Friday 3 December 2021

उजाड़ गाँव म चिपरी मोटियारी

 उजाड़ गाँव म चिपरी मोटियारी 


          एक झिन राजा के राज म रात दिन अकाल दुकाल परत रहय । ओहा जनता ला भूख म मरत नइ देख सकत रहय । राजकोस घला रात दिन बाँटत बाँटत रिता होगे रहय । अवइया अकाल के भविष्यबानी सुनके मंत्री मन हा ओला नरूवा खँड़ के रकसा ला मनाये थोपाये बर किहिन । बइगा किथे – रकसा हा हमर का करही राजा साहेब ..... बुढ़हा देवता म हुम जग देथन .. गाँव के ठुठी मौली म फूल पान चइघाबो अऊ सहँड़ा देव म नरियर ... रिच्छिन देवी म खैरा कुकरा बद देथन .. अवइया बछर म शीतला माई म जग जँवारा घला मढ़हा देबो .. । मंत्री मन किथे – गाँव के देवता मन कुछ नइ कर सकत हे राजा साहेब ... सब देवता मन के शक्ति हा रकसा के आगू म छीण परगे हाबय .. उही ला महल म लान के स्थापित करबो , ओकर मान गउन करबो , तब राज के मनखे ला सुख मिलही ....... । 

          दूसर दिन मंत्रीमंडल के बात मान .....  राजा हा ..... रथिया होइस तहन ..... रकसा ला मनौती करके लाने बर चल दिस । हुम जग के गंध म रकसा के मुहु ले भयंकर अवाज निकलना सुरू होगे । बासी खवइया राजा हा अबड़ साहसी अऊ बलवान रिहीस । नइ डेर्रइस । रकसा हा राजा के साहस देख पूछे लगिस - तैं कोन अस , तोला का चाही ...... ? राजा हा किथे – मय राजा अँव । तोला अपन महल म लेगे बर आये हँव .... । रकसा किथे – मय जानत हँव के तैं राजा अस ... फेर तोर मोर रसता अलग अलग हे ... मय तोर संग रेंग नइ सकँव । मोला अपन संग खाँध म लेगबे तभे तोर महल तक जाहूँ .. फेर मोर एक सरत घला हे ... घर के पहुँचत ले उतारबे झन ..... अऊ गोठियाबे झिन । तैं गोठियाये या गरू लागत कहिके उतारे ..... ते में अपन जगा म वापिस लहुँट दुहुँ । राजा हव कहि दिस अऊ अधरतिया म .... रकसा ला अपन खांद म ओरमाके रकस रकस महल कोत रेंगे लगिस । 

          रसता म रकसा किथे - समे बिताये बर तोर से एक प्रश्न पूछत हँव महराज । तैं जान के उत्तर नइ देबे त .... इही तिर तोला मारके खा दुहुँ । राजा मुड़ी हलइस । रकसा पूछथे – देस म केवल नाव पद अऊ धन लोलुप मन मजा पावत हें अऊ असली हकदार मन कोंटा म परे हे ...... अइसन काबर ....... ? राजा किथे – हमर देस म विद्वान मन के कमी नइ रिहिस । आजो कमी निये फेर वाजिम म विद्वान मन के पूछ परख निये । असली हकदार मन या तो राज पक्ष के उपेक्षा के शिकार हे या करम दंड के ...... । वइसे येकर जुम्मेवार खुदे विद्वान मन घला हे । इहाँ एक विद्वान हा दूसर के गोड़ ईंचत हे त दूसर हा पहिली के टोंटा मसके बर तियार बइठे हे । अइसन चरित्तर देख के तीसर हा विद्वानी करे ले मुख मोर लेवत हे ....... अऊ चौथा हा पलायन कर लेवत हे । अइसने मउका के फायदा उचावत नाव पद धन लोलुप मन मजा पावत हे । 

          राजा बतावत रहय – आज निही ते कल हरेक गुनवान के पूजा खत्ता म होथे । फेर जब कन्हो राजा ला भरमा देथे या अइसन परिस्थिति जनम धर लेथे तब गैर हकदार मन जबरदस्ती मान सनमान पा जथे । रकसा हा बात नइ समझिस । राजा कोती प्रश्नवाचक हाथ बनाके देखइस । तब राजा हा किथे - तोला मोर बात समझ नइ आवत हे । मेंहा तोला एक ठिन कहिनी सुनावत हँव । 

           राजा केहे लगिस - एक बहुत बड़े जनपद म लोकतंत्र रिहीस । पांच बछर बर जनता हा अपन मन मुताबिक राजा चुन डरय । एक बेर राजा हा सत्ता पाये के पाछू गाँव गाँव जाके समस्या पता करे लगिस अऊ ओकर हल बर मेहनत करके उपाय निकाले लगिस । राजा के कुछ अइसे मनखे रिहीन जेमन समस्या सुलझाना नइ चाहय । ओमन समस्या गिना के ओकर हल के नाव म सरकारी खजाना ला लूटे हथियाये के अलावा कुछ नइ करना चाहय । ओकर मन के सोंचना रहय के .... पुलिया बन जही , सड़क बन जही , गुरूकुल खुल जही , तरिया खना जही तब मजदूर अऊ किसान तिर समस्या नइ बाँचही ...... तब हमन ला कोन पूछही । ओमन राजा ला भरमाये लगिस । राजा के ध्यान ला काम बूता डहर ले हटाये बर राजा उपर देखावाटी तरस देखाये लगिस । ओमन राजा ला बिहाव करके अपनों बर सुख संजोये के सपना देखा दिन । एक दिन राजा तियार होगे । राजा के सलाहकार मन .... राजा ला अपन बादशाहत कायम राखे बर ... केवल अपनेच जनपद के खबसूरत सबले योग्य नोनी संग बिहाव रचाये के घोसना करवा दिस । रानी चुने के प्रतियोगिता के तियारी सुरू होगे । अपन पहिचान के नोनी ला रानी बनवाये बर मंत्री मन भितरे भितर षडयंत्र म लगगे । 

          कोन नोनी हा रानी नइ बनना चाही । हरेक के खवाहिस हिलोर मारे लगिस । रंग रंग के लिपिसटिक पाऊडर स्नो क्रीम लवनटोकिया अऊ आलता बजार म उतरगे । येला चुपरके अऊ केऊ प्रकार के नावा किसिम के डरेस पहिरके एक दूसर ले श्रेस्ठ दिखे के होड़ मातगे । बैपारी मन कमा डरिन । मंत्री मन एक प्रतियोगी ला दूसर ले लड़ाना सुरू कर दिस । लोगन भड़कावा म आगे । रानी बने के लालच म एक दूसर ला नकसान पहुँचाये के कन्हो मउका ला हांथ ले नइ जावन दिन । काकरो कपड़ा चिराये लगिस ....... । काकरो थोथना म दाग लगा दिन ....... । प्रतियोगिता विकृत होगे । येला देख कुछ समझदार मन गाँव ले पलायन कर दिस ...... कुछ मन प्रतियोगिता ले .......... । 

          प्रतियोगिता के दिन राजधानी हा एकदमेच उजाड़ लगे लगिस ....... उहाँ मरे रोवइया नइ रहय ..... तइसे होगे । राजा के डर म .. मंत्री मन आपस म समझौता कर डरिन अऊ सबो एके होगे । तै समे म .. किराया के भीड़ सकलागे । रानी बने बर रजधानी के बीचों बीच बने भव्य मंच म , कुछ मंत्री मन के आसीरबाद पा , मुड़ी ढाँक के एक झिन नोनी अइस । सवाल पूछे के पहिली .. नोनी हा राजा के अस प्रशंसा करिस के ओकर सरी येब छुपगे । मंत्री मन अपन योजना म सफल होगे । बिगन देखे परखे .. राजा ला नोनी भा गे । बिहाव होगे । महल म लेगे के थोकिन बेर म पता चलगे के ...... रानी हा उपर ले दिखे म ... बहुतेच खबसूरत हे फेर ओला कुछ दिखय निही ... जइसे आँखी म चिपरा गोंजाये रहय , ओला कुछु गंध के आभास नइ होवय ... जइसे नाक म रेमट बोजाहे रहय अऊ काकरो बात सुनाबेच नइ करय .. जइसे कान म ठेठा भराये रहय । राजा धोखा खागे । अतेक जनता के बीच अपनाये रानी ला छोंड़ना राजा के मर्यादा के खिलाफ रिहीस । केवल अपनेच मनखे के भला करे बर .. अपनेच जनपद के नोनी हा रानी बनही ...... इही संकल्प हा राजा ला ले डूबिस । उजाड़ गाँव के चिपरी मोटियारी ....... रानी बनगे । 

          कहिनी बतावत बतावत राजा हा रकसा ला खांद म ओरमाये महल तिर पहुँचगे । रकसा किथे – मोर प्रश्न के उत्तर मिलगे राजन । में जान डरेंव के केवल नाव पद अऊ धन लोलुप मन काबर मजा पावत हें अऊ विद्वान मन कोंटा म काबर फेंकाये हे । फेर मेंहा तोला मुहुँ खोले से मना करे रेहेंव । तैं बोल पारे । में जावत हँव ........ । रकसा वापिस उड़ागे । गलत सलाह के सेती अपन गाँव के देवी देवता ला छोंड़ .... दुख देवइया रकसा ला .. रात भर खांद म बोहइया राजा के सपना हा केवल सपना रहिगे । बपरा राजा चुचुवागे । विद्वान मन आजो कोंटा म फेंकाये हे अऊ उजाड़ गाँव के चिपरी मोटियारी .... आज घला रानी बन मजा पावत हे ..... ।                            हरिशंकर गजानंद देवांगन , छुरा .

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