगढ़ी म दैनिक पत्र पत्रिका निकलय जेकर ले ये भाषा के प्रचार प्रसार होही।ए कड़ी म पत्रिका के पहट, देशबंधु के मड़ई, हरीभूमि के चौपाल अउ दैनिक भास्कर के संगवारी आदि के साप्ताहिक पेज अभिनंदनीय हे।

   छत्तीसगढ़ी म कहूँ धार्मिक पूजा-पाठ, राजनैतिक अउ आर्थिक काम  होये ल धर लेही त एखर सम्मान कई गुना बाढ़ जही।एखर बर पुरजोर प्रयास होना चाही।

 आम जन के हृदय म अपन महतारी भाखा बर प्रेम अउ श्रद्धा जागय  तभे राजभाषा बनाना  अउ राजभाषा दिवस मनाना सार्थक होही ।कविवर भारतेन्दु हरिश्चन्द्र जी के उद्गार ल हिरदे म बसाके अमल म लाये के जरूरत हे।उन कहे हें---


निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति के मूल।

निज भाषा ज्ञान बिन, मिटत न हिय को शूल।

अंग्रेजी पढ़ के जदपि, सब गुन होत प्रवीन।

पै निज भाषा ज्ञान बिन, रहत दीन के दीन।


चोवा राम 'बादल'

हथबंद, छत्तीसगढ़

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